अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा
दिल्ली के मुख्यमंत्री और भारतीय विपक्ष के प्रमुख नेता, अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। केजरीवाल, जो 2015 से दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे, का यह इस्तीफा उनके जेल से जमानत पर छूटने के एक दिन बाद आया है। उन्होंने कहा कि आगामी दिल्ली चुनावों में अगर जनता उन्हें ईमानदारी का जनादेश देती है, तभी वे वापस मुख्यमंत्री बनेंगे।
भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तारी
केजरीवाल को मार्च महीने में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली की शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया था। उन्होंने तब से यह दावा किया है कि यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। जुलाई में उन्हें इस मामले में जमानत मिली, लेकिन वे तब भी जेल में ही बने रहे क्योंकि उन्हें एक और भ्रष्टाचार के मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था।
उच्चतम न्यायालय की जमानत
शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने केजरीवाल को जमानत प्रदान की। उन्हें जेल छोड़ने की अनुमति दी गई, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। उन्हें एक मिलियन रुपये की बांड भरनी पड़ी और उनके सार्वजनिक जगहों पर इस मामले पर चर्चा करने, अपने कार्यालय जाने और किसी भी आधिकारिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने पर रोक लगा दी गई है।
आगे की योजनाएं
केजरीवाल ने घोषणा की कि वे दो दिन के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। उन्होंने भारत चुनाव आयोग से दिल्ली चुनावों को फरवरी 2025 से नवंबर में लाने की अपील की है। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) ने लगातार इन आरोपों को खारिज किया है और इन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बताया है। AAP का मानना था कि केजरीवाल की रिहाई उन्हें हरियाणा और दिल्ली के आगामी क्षेत्रीय चुनावों के लिए प्रचार करने में मदद करेगी। लेकिन फिलहाल, केजरीवाल का मुख्य ध्यान अपने नाम को साफ करने और अपनी ईमानदारी के लिए जनता का समर्थन पाना है।
आम आदमी पार्टी की रणनीति
केजरीवाल और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हमेशा आरोपों को निराधार बताया है। पार्टी ने इन सभी घटनाओं को राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा मानते हुए कहा है कि यह भाजपा द्वारा जानबूझकर की गई चालें हैं। केजरीवाल का कहना है कि वे जनता के बीच जाकर अपनी सच्चाई और ईमानदारी को साबित करना चाहते हैं। इसके लिए वे चुनावी मैदान में उतरेंगे और सीधे जनता से समर्थन मांगेंगे।
आम आदमी पार्टी (AAP) अब यह तय करेगी कि केजरीवाल के बाद पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा। इस बात को लेकर जल्द ही पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का सम्मिलन होगा और वे यह निर्णय लेंगे कि केजरीवाल की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री पद का उत्तराधिकारी कौन होगा।
चुनाव आयोग से अपील
केजरीवाल ने भारत निर्वाचन आयोग से भी आग्रह किया है कि आगामी दिल्ली चुनावों की तारीख को फरवरी 2025 से घटाकर नवंबर माह में किया जाए। इससे वे जनता के बीच जाकर अपनी बात रख पाएंगे और समय रहते सही निर्णय ले सकेंगे।
जनता का समर्थन महत्वपूर्ण
अरविंद केजरीवाल का मानना है कि जनता का समर्थन ही उनकी सच्चाई और ईमानदारी का प्रमाण होगा। वे इस बार के चुनावों में जनता से सीधी अपील करेंगे कि वे उन्हें उनकी ईमानदारी के लिए वोट दें। अगर उन्हें जनता का समर्थन मिलता है, तो ही वे वापस मुख्यमंत्री पद पर आने की सोचेंगे।