भारतीय मूल के अरबपति हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा शहर में स्थित उनके आलीशान विला में नौकरों के अवैध शोषण का दोषी पाया गया है। इस मामले में स्विट्ज़रलैंड की अदालत ने प्रकाश हिंदुजा (78) और कमल हिंदुजा (75) को 4 1/2 साल की जेल की सजा सुनाई है। इनके बेटे अजय हिंदुजा और बहू नम्रता को 4 साल की सजा दी गई है। इस मामले में पारिवारिक व्यवसाय प्रबंधक, नजीब ज़ियाज़ी को 18 महीने की निलंबित सजा मिली है।
शोषण का गंभीर आरोप
यह मामला तब सामने आया जब यह खुलासा हुआ कि परिवार द्वारा भारत से लाए गए नौकरों को स्विट्ज़रलैंड में दरों के मुताबिक़ वेतन नहीं दिया गया। इन नौकरों के पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे, उन्हें विला छोड़ने की अनुमति नहीं थी, और अत्यधिक घंटों तक न्यूनतम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि, हिंदुजा परिवार की कानूनी टीम ने इन आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि कर्मचारियों का सम्मानपूर्वक व्यवहार किया गया था और उन्हें उचित आवास दिया गया था।
न्यायिक प्रक्रिया और अपील
स्विट्ज़रलैंड की अदालत ने परिवार पर लगे मानव तस्करी के अधिक गंभीर आरोपों को खारिज कर दिया। परिवार ने इस फैसले के खिलाफ एक उच्च अदालत में अपील की है और पहले ही अभियोगियों के साथ एक अज्ञात राशि की समझौता कर चुके हैं। अभियोजन पक्ष ने इन गलतियों के लिए परिवार की संपत्तियाँ, जैसे कि हीरे, माणिक, प्लेटिनम हार और अन्य आभूषण को जब्त भी कर लिया है ताकि संभावित कानूनी शुल्क और दंड का भुगतान किया जा सके।
परिवार का कारोबार और संपत्ति
हिंदुजा परिवार के कारोबार की बात करें तो, उनके हित वित्त, मीडिया और ऊर्जा क्षेत्रों में फैले हुए हैं। परिवार छह सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी रखता है और उनकी सामूहिक संपत्ति कम से कम $14 अरब है। यह संपत्ति उन्हें एशिया के शीर्ष 20 सबसे धनी परिवारों में स्थान दिलाती है।
सम्मानित व्यवहार का दावा
परिवार के वकीलों ने तर्क दिया कि जिन कर्मियों की शिकायत सामने आई है, उनके साथ सम्मानजनक बर्ताव किया गया था और उन्हें उचित आवास प्रदान किया गया था। परिवार ने इस विषय में यह भी कहा कि कर्मचारी अपनी मर्जी से काम कर रहे थे और उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। हालांकि, अदालत ने इन तर्कों को खारिज कर दिया और परिवार को दोषी पाया। अब देखना यह है कि उच्च अदालत में अपील के बाद क्या परिणाम निकलता है।
जहां तक स्विट्ज़रलैंड का सवाल है, इस मामले ने श्रमिक अधिकारों और विदेशी कर्मचारियों की परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया है। इस प्रकरण से जुड़ी रिपोर्टों के अनुसार, न्यायालय के फैसले से उम्मीद की जा रही है कि यह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मिसाल कायम करेगा और आगे से ऐसी किसी भी घटना को रोकने में मदद करेगा।