दूध हर घर की ज़रूरत है, लेकिन हाल के महीनों में इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। अगर आप भी अपने बजट में थोड़ा राहत चाहते हैं तो नीचे दिए गए कारण और टिप्स पढ़िए। ये जानकारी आपको दूध की कीमत को समझने और खर्च कम करने में मदद करेगी।
सबसे पहला कारण है फीड की कीमत। गाय और भैंसों को खिलाने वाला चारा अगर महंगा हो तो दूध की लागत भी बढ़ती है। दूसरे, मौसम का असर। गर्मी में धूप और पानी की कमी से उत्पादन घटता है, जिससे बाजार में दूध की कमी और कीमत बढ़ जाती है। तीसरा, परिवहन लागत। ईंधन के दाम बढ़ने पर लॉजिस्टिक्स खर्च भी ऊपर जाता है, और यह खर्च सीधे रिटेलर तक पहुँचता है।
सरकारी नीतियों का भी बड़ा रोल है। अगर डेयरी डेवलपमेंट प्रोग्राम में सबसिडी कम हो या कर चढ़े तो छोटे किसान अपने खर्च को ग्राहक पर डालते हैं। इसके अलावा, महामारी जैसे अनपेक्षित घटनाओं से सप्लाई चेन में गड़बड़ी आती है और कीमत में उछाल देखना मिल सकता है।
पहला कदम है स्थानीय डेयरी की तुलना करना। बड़े मॉल की कीमतें अक्सर अधिक होती हैं, जबकि कस्बे के छोटे दुकानों में किफायती दर मिल सकती है। दूसरा, पाउडर या दही जैसी डेरिवेटिव्स को अपनाना भी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उनका प्राइस अक्सर स्थिर रहता है।
तीसरा, घर में थोड़ा-बहुत दूध फ्रीज करके रखें। फ्रीज़र में रखे दूध की शेल्फ लाइफ 6 महीने तक बढ़ जाती है, जिससे बार‑बार खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। चौथा, अगर आपके पास जगह है तो अपनी दूध की माँग को कम करने के लिए घर में पालतू पशु या छोटी बैकयार्ड फार्मिंग शुरू कर सकते हैं। यह शुरुआती खर्च़ थोड़ा हो सकता है, पर लम्बी अवधि में खर्च कम हो जाता है।
आख़िर में, सरकारी सब्सिडी या स्कीम की जानकारी रखें। कई राज्यों में किसान को मिलने वाली फीड सब्सिडी या दूध बेचने की न्यूनतम कीमतें निर्धारित होती हैं। इन नियमों को जानने से आप सीधे फॉर्मर मार्केट से खरीद कर अपने खर्च को घटा सकते हैं।
तो अब जब आप जानते हैं कि दूध की कीमत क्यों बढ़ती है और इसका किफ़ायती विकल्प क्या है, तो आप आसानी से अपने परिवार के बजट को संतुलित रख सकते हैं। छोटी‑छोटी बदलावों से बड़ा असर पड़ता है, बस सही जानकारी और थोड़ी सी योजना चाहिए।
सितंबर 23, 2025
Amul और Mother Dairy, भारत के दो बड़े दुग्ध ब्रांड, दैनिक मिल्क प्रोसेसिंग वॉल्यूम और वित्तीय प्रदर्शन में प्रमुख हैं। मई 2025 में दोनों ने दूध की कीमत में 1‑2 रुपये की बढ़ोतरी की, जिससे किसान‑उपभोक्ता दोनों पर असर पड़ा। इस लेख में हम उनके उत्पादन, बिक्री, मूल्य वृद्धि के कारण और संभावित प्रभावों को विस्तार से देखेंगे।
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