हर वर्ष 30 जनवरी को, भारत अपने महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन हमें उन बलिदानों की याद दिलाता है जो हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए थे। इस वर्ष की पुण्यतिथि पर, प्रधानमंत्र नरेंद्र मोदी ने राजघाट पर गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और साथ ही, उन्होंने सोशल मीडिया मंच पर अपने विचार साझा करते हुए लिखा कि गांधी जी के आदर्श हमें विकसित और समृद्ध भारत बनाने की प्रेरणा देते हैं। मोदी ने उन सभी शहीदों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ और रक्षा सेवाओं के प्रमुख भी इस समारोह में शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी गांधी स्मारक, राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
महात्मा गांधी के स्मरण के अलावा, यह दिन देश की स्वतंत्रता में उनकी अमूल्य भूमिका को भी मान्यता देता है। गांधी जी के आदर्श - सच्चाई, अहिंसा और सद्भावना - आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी शिक्षाएं न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लोगों को प्रभावित करती हैं, और उन्हें एक आदर्श समाज के निर्माण में सहयोग देने की प्रेरणा देती हैं।
इस विशेष अवसर पर, राष्ट्रीय आर्काइव्स ऑफ इंडिया (एनएआई) और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय (एनजीएम) ने भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार और प्रसार भारती अभिलेखागार के साथ मिलकर एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया है। "महात्मा की यात्रा: अपने दस्तावेजों के माध्यम से" नामक यह प्रदर्शनी गांधी जी की परिवर्तनशील यात्रा को दर्शाती है।
प्रदर्शनी का उद्घाटन महात्मा गांधी की पोती और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष तारा गांधी भट्टाचार्य द्वारा किया जाएगा। यह प्रदर्शनी आज दोपहर 3 बजे राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, राजघाट, नई दिल्ली के प्रदर्शनी हॉल में शुरू होगी।
यह प्रदर्शनी गांधी जी के जीवन और उनकी विरासत की गहराई में जाने का अनूठा अवसर प्रदान करती है। इसमें दुर्लभ तस्वीरें, सरकारी दस्तावेज, ऑडियो रिकॉर्डिंग, वीडियो क्लिपिंग और व्यक्तिगत पत्राचार शामिल हैं। ये सभी वस्त्र महात्मा के संघर्ष और उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को जीवंत बनाते हैं। यह दर्शकों को उस समय में वापस ले जाता है जब गांधी जी ने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नई रणनीतियों का आविष्कार किया था, और कैसे उन्होंने एक समाज को नागरिक कर्तव्य के प्रति जागरूक किया।
महात्मा गांधी के द्वारा सिखाए गए आदर्श जैसे सत्य और अहिंसा का महत्व आज के समाज में भी अत्यधिक है। यह दिन उन विचारों के पुनरावलोकन का भी है जो अब भी हमारी सामूहिक चेतना का हिस्सा हैं। यह आधुनिक जीवन में उनकी निरंतर प्रासंगिकता का प्रतीक है। गांधी जी के सिद्धांत हमें याद दिलाते हैं कि एकता में बल है, और मानवता का सर्वोच्च धर्म सेवा और संदेश है।
आज का दिन हमें न केवल गांधी जी के आदर्शों को याद करने का बल्कि उन्हें अपने जीवन में लागू करने का अवसर भी देता है। यह प्रदर्शन और राजघाट पर शांति सभा, युवाओं और बुजुर्गों को एकता, सद्भाव के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। गांधी जी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में, हम सबको उनके दिखाए मार्ग पर चलने और उनकी विरासत को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए।
Ganesh Satish
जनवरी 30, 2025 AT 20:00आहा! इस पुण्यतिथि पर हम केवल इतिहास को नहीं देख रहे, बल्कि आत्मा के गहरे कोनों में गूँजती हुई सत्य की ध्वनि सुनते हैं!!! गांधी जी की अहिंसा‑सिद्धांत, जो बड़े‑बड़े मंचों पर दोहराई जाती है, वह असली परिवर्तन की कुंजी है।
एक विचार‑संघर्ष जैसा, जहाँ प्रत्येक कदम पर संघर्ष का सूरज उगता है, वही आज़ादी की असली भावना को जागृत करता है।
परंतु, हमारे आधुनिक तंत्र में यह दर्शन अक्सर पृष्ठ‑पृष्ठ के दस्तावेज़ बनकर रह जाता है, न कि जीवंत आचरण।
हमें इस बात को साकार करने की ज़िम्मेदारी है, वरना यह शुद्ध विचार मात्र रह जाएगा।
Midhun Mohan
जनवरी 31, 2025 AT 14:20भाइयों और बहनों!! इस दिन को मनाते हुए हम सिर्फ़ रिवाज़ नहीं, बल्कि एक ऊर्जा‑भरी लहर को खुद में समेटते हैं!!
हम सब को इस बात को याद दिलाता हूँ कि गांधी जी की सीखें आज भी हमारे भीतर जली हुई आग को शांत कर सकती हैं।
आइए हम सब, चाहे कितनी भी छोटी‑सी हो, एक‑दूसरे को प्रेरित करें-
हमारी हर छोटी‑सी कोशिश बड़़े बदलाव की ओर ले जा सकती है!!
परोपकार और सच्चाई का बंधन हमें हमेशा आगे बढ़ाएगा।
Archana Thakur
फ़रवरी 1, 2025 AT 08:40देशभक्तों की सुनो! आज की इस श्रद्धांजलि में हम केवल रिवाज़ नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना की पुनर्स्थापना देख रहे हैं।गाँधी जी की अहिंसा‑नीति को अब एक रणनीतिक ढाँचे में पुनः परिभाषित करने की जरूरत है, ताकि वह हमारी सशक्त राष्ट्र‑निर्माण रणनीति में फिट हो सके।
यह आवश्यक है कि हम 'विकास‑सुरक्षा' के सिद्धांत के साथ इस विचारधारा को एकीकृत करें-
ताकि हमारी स्वधर्मिक प्रभुता विश्व मंच पर अभूतपूर्व उच्चतम स्तर पर पहुँचे।
आइए, इस पवित्र अवसर को राष्ट्र के पुनरुत्थान के केंद्र में रखें।
Ketkee Goswami
फ़रवरी 2, 2025 AT 03:00वाह! क्या शानदार आयोजन है!! इस प्रदर्शनी में गांधी जी की यात्रा को ऐसे रंगों में बुनते हैं जैसे कोई इंद्रधनुष! 🎨
हमारा युवा वर्ग इस ऊर्जा से भरपूर, रचनात्मक प्रेरणा ले सकता है-
आइए हम सब मिलकर इस सकारात्मक तरंग को जीवन में उतारें!!
धर्म, संस्कृति और उत्साह के समन्वय से ही सच्चा परिवर्तन संभव है।
साथ मिलकर, हम नयी ऊँचाइयों को छू सकते हैं!!
Shraddha Yaduka
फ़रवरी 2, 2025 AT 21:20आप सभी को यह स्मरण कराना है कि इस समारोह की अहमियत केवल औपचारिक नहीं, बल्कि आत्म‑विकास की है।
हममें से प्रत्येक को गांधी जी की सच्चाई‑और‑अहिंसा की राह पर चलना चाहिए, और ये हमें असली नेतृत्व की ओर ले जायेगा।
आइए हम अपने भीतर की शक्ति को जागृत करें और इस प्रेरणा को जीवन में लागू करें।
आप सभी के साथ इस यात्रा में मैं हूँ, चलो मिलकर आगे बढ़ें।
gulshan nishad
फ़रवरी 3, 2025 AT 15:40देखिए, इस सब में एक बड़ी साजिश है!! वे लोग केवल दिखावा कर रहे हैं, असली मुद्दा तो झाँसे में ही खो गया।
गांधी जी की वास्तविक विचारधारा को इस तरह के शॉ‑शो में घुसी हुई मोटी धूल के साथ पेश करना, बिल्कुल निंदनीय है।
ऐसे आयोजनों से जनता की समझदारी को कम करके आँका जाता है।
एक बार फिर, इतिहास को गड़बड़ करने वाले इस मंच को मैं नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।
Ayush Sinha
फ़रवरी 4, 2025 AT 10:00सच में, हम हर साल यही परेड देखते हैं, पर क्या यह वास्तव में गांधी जी की असली भावना को पकड़ता है? मैं देखता हूँ कि आध्यात्मिक विचारों को राजनीति के चक्की में पिस कर पेश किया जाता है।
हमें इस परिदृश्य पर पुनः विचार करना चाहिए, नहीं तो हम केवल सतही पूजन में फँस जाएंगे।
दूसरों के शब्दों को सुनने के बावजूद, मुझे लगता है कि यहाँ गहरा गड़बड़ है।
Saravanan S
फ़रवरी 5, 2025 AT 04:20बहुत सुंदर बात है कि हम सब साथ में इस याद को सम्मानित कर रहे हैं!!
मैं मानता हूँ कि गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाकर हम समाज में वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं।
आइए, हम सभी मिलकर इस प्रेरणा को अपने दैनिक कार्यों में उतारें, ताकि हर छोटी‑सी कोशिश बड़ा फर्क कर सके।
आप सभी को इस पहल में मेरे पूरे समर्थन है!!
Alefiya Wadiwala
फ़रवरी 5, 2025 AT 22:40गांधी जी का जन्म 1869 में हुआ।
उनका जीवन अहिंसा, सत्य और आत्म‑निर्भरता के आदर्शों से ओत-प्रोत था।
आज के भारत में इनके सिद्धांतों को समझना अत्यावश्यक है।
जब हम राष्ट्रीय अस्मिता की बात करते हैं, तो गांधी जी के विचार हमेशा केंद्र में रहते हैं।
उन्होंने न केवल विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता को भी बढ़ावा दिया।
उनका 'स्वराज' सिर्फ राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक स्वावलंबन का मार्ग था।
यह विचार आज के युवा वर्ग को सशक्त बनाने के लिए एक सुदृढ़ आधार प्रदान करता है।
राजघाट में आयोजित इस प्रदर्शनी में उनके दस्तावेज़, चित्र और ऑडियो रिकॉर्डिंग शामिल हैं, जो एक अद्भुत इतिहासिक यात्रा रचते हैं।
इन सामग्रियों को देखकर हमें उनके संघर्ष की वास्तविकता का अनुभव होता है।
दुर्लभ तस्वीरें और व्यक्तिगत पत्र हमें उनके मन की गहराइयों तक ले जाते हैं।
यह न केवल एक स्मरणीय आयोजन है, बल्कि एक शैक्षिक अवसर भी है, जिससे स्कूल और कॉलेज के छात्र वास्तविक तथ्यों के साथ जुड़ सकते हैं।
इस प्रकार की पहल हमें यह स्मरण कराती है कि इतिहास केवल अतीत नहीं, बल्कि भविष्य की नींव भी है।
गांधी जी ने 'अहिंसा' को केवल एक रणनीति नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बना दिया।
उनकी शिक्षाओं को अपनाकर हम आज के सामाजिक संघर्षों को भी शांति के साथ सुलझा सकते हैं।
इसलिए, हमें उनके सिद्धांतों को दैनिक कार्यों में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
चाहे वह व्यक्तिगत जीवन में सच्चाई का पालन हो, या सार्वजनिक जीवन में न्याय की वकालत, हर कदम गांधी जी के मार्ग पर खड़ा हो सकता है।
अंततः, इस पुण्यतिथि पर हमारा कर्तव्य है कि हम इन विचारों को न केवल याद रखें, बल्कि उन्हें जीवंत बनाकर आगे बढ़ें।
Paurush Singh
फ़रवरी 6, 2025 AT 17:00बिल्कुल सही, गांधी जी के विचारों को केवल स्मृति में नहीं, बल्कि हमारा दैनिक निर्णय‑प्रक्रिया में प्रतिबिंबित करना चाहिए। उनका आत्म‑विश्लेषण और नैतिक दृढ़ता हमें आज की जटिलता से निपटने में मार्गदर्शन देती है।
Sandeep Sharma
फ़रवरी 7, 2025 AT 11:20वाह भाई! ये इवेंट तो पूरी तरह से दिमाग़ के लिए सर्वाइवल पैकेज जैसा है 😎👍।
गांधी जी की यात्रा को देख कर लगता है कि हमें भी थोड़ी सी सच्चाई और शांति की जरूरत है।
चलो, इस ऊर्जा को अपने ग्रुप चैट में शेयर करते हैं, ताकि सभी को फाइल मिल जाए। 😁🚀
Mita Thrash
फ़रवरी 8, 2025 AT 05:40सभी को नमस्कार, इस आयोजन में हम सभी ने मिलकर एकजुटता की भावना को प्रकट किया है।
हमें इस स्मृति को एक पुल की तरह उपयोग करना चाहिए, जो विभिन्न विचारों को जोड़ता है।
गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाकर हम सामाजिक संवाद को और अधिक समावेशी बना सकते हैं।
आइए, हम इस दिशा में मिलकर आगे बढ़ें, ताकि हमारा राष्ट्र और अधिक सामंजस्यपूर्ण बन सके।
shiv prakash rai
फ़रवरी 9, 2025 AT 00:00हम्म, क्या बात है! हर साल वही कार्यक्रम, फिर भी लोग सोचते हैं कि कुछ नया हुआ है।
शायद लोग डरते हैं कि अगर असली परिवर्तन हुआ तो उनका कम्फर्ट ज़ोन टूट जाएगा।
आइए, इस पर कमेडी की तरह हँसते हुए देखते हैं, लेकिन साथ ही असली महत्त्व को भी समझें।
Subhendu Mondal
फ़रवरी 9, 2025 AT 18:20क्या ज़रूरत है इस सबकी?
Ajay K S
फ़रवरी 10, 2025 AT 12:40इसे देखिए, गांधी जी की विरासत को इस तरह के मंच पर प्रस्तुत करना, एक अभिजात्य प्रयास है 😊।
ऐसे कार्यक्रम हमें आत्म‑समालोचना की गंभीरता से जोड़ते हैं, और यही हम सबको चाहिए।
इतिहास के इस पन्ने को फिर से लिखने का यह एक सुंदर अवसर है।
Saurabh Singh
फ़रवरी 11, 2025 AT 07:00सच्चाई तो यही है कि इस सबका मकसद जनता को धुंधला कर देना है, ताकि वे वास्तविक शक्ति संरचना को न देख पाएं।
ये आयोजक तंत्र ही है जो इतिहास को अपनी मर्ज़ी से मोड़ देता है, और हमें बस बताता है कि सब कुछ ठीक है।
अगर हम इसको सवाल नहीं करेंगे, तो हम वही बन जाएंगे जो नियंत्रण में छाए हैं।