जस्टिस बीआर गवई का सत्कार और ऐतिहासिक शपथ
इतिहास ने एक नया मोड़ लिया जब जस्टिस भुषण रामकृष्ण गवई ने 14 मई 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर शपथ ली। वे न सिर्फ पहले बौद्ध बल्कि अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे व्यक्ति बने हैं जो मुख्य न्यायाधीश के उच्चतम पद तक पहुंचे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में बड़े सम्मान के साथ उन्हें शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसी हस्तियां मौजूद थीं। हर चेहरा कुछ अलग देखने और सुनने को तैयार था, क्योंकि इस बार इतिहास खुद बनते हुए दिखाई दिया।
शपथ ग्रहण की खास बात यह रही कि गवई ने न्यायपालिका से जुड़े अपने साथियों को 'जय भीम' कहकर अभिवादन किया। यह उनके सामाजिक आधार और प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। उनकी मां ने मीडिया से बातचीत में बताया कि यह सफलता गवई की मेहनत और अथक प्रयासों का नतीजा है, जो कभी भी किसी शॉर्टकट पर विश्वास नहीं रखते थे।
करियर की यात्रा और प्रमुख फैसले
1985 से कानूनी सफर शुरू करने वाले जस्टिस गवई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में राजा एस. भोंसले के अधीन वकालत की। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट का हिस्सा बन जाने के बाद, उनका अनुभव लगातार बढ़ता गया। साल 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त किया गया। तब से वे कई संवैधानिक फैसलों के केंद्र में रहे।
2023 में जब सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के विशेष दर्जे को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया, तब भी गवई संविधान पीठ के अहम सदस्य थे। उनके फैसलों में संतुलन, संवेदनशीलता और संविधान के मूल्यों की झलक साफ दिखाई देती है।
गवई की नियुक्ति, न्याय प्रणाली में सामाजिक विविधता और प्रतिनिधित्व की मजबूती का भी संकेत देती है। उनके कार्यकाल से उम्मीद है कि न्यायिक सुधारों और संवैधानिक व्याख्याओं पर उनका खास जोर रहेगा—चाहे वह न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने की पहल हो या फिर न्यायिक जवाबदेही बढ़ाने का कदम। छह महीने के इस छोटे पर अहम कार्यकाल में उनकी न्यायिक सोच के कई रंग देखने को मिलेंगे।
जस्टिस गवई का यह ऐतिहासिक चयन न केवल उनके करियर की उपलब्धि है, बल्कि वंचित समुदायों और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरणा का प्रतीक भी बन गया है। अब सभी की नजरें उनके न्यायमूर्ति कार्यों और नए सुधारों पर टिकी रहेंगी।