तिरुपति भगदड़: वैकुंठ द्वार दर्शनम में भीड़ से मची अफरा-तफरी, 6 की मौत, 40 घायल

तिरुपति भगदड़: वैकुंठ द्वार दर्शनम में भीड़ से मची अफरा-तफरी, 6 की मौत, 40 घायल
Tarun Pareek
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तिरुपति भगदड़: वैकुंठ द्वार दर्शनम में भीड़ से मची अफरा-तफरी, 6 की मौत, 40 घायल

तिरुपति में दुखद घटना

तिरुपति का नाम लेते ही भक्ति और श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। यहां की अगाध आस्था के चलते हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान विष्णु के दर्शन करने आते हैं। लेकिन 9 जनवरी, 2025 का दिन न केवल आस्था और श्रद्धा से जोड़कर याद किया जाएगा, बल्कि एक दुखद हादसे के लिए भी। तिरुपति के निकट स्थित विष्णु निवासम् में एक भीषण भगदड़ में छह भक्तों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग जख्मी हो गए।

वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

यह हादसा उस समय हुआ, जब श्रद्धालु वैकुंठ द्वार सर्व दर्शन के टोकन पाने के लिए बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे। दिनांक 10 जनवरी को दस दिवसीय वैकुंठ द्वारम का आयोजन होना था, जिसके लिए टोकनों का वितरण किया जा रहा था। दिन भर की प्रक्रिया को सुबह 5:30 बजे ही शुरू कर दिया गया था, ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी न हो। टोकन वितरण के लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने 94 काउंटर्स स्थापित किए थे जिनमें विष्णु निवासम्, श्रीनिवासम् आदि शामिल थे।

हुए हादसे के कारण और प्रशासन की विफलता

भीड़ की अधिकता और समुचित प्रबंधन की कमी के कारण भगदड़ मच गई, जिसका परिणाम इतने दर्दनाक रूप में सामने आया। घटना के बाद प्रशासन की चौकसी और आयोजन प्रबंधन पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। इस पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, चंद्रबाबू नायडू ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने तत्काल इस हादसे के लिए जिम्मेदार दो अधिकारियों को निलंबित किया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि भीड़ नियंत्रण के प्रबंधन में एक बड़ी कमी बनी हुई है जिसका जल्द समाधान किया जाएगा।

आयोजन में भीड़ प्रबंधन की आवश्यकता

यह घटना स्पष्ट करती है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन के नियम कितने महत्वपूर्ण हैं। बड़ी संख्या में भक्तों के इकट्ठा होने पर कड़ी निगरानी और प्रबंधन की सख्त जरूरत होती है। इस घटना से प्रशासन के सामने एक चुनौती उत्पन्न होती है कि ऐसे आयोजनों को आखिरकार कैसे संतुलित और सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जा सके।

दिवंगत आत्माओं की शांति और उनके परिवार वालों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की जाती है। लेकिन अब भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। जब तक सुरक्षित उपाय नहीं अपनाए जाते, तब तक किसी भी आयोजन में ऐसी संभावनाओं का खतरा कम नहीं किया जा सकता।

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