दिल्ली एयरपोर्ट टर्मिनल 1 की छत का गिरना और राजनीतिक बवाल
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के टर्मिनल 1 में छत गिरने की घटना ने न केवल कई लोगों की जान ली और उन्हें घायल किया, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी भारी बवाल मचा दिया है। यह दुर्घटना उस समय हुई जब यात्रियों और एयरपोर्ट स्टाफ ने किसी भी तरह की अनहोनी की कल्पना नहीं की थी। विमान यात्रा के दौरान छत का अचानक गिरना असंख्य सवाल खड़े करता है। सुरक्षा मानकों की अनदेखी और निर्माण गुणवत्ता में कमी इस हादसे के पीछे की प्रमुख वजहें प्रतीत होती हैं।
अमित मालवीय का यूपीए सरकार पर आरोप
बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस हादसे को सीधे तौर पर 2009 में यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए टर्मिनल 1 के निर्माण से जोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय गुणवत्ता जांच का कोई महत्व नहीं था और निर्माण कार्य केवल उन्हीं को सौंपा गया जो कांग्रेस सरकार को रिश्वत दिया करते थे। मालवीय ने इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सवाल पूछा कि उस समय के यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से इस बारे में जवाबदेही की जानी चाहिए।
मालवीय का मानना है कि यह दुर्घटना कांग्रेस सरकार के समय की नीतियों और उनके भ्रष्टाचार का परिणाम है। उन्होंने इस घटना के माध्यम से कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया और कहा कि जनता के जीवन से खिलवाड़ करके कांग्रेस ने अपने फायदे के ठेके दिए।
बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप
इस हादसे के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस ने बीजेपी के दावों को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार के आरोप सरकार की अपनी विफलताओं को छिपाने का प्रयास है। विपक्ष ने मोदी सरकार पर विकास कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि केवल पुरानी सरकारों को दोष देना समाधान नहीं है, वर्तमान सरकार को भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए।
घटना की जांच और सुरक्षा मानकों पर सवाल
केंद्र सरकार ने भी इस घटना के बाद कहा कि जिस हिस्से की छत गिरी थी वह 2009 में बने टर्मिनल का ही हिस्सा था। अब इस घटना की जांच और सुरक्षा मानकों की समीक्षा की मांग उठ रही है। आम जनता भी इस हादसे से सकते में है और यह सवाल अब और प्रबल हो गया है कि एयरपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा और संरचना की जांच किन मानकों पर की जाती है।
यह घटना एक बड़ा सबक है जो निर्माण गुणवत्ता, सुरक्षा मानकों की समीक्षा और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से इतर आम जनता की सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है। उम्मीद है कि इस घटना से सीख लेते हुए सरकारें और प्रशासन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ज्यादा सजग होंगे।