चीन का सैन्य अभ्यास और ताइवान की प्रतिक्रिया
चीन ने ताइवान के समीप अपने सैन्य अभ्यास का दूसरा दिन प्रारंभ किया है, जिसे 'ज्वाइंट स्वॉर्ड-2024A' नाम दिया गया है। इस अभ्यास का उद्देश्य ताइवान की आत्मनिर्भर द्वीपीय सुरक्षा को चुनौती देना और यह परखना है कि चीन की सेना कितनी प्रभावी ढंग से 'ग्रहण करने की शक्ति' रखती है। यह ताइवान के नव निर्वाचित राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के उद्घाटन भाषण के बाद शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने चीन से संवाद की उम्मीद जताई थी।
चीन के सैनिक प्रवक्ता ली शी के अनुसार, इस अभ्यास में वायु सेना, रॉकेट बल, नौसेना, सेना, और तट रक्षक की इकाइयां शामिल हैं। ली शी ने विशेष जोर देकर यह बताया कि यह ड्रिल्स शक्ति ग्रहण करने, संयोजन पर हमले, और महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर नियंत्रण करने की क्षमता का परीक्षण कर रही हैं।
ताइवान की तैयारी और असंतोष
ताइवान ने चीन के इन सैन्य अभ्यासों को 'असंगत और उग्र' बताया है। ताइवान ने अपने आत्म-रक्षा की तैयारियों के तहत नौसेना, वायुसेना और थलसेना को तैनात किया है। ताइवान के रक्षा विभाग के अनुसार, उनकी सेनाओं ने अपनी श्रेष्ठता और अपने देश की अखंडता की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, ये सैन्य अभ्यास ताइपे को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वो चीनी हमले के प्रति संवेदनशील है। इसके साथ ही, यह अमेरिका को यह संदेश देने का प्रयास है कि ताइवान को अस्थाई मदद पहुँचाने या सुदृढीकरण पहुंचाने के प्रयास भी चीनी मिसाइल हमलों और नौसेना के हमलों के प्रति असुरक्षित हैं।
सैन्य तुलना: चीन बनाम ताइवान
चीन और ताइवान के सैन्य बलों की तुलना की जाए तो, चीन का स्पष्ट लाभ है। चीन की सेना में सक्रिय कर्मियों की संख्या, रक्षा बजट, भूमि शक्ति, वायु शक्ति और नौसेना की शक्ति में बहुतायत है।
हालांकि, ताइवान के पास सैन्य भंडार अच्छे हैं और उसने अपने रक्षा बजट को बढ़ाया है। ताइवान ने अपने रक्षा कार्यक्रमों को मजबूत किया है और अमेरिका व अन्य देशों से हथियारों की खरीदारी भी की है। जापान से भी ताइवान को क्रमशः सहयोग मिल रहा है, जोकि पहले से अपने पुराने नीति से हटकर अब ताइवान के रक्षा को सक्रिय सहयोग दे रहा है।
ताइवान के लिए सीख: यूक्रेन के संघर्ष से
विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान यूक्रेन के संघर्ष से महत्वपूर्ण शिक्षा ले सकता है क्योंकि यूक्रेन ने रूस के आक्रमण का सामना करने में सफलता प्राप्त की है। उसी प्रकार, ताइवान भी अपनी रणनीतिक तैयारी और युद्ध कला को सुधारकर चीन के खतरे से निपट सकता है।
ताइवान की सरकार और सेना ने स्पष्ट किया है कि देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए सक्षम हैं। यह वक्त हम सभी के लिए उन कठिनाइयों को समझने का है जो ताइवान और उसके लोगों का भविष्य प्रभावित कर सकती हैं।