ईरान की अपील: युद्ध समाप्त करने के लिए अमेरिका की भूमिका
ईरान के पहले उप राष्ट्रपति मोहम्मद रजा अरेफ ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए अमेरिका सरकार से गाजा और लेबनान में इजराइल के कथित युद्धों को रोकने की अपील की है। उन्होंने इस्लामी सहयोग संगठन और अरब लीग के सम्मेलन में कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व वाली नई अमेरिकी सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इन युद्धों को समाप्त करने का प्रयास करें। अरेफ ने इजराइल की कार्रवाइयों को 'संगठित आतंकवाद' का नाम देते हुए उनकी निंदा की और कहा कि अमेरिका इजराइल का मुख्य समर्थक है, जो इन युद्धों को बढ़ावा दे रहा है।
अरेफ के इस बयान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह डोनाल्ड ट्रम्प की चुनावी विजय के संदर्भ में आया है। ट्रम्प ने अपनी चुनावी रैलियों में बार-बार यह वादा किया कि वे अमेरिका को युद्धों से बाहर निकालेंगे। लेकिन इसी के साथ यह भी ज्ञात है कि उन्होंने पहले इजराइल को गाजा में 'काम पूरा' करने की अनुमति देने के संकेत दिए थे। इज़राइल-हमास युद्ध की बात करें तो इज़राइल ने हाल ही में हमास प्रमुख याह्या सिनवार और हिज़बुल्लाह के दीर्घकालिक नेता हसन नसरल्लाह जैसे कई वरिष्ठ विरोधियों को मार गिराया है।
इज़राइल की रणनीति: बेताबी से भरे हमले
यह भी मानने में थोड़ी आशंका नहीं है कि इजराइल द्वारा यहूदी हनीयेह की हत्या भी की गई है। इस पर भी अरेफ ने अपने वक्तव्य में प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रकार की लक्षित हत्याएं कानूनहीनता को बढ़ावा देती हैं और सुरक्षा तंत्र का दुरुपयोग कर नेताओं और नागरिकों की हत्या को प्रेरित करती हैं। इसे उन्होंने आतंकवाद का नाम दिया और शक्तिशाली अमेरिका सरकार से आग्रह किया कि वह इजराइल की इस नीति पर पुनर्विचार करें और इस प्रकार की हिंसा को रोके।
मध्य पूर्व में पश्चिमी भूमिका की गहराई और इ ज़राइल - फिलिस्तीन संघर्ष की प्रगाढ़ता ने क्षेत्र में तनाव को बढ़ा दिया है। इसे देखते हुए, ईरान की यह अपील कि अमेरिका मध्य पूर्व में तनाव को कम करने के लिए सीधे हस्तक्षेप करे, न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। अमेरिका के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह इस स्थिति को गंभीरता से ले और मध्य पूर्व के देशों के साथ एक सार्थक संवाद स्थापित करे, जिससे कि स्थायी शांति और स्थिरता प्राप्त की जा सके।
ईरान की इस अपील के बीच, यह देखना रूचिकर होगा कि नई अमेरिकी सरकार इस चुनौती का जवाब कैसे देती है। क्या वे पिछली सरकारों की तरह ही इजराइल का समर्थन जारी रखेंगे, या फिर नये तरीकों का अवलंबन कर एक विदेशी रननीतिकार के रूप में अपनी भूमिका निभाएंगे। यह समय दर्शाता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई सरकार किस प्रकार से चुनौतियों का सामना करेगी और क्षेत्र में शांति स्थापना में कितना योगदान देगी।