भारत-पाकिस्तान क्रिकेट में तीव्र तनाव: पहल्गाम हमले के बाद हाथ मिलाने पर हुआ प्रतिबंध

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट में तीव्र तनाव: पहल्गाम हमले के बाद हाथ मिलाने पर हुआ प्रतिबंध
Ranjit Sapre
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भारत-पाकिस्तान क्रिकेट में तीव्र तनाव: पहल्गाम हमले के बाद हाथ मिलाने पर हुआ प्रतिबंध

जब सौर्यकुमार यादव, भारत के कप्तान ने पहल्गाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ खेली जाने वाली टी‑शर्ट पर अभद्र टिप्पणी सुनी, तो भारतीय क्रिकेट का माहौल आग की तरह गरम हो गया। यही नहीं, बरसात के दो हफ्ते पहले मोहम्मद यूसुफ, पूर्व पाकिस्तानी बॉलर ने सोशल मीडिया पर खुली‑खुली नस्लवादी गालियाँ उड़ाईं, जिससे सीमा‑पार खेल‑राजनीति पूरी तरह धुंधली पड़ गई।

पहल्गाम हमले ने किस तरह जलाया क्रिकेट का बंधन?

जुलाई‑2025 में कब्बाली‑हिमाचल प्रदेश के पहल्गाम में घातक बम विस्फोट हुआ, जिसमें कई नागरिकों की जान गई। इस हमले की प्रतिध्वनि तुरंत क्रिकेट जगत तक पहुंची, क्योंकि दोनों देशों की टीमें अक्सर एक‑दूसरे के खिलाफ टूर पर आती हैं। भारतीय धावकों ने इस घटना को ‘राष्ट्रविरोधी’ कहा और कई वरिष्ठ सुरेश रैना, हरभजन सिंह, इरफ़ान पथान और शिखर धवन ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्धारित मैच से बाहर होने का फैसला किया। टॉर्नामेंट आयोजकों को अंततः इस हाई‑प्रोफ़ाइल टकराव को रद्द करना पड़ा—एक कदम जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहले कभी नहीं देखा गया।

हाथ मिलाने का विवाद: एक नया ‘नॉन‑एंगेजमेंट’ प्रोटोकॉल

एशिया कप 2025 की फाइनल में, जब सालमान अली आघा ने भारतीय कप्तान सौर्यकुमार यादव को हाथ नहीं मिलाया, तो दर्शकों का दिल थरथरा गया। वही दृश्य ICC महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 में भी दोहराया गया, जहाँ हर्मनप्रीत कौर और उसकी टीम ने भी हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। भारतीय ऑल‑राउंडर राहुल तेवातिया ने कहा, “यह हमारा सामूहिक निर्णय है, हर भारतीय समर्थक को इससे जुड़ना चाहिए।”

प्रमुख हस्तियों और संगठनों की प्रतिक्रियाएँ

पाकिस्तानी कप्तान शाहिद अफरदी ने तर्क दिया कि "खेल में राजनीति नहीं" होनी चाहिए, लेकिन कई विशेषज्ञों ने उनकी पिछली विवादास्पद टिप्पणियों को याद दिलाया। इसके बीच भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने एसीसी के चेयरमैन नवेश इक़बाल़ नाकवी पर ‘ट्रॉफी प्रस्तुति’ में पक्षपात का आरोप लगाया। नाकवी ने जवाब दिया कि “ट्रॉफी व्यक्तिगत रूप से ही ली जानी चाहिए, ये प्रोटोकॉल को सम्मानित करने का एक तरीका है।”

इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने मैच रेफ़री एंडी पाइक्राफ्ट को “हाथ मिलाने के मुद्दे में कोई गलती नहीं” ठहराते हुए पाकिस्तान की औपचारिक शिकायत को खारिज कर दिया। यह फैसला दोनों देशों के बीच की तनावपूर्ण स्थिति को और गहरा कर गया।

क्षेत्रीय समर्थन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

सिर्फ भारत‑पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि सिंगापुर, मलयेशिया और इंडोनेशिया ने भी भारत के साथ खड़े होकर ‘हाथ नहीं मिलाने’ की नीति को सराहा। शाहिद अफरदी के तहत पाकिस्तान ने कहा कि “हम केवल खेल के माध्यम से रिश्ते सुधारना चाहते हैं, लेकिन जब विरोधी टीम स्पष्ट रूप से संवाद नहीं करना चाहती, तो हमें भी अपना कदम उठाना पड़ेगा।” भविष्य में क्या हो सकता है?

भविष्य में क्या हो सकता है?

आगामी महीने में कोलंबो के आर. प्रेमदास स्टेडियम में आयोजित होने वाला एक चीता‑सत्र मैच, जहाँ भारत‑पाकिस्तान दोनों टीमें फिर मिलेंगी, एक निर्णायक मोड़ बन सकता है। यदि भारतीय टीम फिर से हाथ नहीं मिलाती, तो यह ‘नॉन‑एंगेजमेंट’ का आधिकारिक मानक बन सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के प्रोटोकॉल दीर्घकालिक रूप से दोनों देशों के खेल‑रिश्तों को स्थायी रूप से बदल देंगे। क्रिकेट के अलावा, टेनिस, हॉकी और फुटबॉल में भी इस तरह के ‘राजनीतिक कर्दन’ की लहर देखी जा सकती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: टिप्पणीकारों और खिलाड़ियों में नस्लवाद

नवजोत सिंह सिद्धू ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद अपनी विवादास्पद टिप्पणी से आईपीएल में अपनी भूमिका खो दी थी। यही क्रम अब मोहम्मद यूसुफ की नस्लवादी भाषा में दोहराया जा रहा है—जिससे यह सवाल उठता है कि क्या क्रिकेट की टिप्पणी श्रेणी से इतने अत्यधिक शब्दों को बाहर करना संभव है।

  • पहल्गाम हमला: 3 जुलाई 2025
  • हाथ नहीं मिलाने की नीति: एशिया कप 2025 – अप्रैल 2025
  • महिला टीम का रिकॉर्ड: 11‑0 (ODI)
  • भविष्य का संभावित मैच: 14 अक्टूबर 2025, कोलंबो
  • मुख्य विरोधी: बीसीसीआई, आईसीसी, एसीसी

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

इस हाथ न मिलाने की नीति का भारत के दर्शकों पर क्या असर पड़ेगा?

दर्शक वर्ग में बहस तेज़ हो गई है। जहाँ कुछ लोग इसे राष्ट्रीय अभिमान का प्रतीक मानते हैं, वहीं कुछ युवा क्रिकेट प्रशंसक इसे खेल‑स्पिरिट के विरुद्ध मानते हैं। सोशल मीडिया पर लगभग 2.3 लाख ट्वीट्स इस मुद्दे पर हुए, जिनमें 60% लोगों ने भारत की स्थिति का समर्थन किया।

पाकिस्तान की टीम इस स्थिति को कैसे लेकर आगे बढ़ेगी?

पाकिस्तानी अड्डे ने कहा है कि वे खेल के माध्यम से संवाद स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है। अगली बैठक में एसीसी के प्रमुख नाकवी इस मुद्दे पर पुनः चर्चा करेंगे, जिससे संभावित नया समझौता तय हो सकता है।

आईसीसी ने इस विवाद में क्या फैसला किया?

आईसीसी ने मैच रेफ़री एंडी पाइक्राफ्ट को साफ़ करके कहा कि उन्होंने हाथ नहीं मिलाने की कोई गलती नहीं की, और पाकिस्तान की औपचारिक शिकायत को खारिज कर दिया। इस निर्णय को कई देशों ने समर्थन दिया, परंतु कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि आईसीसी को एक स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाना चाहिए।

यदि भारतीय महिला टीम भी हाथ नहीं मिलाती तो क्या होगा?

हर्मनप्रीत कौर की टीम ने पहले ही यह नीति अपना ली है। यदि वे इस नीति पर कायम रहें, तो ICC को महिला खेल के लिए अलग प्रोटोकॉल तैयार करना पड़ेगा, जिससे भविष्य में महिला क्रिकेट में भी इसी तरह की राजनयिक टकराव की संभावना बढ़ सकती है।

क्या इस विवाद से भारत‑पाकिस्तान के अन्य खेलों पर असर पड़ेगा?

विश्लेषकों का मानना है कि यह पहले की तुलना में काफी गंभीर है। पहले केवल क्रिकेट का मामला था, पर अब टेनिस, हॉकी और फुटबॉल में भी ‘हाथ नहीं मिलाने’ की संभावनाएं दिख रही हैं, क्योंकि दोनों देशों के खेल अधिकारियों ने अब एकजुट प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है।

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