सिमडेगा का कटहल: होली के लिए यूपी-बिहार की पहली पसंद
त्योहार का मौसम आते ही बाजारों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है, खासकर जब बात होली की हो। होली केवल रंगों और मिठाइयों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस दौरान खाने-पीने की चीज़ों में भी नए ट्रेंड्स देखने को मिलते हैं। इस बार उत्तर प्रदेश और बिहार में सिमडेगा का कटहल जमकर छाया हुआ है। कटहल, जिसे अंग्रेजी में जैकफ्रूट कहते हैं, आमतौर पर गर्मियों की शुरुआत में पकता है लेकिन होली के आसपास इसकी मांग दोगुनी हो जाती है।
सिमडेगा, जो झारखंड का एक जिला है, वहां बड़े पैमाने पर कटहल की खेती होती है। यहां की मिट्टी और मौसम कटहल के लिए बिल्कुल मुफीद माने जाते हैं। वजह है- कटहल की सुगंध, स्वाद और उसका आकार। यूपी-बिहार के लोग इसमें खास तौर पर रुचि रखते हैं क्योंकि कटहल यहां के पारंपरिक व्यंजनों का भी हिस्सा है। चाहे सब्जी बनानी हो या पकौड़े, कटहल हर रूप में पसंद किया जाता है।
होली से पहले ट्रेडर्स की भागदौड़ और किसानों को फायदा
होली से दो-तीन हफ्ते पहले ही सिमडेगा के खेतों में तैयार कटहल की तुड़ाई शुरू हो जाती है। लोकल एजेंट और व्यापारी गांव-गांव जाकर सीधे किसानों से कटहल खरीदते हैं। ट्रकों और पिकअप वाहनों से यूपी-बिहार के प्रमुख बाजारों में इसकी सप्लाई की जाती है।
- सिमडेगा से कटहल का 80% हिस्सा उत्तर भारत के राज्यों में जाता है
- किसान इसे 20-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं, लेकिन यूपी-बिहार पहुंचते ही इसकी कीमत दोगुनी हो जाती है
- ग्राहकों को ताजा और बड़े आकार का कटहल ही पसंद आता है, इसलिए व्यापारी फसल के छांटकर ही खरीदते हैं
किसानों के लिए यह सीजन फायदे का सौदा है। एक पक्का होली से पहले अच्छी कमाई की उम्मीद करता है। व्यापारी भी खूब मुनाफा कमाते हैं, क्योंकि इस मौसम में डिमांड बहुत तेज रहती है।
कटहल की बढ़ती डिमांड केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है; छोटे कस्बों और ग्रामीण बाजारों में भी होली पार्टी के लिए इसकी डिमांड बूम पर है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी, लखनऊ, पटना, गया जैसे बड़े शहरों के सब्जी बाजारों में सिमडेगा का कटहल 'स्पेशल' टैग के साथ बिकता है। ग्राहक इसे होली पार्टी पर सब्जी, बिरयानी या कबाब में तैयार करने के लिए खरीदते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि कटहल की कटाई, ट्रांसपोर्ट और बिक्री में स्थानीय मजदूरों और छोटे व्यापारियों को भी अच्छा रोजगार मिल जाता है। त्योहारों के इस मौसम में सिमडेगा का कटहल वहां के किसानों और व्यापारियों की कमाई में रंग भर देता है, तो वहीं बाकी राज्यों के लोगों की थाली में स्वाद का तड़का लगा देता है।