केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई 2024 की सुबह एक विनाशकारी भूस्खलन की घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस भूस्खलन ने मेप्पडी के पास के हिल क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस हादसे में कम से कम 54 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोगों के फंसे होने का डर है। लगातार भारी बारिश के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है, जिससे बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
केएसडीएमए और एनडीआरएफ की टीमें घटना स्थल पर
केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) ने तुरंत कार्रवाई करते हुए फायरफोर्स और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमों को घटनास्थल पर भेजा है। इसके साथ ही, एक और एनडीआरएफ टीम को वायनाड की ओर रवाना किया गया है। हादसे की गंभीरता को देखते हुए, कन्नूर डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स की दो टीमें भी बचाव कार्यों में मदद के लिए भेजी गई हैं। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, कई लोग अभी भी फंसे हुए हैं और उनकी हालत गंभीर हो सकती है।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का बयान
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया कि राज्य सरकार के सभी विभाग बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। उन्होंने जनता से शांत रहने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है और इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं: 9656938689 और 8086010833।
हवाई समर्थन भी तैनात
भारतीय वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर, जिनमें एक Mi-17 और एक ALH शामिल हैं, को सुबह 7:30 बजे सुलुर से उड़ान भरने के लिए तैयार किया गया है ताकि वे बचाव और समर्थन कार्यों में मदद कर सकें। यह कदम बचाव अभियानों को तेज़ी से पूरा करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
प्रधानमंत्री और अन्य नेता भी जुटे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्थिति पर ध्यान देते हुए केंद्र सरकार से सभी सहायता का आश्वासन दिया है। वहीं, राहुल गांधी ने भी सभी यूडीएफ कार्यकर्ताओं से प्रशासन की मदद करने की अपील की है।
भूस्खलन की घटनाएं विशेष रूप से पहाड़ी और वन क्षेत्रों में आमतौर पर मानसून सीजन में होती हैं, लेकिन इस बार की घटना ने कई घरों और जान-माल को काफी नुकसान पहुँचाया है। स्थानीय प्रशासन ने भी सभी नागरिकों से सुरक्षित स्थानों पर जाने और बारिश के चलते और अधिक सतर्क रहने की सलाह दी है।
इस आपदा ने एक बार फिर ध्यान खींचा है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए ठोस रणनीति और तत्परता कितनी जरूरी होती है। राज्य और केंद्र सरकार को इस आपदा के बाद पुनर्निर्माण के लिए भी ठोस योजनाएं बनानी होंगी ताकि प्रभावित क्षेत्रों को जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में लाया जा सके।
अब पूरा राज्य इस आपदा से उबरने के लिए एकजुट होकर काम कर रहा है, लेकिन इस समय सबसे बड़ी जरूरत तेजी से राहत और बचाव कार्यों को पूरा करने की है। आने वाले दिनों में मौसम विभाग ने और भी बारिश की संभावना जताई है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। ऐसे में प्रशासन को और भी मुस्तैद रहने की जरूरत है।