Holi 2025: सिमडेगा का कटहल बना यूपी-बिहार में होली की धूम का सितारा

Ranjit Sapre जुलाई 24, 2025 संस्कृति 14 टिप्पणि
Holi 2025: सिमडेगा का कटहल बना यूपी-बिहार में होली की धूम का सितारा

सिमडेगा का कटहल: होली के लिए यूपी-बिहार की पहली पसंद

त्योहार का मौसम आते ही बाजारों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है, खासकर जब बात होली की हो। होली केवल रंगों और मिठाइयों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस दौरान खाने-पीने की चीज़ों में भी नए ट्रेंड्स देखने को मिलते हैं। इस बार उत्तर प्रदेश और बिहार में सिमडेगा का कटहल जमकर छाया हुआ है। कटहल, जिसे अंग्रेजी में जैकफ्रूट कहते हैं, आमतौर पर गर्मियों की शुरुआत में पकता है लेकिन होली के आसपास इसकी मांग दोगुनी हो जाती है।

सिमडेगा, जो झारखंड का एक जिला है, वहां बड़े पैमाने पर कटहल की खेती होती है। यहां की मिट्टी और मौसम कटहल के लिए बिल्कुल मुफीद माने जाते हैं। वजह है- कटहल की सुगंध, स्वाद और उसका आकार। यूपी-बिहार के लोग इसमें खास तौर पर रुचि रखते हैं क्योंकि कटहल यहां के पारंपरिक व्यंजनों का भी हिस्सा है। चाहे सब्जी बनानी हो या पकौड़े, कटहल हर रूप में पसंद किया जाता है।

होली से पहले ट्रेडर्स की भागदौड़ और किसानों को फायदा

होली से दो-तीन हफ्ते पहले ही सिमडेगा के खेतों में तैयार कटहल की तुड़ाई शुरू हो जाती है। लोकल एजेंट और व्यापारी गांव-गांव जाकर सीधे किसानों से कटहल खरीदते हैं। ट्रकों और पिकअप वाहनों से यूपी-बिहार के प्रमुख बाजारों में इसकी सप्लाई की जाती है।

  • सिमडेगा से कटहल का 80% हिस्सा उत्तर भारत के राज्यों में जाता है
  • किसान इसे 20-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं, लेकिन यूपी-बिहार पहुंचते ही इसकी कीमत दोगुनी हो जाती है
  • ग्राहकों को ताजा और बड़े आकार का कटहल ही पसंद आता है, इसलिए व्यापारी फसल के छांटकर ही खरीदते हैं

किसानों के लिए यह सीजन फायदे का सौदा है। एक पक्‍का होली से पहले अच्छी कमाई की उम्मीद करता है। व्यापारी भी खूब मुनाफा कमाते हैं, क्योंकि इस मौसम में डिमांड बहुत तेज रहती है।

कटहल की बढ़ती डिमांड केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है; छोटे कस्बों और ग्रामीण बाजारों में भी होली पार्टी के लिए इसकी डिमांड बूम पर है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी, लखनऊ, पटना, गया जैसे बड़े शहरों के सब्जी बाजारों में सिमडेगा का कटहल 'स्पेशल' टैग के साथ बिकता है। ग्राहक इसे होली पार्टी पर सब्जी, बिरयानी या कबाब में तैयार करने के लिए खरीदते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि कटहल की कटाई, ट्रांसपोर्ट और बिक्री में स्थानीय मजदूरों और छोटे व्यापारियों को भी अच्छा रोजगार मिल जाता है। त्योहारों के इस मौसम में सिमडेगा का कटहल वहां के किसानों और व्यापारियों की कमाई में रंग भर देता है, तो वहीं बाकी राज्यों के लोगों की थाली में स्वाद का तड़का लगा देता है।

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    Holi 2025: सिमडेगा का कटहल बना यूपी-बिहार में होली की धूम का सितारा

    सिमडेगा का कटहल यूपी-बिहार समेत कई राज्यों में होली पर जबरदस्त डिमांड में है। त्योहार के मद्देनज़र इसकी बिक्री और आपूर्ति में खासा उछाल देखा जा रहा है। होली के खास व्यंजनों में कटहल की मांग स्थानीय किसानों और व्यापारियों के लिए बड़ी खुशखबरी बन चुकी है।

14 टिप्पणि

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    Ajay K S

    जुलाई 24, 2025 AT 18:45

    कटहल की ये होली धमाल, बिन रंग के नहीं! 😏

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    Saurabh Singh

    जुलाई 27, 2025 AT 16:12

    सभी ट्रेडर इस मौसम में आधा पैसा सरकार के पास छुपा रहे हैं, बस दिखावा है कि किसान का फायदा हो रहा है।

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    Jatin Sharma

    जुलाई 30, 2025 AT 13:39

    yeh sahi baat hai, kisan bhai log ko thodi extra income mil rahi hai.

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    M Arora

    अगस्त 2, 2025 AT 11:05

    होली का असली मतलब तो मिलन और खुशियाँ बांटना है, फिर चाहे कटहल हो या गुजिया, दिल से खाओ!

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    Varad Shelke

    अगस्त 5, 2025 AT 08:32

    वही तो, सरकार हर बार किसानों के नाम पर छुपी हुई मुनाफ़े की लकीरें बनाती है, ये सब ट्रेडर्स के साथ मिलके चल रहा है।

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    Rahul Patil

    अगस्त 8, 2025 AT 05:59

    वास्तव में, सिमडेगा का कटहल अपनी यादगार सुगंध और मुलायम टेक्सचर के कारण होली की पार्टी में एक विशेष स्थान रखता है, जिससे प्रत्येक व्यंजन का स्वाद एक नई ऊँचाई पर पहुँच जाता है।

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    Ganesh Satish

    अगस्त 11, 2025 AT 03:25

    क्या कहा जाए इस कटहल की धूम को! यह सिर्फ़ एक सब्ज़ी नहीं, बल्कि होली के रंगों का भी भागीदार बन गया है!!! हर बाजार में उसके बड़े‑बड़े कुतरे, लोगों के चेहरों पर जो खुशी की लहर दौड़ जाती है… यही तो असली जश्न है!!! क्या आप जानते हैं कि सिमडेगा की मिट्टी में एक खास माइक्रो‑ऑर्गेनिज़्म मौजूद है, जो कटहल को इतना फैंसी बनाता है?!! ट्रांसपोर्ट के दौरान भी, लोग कहे बिना नहीं रह पाएंगे, "यह कटहल तो मज़ा ही दे रहा है!!"। धरती की इस नन्ही सी गिफ़्ट ने प्रदेश‑प्रदेश में एक नई ट्रेड लाइन बना दी है, जिससे किसान भाईयों की आमदनी में इज़ाफ़ा हुआ है!!! दुर्लभ किस्म के इस फलों को देखते हुए, दूर‑दूर तक लोग सिमडेगा के खेतों की ओर रुख कर रहे हैं!!! होलिका दहन से लेकर रंगों की बौछार तक, कटहल ने खुद को हर मोड़ पर साबित किया है कि वह सिर्फ़ खाने‑पीने की चीज़ नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक है!!! उच्चतम गुणवत्ता होने के कारण, इसका दाम भी आकाश को छू रहा है, परन्तु वही खरीदारों के दिलों में उत्साह की ज्योति जलाता है। कुल मिलाकर, इस वर्ष का होली कटहल के बिना अधूरा रहेगा, और यही सबसे बड़ा सच है!!!

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    Midhun Mohan

    अगस्त 14, 2025 AT 00:52

    काफी इम्प्रेसिव डिटेल है, पर याद रखो भाई लोग-कटहल का सही उपयोग तभी संभव है जब हम इसे सही तरीके से पकाएं! ये एग्जीक्यूटिव टिप्स फॉलो करो, और होली में सभी को हैरान कर दो।

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    Archana Thakur

    अगस्त 16, 2025 AT 22:19

    देशभक्तों का दिमाग यही सोचे: स्वदेशी उत्पादन को संभालें, आयात पर निर्भरता घटाएँ, और होली के महापरिधान में सिमडेगा के कटहल को शान से शामिल करें!

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    Ketkee Goswami

    अगस्त 19, 2025 AT 19:45

    बिलकुल सही कहा, भाई! चलो इस होली को सही दिशा में ले जाएँ, कटहल की चमक से सबको सकारात्मक वाइब्स दें!!!

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    Shraddha Yaduka

    अगस्त 22, 2025 AT 17:12

    आप सबकी बातों से लगता है कि होली में नयी रेसिपी ट्राय करना फायदेमंद होगा। बेझिझक कोशिश करें, और मज़े लेते रहें।

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    gulshan nishad

    अगस्त 25, 2025 AT 14:39

    देखिए, मैं इस बात से सहमत हूँ कि कटहल को महँगा कर दिया गया है, पर ये सुझाव एकदम बेकार है। लोग तो पहले से ही बोर हो गए हैं।

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    Ayush Sinha

    अगस्त 28, 2025 AT 12:05

    हमें इस सब में ज़्यादा गहराई से नहीं जाना चाहिए; अंत में, सिर्फ़ स्वाद है न?

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    Saravanan S

    अगस्त 31, 2025 AT 09:32

    बिलकुल, स्वाद ही सबसे महत्वपूर्ण है; चलिए इसे सरल रखें और मज़े में लगे रहें!!!

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