पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगुली के 'ममता बनर्जी की कीमत क्या है' वाले बयान से विवाद, TMC ने EC से की शिकायत

पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगुली के 'ममता बनर्जी की कीमत क्या है' वाले बयान से विवाद, TMC ने EC से की शिकायत
Tarun Pareek
राजनीति 0 टिप्पणि
पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगुली के 'ममता बनर्जी की कीमत क्या है' वाले बयान से विवाद, TMC ने EC से की शिकायत

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तामलुक उम्मीदवार और पूर्व कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गांगुली एक विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। दरअसल, एक रैली के दौरान गांगुली का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की 'कीमत' पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं।

वीडियो में गांगुली संदेशखाली स्टिंग का जिक्र करते हुए कह रहे हैं कि ममता बनर्जी को एक निश्चित रकम के लिए 'खरीदा' गया था। उन्होंने यह भी कहा कि एक महिला दूसरी महिला पर आरोप कैसे लगा सकती है, 'क्या वह महिला भी है?' गांगुली के इस बयान की टीएमसी ने कड़ी निंदा की है और इसे 'खुला महिला विरोधी' करार दिया है।

टीएमसी ने इस मामले में चुनाव आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि गांगुली के इस बयान से पश्चिम बंगाल की सभी महिलाओं का अपमान हुआ है। वहीं, भाजपा ने इस वीडियो को 'फर्जी' बताते हुए खारिज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि यह टीएमसी द्वारा उनकी छवि खराब करने की साजिश है।

गौरतलब है कि हाल ही में संदेशखाली स्टिंग सामने आया था, जिसमें दावा किया गया था कि टीएमसी नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए महिलाओं को पैसे दिए गए थे। इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त बवाल मचा दिया है।

टीएमसी नेता शांतनु सेन और कीर्ति आजाद समेत कई नेताओं ने गांगुली के बयान की निंदा की है। शांतनु सेन ने कहा, "अभिजीत गांगुली जैसे लोग न केवल महिलाओं का, बल्कि पूरे समाज का अपमान कर रहे हैं। गांगुली को अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।"

वहीं, भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा, "यह वीडियो पूरी तरह से फर्जी और भ्रामक है। टीएमसी इस तरह के हथकंडों के जरिए लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। हमारी पार्टी के नेता ऐसी कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।"

आचार संहिता का उल्लंघन?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गांगुली का यह बयान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो सकता है। पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में मतदान हो रहा है और अंतिम चरण का मतदान 29 अप्रैल को होना है।

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को आपत्तिजनक भाषा और व्यक्तिगत हमलों से बचने की हिदायत दी है। हालांकि, प्रचार के दौरान कई नेता इस तरह के विवादित बयान देते रहे हैं।

गांगुली के बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा हो रही है। कुछ लोगों ने इसकी निंदा करते हुए गांगुली को महिलाओं का अपमान करने वाला बताया है, तो वहीं कुछ ने टीएमसी पर ऐसे वीडियो के जरिए झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया है।

ममता बनर्जी पर निशाना

अभिजीत गांगुली पहले भी कई बार ममता बनर्जी और टीएमसी पर निशाना साध चुके हैं। पिछले साल उन्होंने ममता सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया था।

भाजपा में शामिल होने के बाद गांगुली ने कहा था कि वह पश्चिम बंगाल को टीएमसी के 'तानाशाही शासन' से मुक्त कराना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया था कि राज्य में लोकतंत्र खतरे में है और भाजपा ही इसे बचा सकती है।

हालांकि, टीएमसी का कहना है कि गांगुली भाजपा के एजेंडे को पूरा करने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। पार्टी ने उन पर महिलाओं के खिलाफ असंवेदनशील और आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है।

निष्कर्ष

पश्चिम बंगाल में सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ टीएमसी के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। ऐसे में अभिजीत गांगुली का यह विवादित बयान चुनावी माहौल को और गर्मा सकता है।

चुनाव आयोग को इस मामले में संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, राजनीतिक दलों और नेताओं को भी संयम बरतने और ऐसी टिप्पणियों से बचने की जरूरत है, जो समाज में नकारात्मक संदेश भेजती हों।

आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में और भी सियासी हलचल देखने को मिल सकती है। ऐसे में सभी पक्षों को अपने बयानों और व्यवहार पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि चुनावी प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

ऐसी ही पोस्ट आपको पसंद आ सकती है