निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने टोविनो थॉमस के साथ सार्वजनिक विवाद के बाद फिल्म 'वाजक्कु' को वीमियो पर मुफ्त में रिलीज़ किया

निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने टोविनो थॉमस के साथ सार्वजनिक विवाद के बाद फिल्म 'वाजक्कु' को वीमियो पर मुफ्त में रिलीज़ किया
Tarun Pareek
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निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने टोविनो थॉमस के साथ सार्वजनिक विवाद के बाद फिल्म 'वाजक्कु' को वीमियो पर मुफ्त में रिलीज़ किया

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक नया विवाद सामने आया है। निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने अभिनेता टोविनो थॉमस के साथ एक सार्वजनिक विवाद के बाद अपनी 2022 की फिल्म 'वाजक्कु' (द क्वारल) को वीमियो पर मुफ्त में रिलीज कर दिया है।

सनल कुमार शशिधरन ने टोविनो थॉमस पर फिल्म की रिलीज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया, यह डरते हुए कि इससे उनके करियर को नुकसान होगा। हालांकि, टोविनो ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने फिल्म में 27 लाख रुपये का निवेश किया था और उन्हें इसकी वाणिज्यिक व्यवहार्यता को लेकर चिंता थी।

फिल्म को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ केरला में सराहना मिली थी, लेकिन फिल्म की वाणिज्यिक रिलीज में बाधा आई। निर्देशक ने कहा कि फिल्म को महामारी के दौरान 50 लाख रुपये के बजट से बनाया गया था और यह दर्शकों के लिए थी।

फिल्म निर्माण की चुनौतियाँ

महामारी के दौरान फिल्म निर्माण एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन सनल कुमार शशिधरन ने इस कठिन समय में भी फिल्म बनाने का साहस दिखाया। उन्होंने बताया कि फिल्म को सीमित संसाधनों और बजट के साथ शूट किया गया था।

फिल्म निर्माण के दौरान सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया गया था। कलाकारों और क्रू मेंबर्स को नियमित रूप से कोविड-19 टेस्ट करवाया जाता था। शूटिंग के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा गया था।

फिल्म का कथानक

'वाजक्कु' एक कोर्ट ड्रामा फिल्म है जो न्याय व्यवस्था और समाज में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालती है। फिल्म की कहानी एक महिला के इर्द-गिर्द घूमती है जिसने अपने पति द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।

फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से महिलाओं को न्याय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। साथ ही, यह भी दिखाया गया है कि किस तरह से समाज और कानूनी व्यवस्था महिलाओं के प्रति असंवेदनशील है।

फिल्म में टोविनो थॉमस और कनी कुसुम्बन अहम भूमिकाओं में हैं। दोनों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। फिल्म की कहानी दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है।

फिल्म का महत्व

'वाजक्कु' एक महत्वपूर्ण फिल्म है जो समाज में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालती है। यह फिल्म हमें याद दिलाती है कि हमारे समाज में महिलाओं को अभी भी न्याय और समानता के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

फिल्म महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और उनके संघर्ष को बेबाकी से दर्शाती है। यह फिल्म समाज को एक संदेश देती है कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा।

सनल कुमार शशिधरन ने इस फिल्म के माध्यम से एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है। उन्होंने महिलाओं के संघर्ष और न्याय की लड़ाई को बड़े पर्दे पर दिखाने का प्रयास किया है।

फिल्म को मुफ्त में रिलीज़ करने का निर्णय

निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने फिल्म को वीमियो पर मुफ्त में रिलीज करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म दर्शकों के लिए बनाई गई थी और वह चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देखें।

उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म को महामारी के दौरान सीमित संसाधनों के साथ बनाया गया था। ऐसे में फिल्म को मुफ्त में रिलीज करना उचित है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देख सकें।

सनल कुमार शशिधरन के इस फैसले की फिल्म इंडस्ट्री में सराहना हो रही है। कई लोगों ने उनके इस निर्णय को साहसिक बताया है। उम्मीद की जा रही है कि इससे फिल्म को देखने वालों की संख्या में इजाफा होगा।

निष्कर्ष

'वाजक्कु' एक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक फिल्म है जो हमारे समाज की एक बड़ी समस्या को उजागर करती है। सनल कुमार शशिधरन ने इस फिल्म के माध्यम से एक अहम मुद्दे को उठाया है।

फिल्म को मुफ्त में रिलीज करने का निर्णय भी सराहनीय है। इससे फिल्म के संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि यह फिल्म समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान देगी।

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