2,000 रुपये तक की ऑनलाइन लेनदेन पर GST लगाने के प्रस्ताव की समीक्षा

2,000 रुपये तक की ऑनलाइन लेनदेन पर GST लगाने के प्रस्ताव की समीक्षा
Tarun Pareek
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2,000 रुपये तक की ऑनलाइन लेनदेन पर GST लगाने के प्रस्ताव की समीक्षा

GST से जुड़ा यह बड़ा फैसला किस पर पड़ेगा भारी?

हाल ही में आयोजित GST परिषद की बैठक में 2,000 रुपये तक के ऑनलाइन लेनदेन पर 18% GST लगाने के मुद्दे पर गहन चर्चा हुई। जो लोग डिजिटल पेमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस प्रस्ताव को फिटमेंट समिति को भेज दिया गया है। इस समिति का काम होगा कि वह इस प्रस्ताव के प्रभावों की गहन जांच करे और अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की है। समिति की रिपोर्ट के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

किन कारणों से उठाया गया यह मुद्दा?

2,000 रुपये तक के लेनदेन में 18% GST लगाने का मुद्दा इसलिए उठाया गया है क्योंकि वर्तमान में डिजिटल पेमेंट्स को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। छोटे-मोटे लेनदेन जिसमें QR कोड, POS मशीन, और नेट बैंकिंग का इस्तेमाल होता है, उनमें भुगतान एग्रीगेटर्स को GST नहीं देना होता था। लेकिन अब पुनः इस पर विचार किया जा रहा है।

2016 में नोटबंदी के समय जारी सरकारी अधिसूचना के अनुसार, ऐसी सेवाओं पर टैक्स नहीं लगाया गया था। इसके पीछे मकसद था कि लोग डिजिटल पेमेंट्स को अधिक से अधिक अपनाएं। तब से लेकर अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

क्या होंगे संभावित प्रभाव?

क्या होंगे संभावित प्रभाव?

अगर अब इस प्रस्तावित 18% GST को मंजूरी मिलती है, तो इससे सीधे तौर पर छोटे व्यापार करने वालों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। भुगतान एग्रीगेटर्स, जो वर्तमान में व्यापारियों से प्रति लेनदेन 0.5% से 2% चार्ज करते हैं, अगर उनपर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है, तो यह लागत व्यापारियों पर पड़ सकती है। इस वजह से छोटे व्यापारी जिन्होंने डिजिटल पेमेंट्स को अपनाया है, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत में 80% से अधिक डिजिटल लेनदेन 2,000 रुपये से कम के होते हैं। ऐसे में यह जीएसटी केवल व्यापारियों के लिए ही नहीं, बल्कि ग्राहकों के लिए भी परेशानी का सबब बन सकता है।

सूचना के मुताबिक, ज​बसे GST को लागू किया गया है, यानि FY2017-18 से अब तक के छोटे लेनदेन को भी इस जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। यानि की पिछले כמה वर्षों के ट्रांजैक्शन्स पर भी टैक्स रिट्रोस्पेक्टिवल (पूर्व प्रभाव) तरीके से वसूला जा सकता है।

GST परिषद का अगला कदम

GST परिषद का अगला कदम

पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए अब स्थिति काफी असमंजस में है। उन्हें इंतजार है कि फिटमेंट समिति इस मुद्दे पर क्या रिपोर्ट लेकर आती है और परिषद क्या निर्णय लेती है। किसी भी निर्णय का सीधा असर डिजिटल पेमेंट्स पर और आम जनता की जेब पर पड़ने वाला है। वस्तुनिष्ठता बनाए रखते हुए परिषद को सभी पक्षों का ध्यान रखना होगा।

GST परिषद की अगली बैठक में इस विषय पर और स्पष्टता आने की संभावना है। देखा जाएगा कि अब तक समिति क्या रिपोर्ट लेकर आती है और इस पर क्या निर्णय लिया जाता है। इससे यह भी तय होगा कि आगे का डिजिटल पेमेंट्स का भविष्य कैसा होगा।

अंततः, यह कहा जा सकता है कि 2,000 रुपये तक के डिजिटल लेनदेन पर GST का यह प्रस्ताव आने वाले समय में डिजिटल पेमेंट्स के परिदृश्य को बदल सकता है। व्यापारियों और ग्राहकों को इस पर ध्यान देना चाहिए और GST परिषद के अंतिम निर्णय का इंतजार करना चाहिए।

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