आईटी कंपनियों पर कड़े कर कानून: इन्फोसिस के बाद नज़र अन्य संस्थाओं पर
भारतीय कर प्राधिकरण ने हाल ही में प्रमुख आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस को ₹32,000 करोड़ का कर नोटिस भेजा है, जिसने पूरे आईटी क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी है। यह नोटिस इन्फोसिस पर अपने विदेशी कार्यालयों द्वारा दी गई सेवाओं पर कर चोर का आरोप लगाता है। इस घटनाक्रम के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि अन्य प्रमुख आईटी कंपनियों को भी ऐसे नोटिस जल्द ही मिल सकते हैं।
क्या है आरोप?
नोटिस के पीछे की प्रमुख बात यह है कि इन्फोसिस ने अपने विदेशी कार्यालयों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं पर कर नहीं चुकाया है। कर प्राधिकरण का कहना है कि यह एक उद्योग व्यापक मुद्दा है और कई अन्य प्रमुख आईटी कंपनियों को भी ऐसी ही समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कंपनी का बचाव
इन्फोसिस ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कहा है कि उन्होंने अपने सभी GST देनदारियों का भुगतान किया है और वे सभी नियमों के अनुसार हैं। कंपनी का दावा है कि जिन खर्चों पर कर आरोप लग रहा है, वे GST के दायरे में नहीं आते हैं, जिसके लिए उन्होंने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड से जारी हालिया सर्कुलर का हवाला दिया है।
विस्तार से जांच
GST इंटेलिजेंस निदेशक (DGGI) द्वारा जारी की गई जांच से यह स्पष्ट होता है कि यह मुद्दा केवल इन्फोसिस तक सीमित नहीं रहेगा। इस मामले का परिणाम यह हो सकता है कि अन्य प्रमुख आईटी कंपनियों को भी इसी प्रकार की जांच और नोटिसों का सामना करना पड़े।
उद्योग में चिंता
इन्फोसिस के मुख्य वित्त अधिकारी मोहंदास पाई और एवेरेस्ट ग्रुप के युगल जोशी जैसे उद्योग विशेषज्ञों ने इतनी बड़ी कर मांग के संभावित प्रभावों पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार के नोटिस निवेश और आईटी उद्योग की पारदर्शिता पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं।
NASSCOM की भूमिका
NASSCOM, जो कि भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग का प्रमुख लॉबी समूह है, ने इस मामले में आईटी कंपनियों का समर्थन किया है। उनका मानना है कि अगर कर प्राधिकरण अपनी कार्रवाई में आगे बढ़ता है, तो यह पूरे आईटी सेक्टर में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर प्रभाव
इतनी बड़ी कर मांग के आने के बाद विशेषज्ञ बताते हैं कि यह एक नजीर बन सकती है और इसी प्रकार की कार्रवाइयां अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ भी हो सकती हैं। यह जांच और कर नोटिस आईटी कंपनियों की भविष्य की प्रक्रियाओं और नियमों पर भी असर डाल सकते हैं, विशेषकर उनके विदेशी ग्राहकों के साथ होने वाले लेनदेनों पर।