हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: एक विषद चुनावी परिदृश्य
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 को हाल ही में सम्पन्न हुआ, और एग्जिट पोल के नतीजे अब सभी की नजरों में हैं। इस बार के चुनाव ने विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके गठबंधनों के बीच एक तीव्र प्रतिस्पर्धा का मंच तैयार किया। 2.03 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने अधिकार का प्रयोग किया, जिसमें भाग लेने वाले प्रमुख दलों में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल और जन्नायक जनता पार्टी शामिल थे।
राजनीतिक दलों की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन के साथ 'डबल इंजन' सरकार के माध्यम से हरियाणा में अपना दबदबा बनाने की कोशिश की। यह सरकार केंद्र और राज्य में भाजपा की मौजूदगी के आधार पर अपनी योजनाओं और नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने का वादा करती आई है। वहीं, कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में एक दशक से सत्ता से बाहर रहने के बाद, पुनः सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने जनता के कष्टों के निराकरण और विकास को बढ़ावा देने के लिए कई वादे किए हैं।
आम आदमी पार्टी और अन्य गठबंधन
आम आदमी पार्टी इस बार अकेले चुनाव लड़ रही है। उन्होंने यह दावा किया है कि बिना उनके समर्थन के कोई पार्टी बहुमत प्राप्त नहीं कर सकेगी। दूसरी ओर, जेजेपी ने कभी भाजपा के साथ गठबंधन में रहकर इस बार आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इसका उद्देश्य नए समीकरणों के माध्यम से अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाना और भाजपा व कांग्रेस के बीच नए विकल्प के रूप में उभरना है।
प्रमुख प्रत्याशी और चुनाव क्षेत्र
चुनाव में कई प्रमुख चेहरे सामने आए हैं जिन पर सभी की निगाहें टिकी हैं। इनमें मुख्य मंत्री के प्रत्याशी सैनी (लाडवा), विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा (गढ़ी सांपला-किलोई), इनेलो के अभय सिंह चौटाला (ऐलनाबाद), जेजेपी के दुष्यंत चौटाला (उचाना कलां) और बीजेपी के अनिल विज (अंबाला कैंट) तथा ओ पी धनखड़ (बदली) शामिल हैं। इसके अलावा आप के अनुराग धांडा (कलायत) और कांग्रेस की विनेश फोगाट (जुलाना) भी अपनी विशेष छाप छोड़ने हेतु पूरी कोशिश कर रहे हैं।
एग्जिट पोल से भविष्यवाणी
एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी इस बार हरियाणा में मजबूत वापसी कर सकती है। यह उच्चतम संभावना देखी जा रही है कि कांग्रेस एवं अन्य गुटों के साथ गठजोड़ कर एक नव उत्साह के साथ सरकार बनाने का मौका प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी तरफ, भाजपा के लिए यह परीक्षण की घड़ी साबित हो सकती है कि क्या वे अपनी निरंतरता बनाए रखने में सक्षम होते हैं या नहीं।
नतीजों की घोषणा
इस चुनावी समर में किसका भविष्य संवरेगा, इसका निर्णय 8 अक्टूबर 2024 को चुनाव परिणामों की घोषणा के साथ होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा की जनता किसे अपना नया नेतृत्व सौंपती है और क्या राज्य में कोई नया राजनीतिक परिदृश्य उभरता है। यह सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए बल्कि विकास को नई दिशा देने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।