दूध हर भारतीय के रोज़मर्रा का हिस्सा है, इसलिए दुग्ध उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाता है। 2023‑24 में भारत ने लगभग 22 करोड़ टन दूध उत्पादन किया, जो दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादन है। इस आंकड़े में छोटे‑छोटे किसान का योगदान बहुत अहम है, क्योंकि लगभग 80 % दूध छोटे पैमाने पर निकाला जाता है।
मुख्य दूध‑उत्पादक राज्य—पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र—कुल उत्पादन का दो‑तीहाई हिस्सा संभालते हैं। इन राज्यों में कई लाख छोटे पासा वाले किसान हैं जो रोज़ाना 5‑10 लीटर दूध बेचते हैं। ग्रामीण स्तर पर दूध को कच्चा बेचा जाता है, जबकि शहरों में टाटा कैफ़े, अमूल और प्रोडी जैसे बड़े ब्रांड उच्च गुणवत्ता वाले प्रोसेस्ड दूध बेचते हैं।
दूध की कीमतें स्थानीय मांग‑सप्लाई, मौसम और सरकारी नीतियों से तीव्र रूप से बदलती हैं। माइंडरज्य (किशोर) को डर है कि अगर कीमतें गिरती रहें तो किसान नुकसान में पड़ेंगे, इसलिए कई राज्यों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू किया है। साथ ही, दूध मंडियों में थोक में खरीदारों और विक्रेताओं के बीच मध्यस्थता फीस भी लागत बढ़ा देती है।
सरकारी योजनाओं जैसे डैairy सँकेज परियोजना, कुशल दूध उत्पादन संरचना (KLF) और राष्ट्रीय दुग्ध मिशन ने फसल‑जैसे बीज, साज‑सामान और प्रशिक्षण के माध्यम से किसान की आय बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इन योजनाओं से छोटे किसान को आधुनिक मिल्किंग टूल, ठंडा भंडारण और भरोसेमंद बाज़ार मिल रहा है।
बड़े चुनौतियों में से एक है ठंडा श्रृंखला (कोल्ड‑चेन) का अभाव। कई ग्रामीण इलाकों में दूध को एक ही दिन में संसाधित नहीं किया जाता, जिससे खराबी और आर्थिक नुकसान बढ़ता है। इससे बचाव के लिए मोबाइल मिल्किंग यूनिट और सौर‑सक्षम रेफ्रिजरेशन बॉक्स का प्रयोग बढ़ रहा है।
तकनीकी मदद भी धीरे‑धीरे उद्योग में आ रही है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसे दूध‑बाजार ऐप्स ने किसान और कलीक्टर के बीच सीधे संपर्क सम्भव किया है, जिससे दलाली के खर्च घटते हैं। साथ ही, बीएसएफ‑आधारित प्रोटीन फ़ीड और जीन‑एडिटेड पशु प्रजातियों की পরীক্ষाएं उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
उपभोक्ता की ज़रूरतें भी बदल रही हैं। आज लोग सिर्फ कच्चा दूध नहीं, बल्कि पॉलिश्ड, एन्हांस्ड, लो‑फ़ैट और प्रो‑बायोटिक विकल्प चाहते हैं। फल‑बेस्ड दही, स्किम्ड मिल्क और पेय‑आधारित स्नैक्स ने बाजार में नई जगह बना ली है। इस ट्रेंड का फायदा उठाने वाले स्टार्ट‑अप्स फाइन‑डाइनिंग रेस्तरां और हेल्थ‑कंस्युमर दोनों को टारगेट कर रहे हैं।
भविष्य की दृष्टि में, अगर सरकार ठंडा भंडारण, गूदे‑बढ़ाने वाले फीड और बेहतर मूल्य संरक्षण पर ध्यान दे, तो दुग्ध उद्योग स्थिर वृद्धि कर सकता है। साथ ही, निर्यात‑उन्मुख प्रोसेस्ड फ्रॉम जैसे रेवन्यू‑मैटर और फ्रेश‑डेली दूध को बढ़ावा देने से नई राजस्व धाराएं खुलेंगी।
संक्षेप में, भारत का दुग्ध उद्योग विशाल संभावनाओं वाला है, लेकिन उसे टिकाऊ बनाना आसान नहीं। किसान, उद्योग भागीदार और नीति निर्माता को मिलकर काम करना होगा—बेहतर तकनीक, मजबूत ठंडा श्रृंखला और पारदर्शी मूल्य‑निर्धारण से ही दूध की पूरी कीमत किसानों तक पहुँचेगी और उपभोक्ता को भी गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलेगा।
सितंबर 23, 2025
Amul और Mother Dairy, भारत के दो बड़े दुग्ध ब्रांड, दैनिक मिल्क प्रोसेसिंग वॉल्यूम और वित्तीय प्रदर्शन में प्रमुख हैं। मई 2025 में दोनों ने दूध की कीमत में 1‑2 रुपये की बढ़ोतरी की, जिससे किसान‑उपभोक्ता दोनों पर असर पड़ा। इस लेख में हम उनके उत्पादन, बिक्री, मूल्य वृद्धि के कारण और संभावित प्रभावों को विस्तार से देखेंगे।
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