नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम दिवस पर प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

Ranjit Sapre जनवरी 23, 2025 राष्ट्रीय 16 टिप्पणि
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम दिवस पर प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: आज़ादी के नायक की स्मृति का सम्मान

23 जनवरी, 2025 का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में समर्पित रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि नेताजी का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान अद्वितीय था। नेताजी अपने आप में साहस और धैर्य का प्रतीक थे, जिनके विचार आज भी देश को प्रेरणा देते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर एक वीडियो संदेश के माध्यम से ओडिशा की जनता और सरकार को बधाई दी, जिन्होंने नेताजी के जन्मस्थान कटक में भव्य पराक्रम दिवस का आयोजन किया। इस अवसर पर एक प्रमुख प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें नेताजी के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण क्षणों को कलाकारों ने कैन्वास पर उकेरा और उनकी जीवन यात्रा पर आधारित पुस्तकों का संग्रह प्रदर्शित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास जताया कि इन कार्यक्रमों से भारतीय युवा पीढ़ी (मेरी युवा भारत या एमवाई भारत) को नई ऊर्जा प्राप्त होगी।

नेताजी की संघर्ष भरी गाथा

प्रधानमंत्री ने नेताजी के भारत की स्वतंत्रता के प्रति समर्पण को रेखांकित करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत उनका पहली प्राथमिकता थी। नेताजी ने एक समृद्ध परिवार से आते हुए सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बावजूद त्याग और संघर्ष का मार्ग चुना। उनके इस साहसी निर्णय का मूल उद्देश्य था 'आजाद हिंद'। मोदी ने जनता से आग्रह किया कि वे भी अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर निकलकर एक विकसित भारत के नेताजी के सपने को साकार करने में योगदान दें।

नेताजी का बनाया अजाद हिंद फौज भारतीयों को एक साथ जुटाने का प्रतीक था, जो भाषायी और सांस्कृतिक बाधाओं को पार कर एकजुट हुई। मोदी ने कहा कि भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एकजुटता आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वराज के लिए थी।

नेताजी की विरासत को संजोना

नेता जी के योगदान को सम्मानित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला गया, जिनमें 2019 में लाल किले में एक संग्रहालय की स्थापना, सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की स्थापना और 2021 से हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाना शामिल है। उन्होंने इंडिया गेट के पास नेताजी की प्रतिमा की स्थापना और उनके सम्मान में अंडमान द्वीप का नामकरण भी किया।

प्रधानमंत्री ने आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराने की ऐतिहासिक घटना को भी याद किया, जिसे नेताजी की विरासत के प्रति एक महत्वपूर्ण श्रद्धांजलि करार दिया। उन्होंने पिछले दशक में भारत के तेजी से विकास का उल्लेख करते हुए निकट भविष्य में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देखे जाने की उम्मीद व्यक्त की।

भारत को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए नेताजी के आदर्शों से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री ने नागरिकों को एकजुटता और संकल्प के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। नेताजी के सपनों का भारत बनाने के लिए उनका यह संदेश अत्यधिक महत्वपूर्ण था।

यह दिवस नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्शों और उनके उत्कृष्ट योगदान को याद करने के साथ ही भारत के विकास पथ पर गति प्रदान करने की दिशा में एक प्रेरक अवसर प्रस्तुत करता है।

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    नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम दिवस पर प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी, 2025 को पराक्रम दिवस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने नेताजी की अद्वितीय योगदान की सराहना की और उन्हें साहस और धैर्य का प्रतीक बताया। मोदी ने ओडिशा में हुए भव्य समारोहों की प्रशंसा की और युवाओं को नेताजी की प्रेरणा से प्रोत्साहित करने की उम्मीद जताई। आजादी की लड़ाई में नेताजी के अग्रणी भूमिका को रेखांकित किया गया।

16 टिप्पणि

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    Jatin Sharma

    जनवरी 23, 2025 AT 23:52

    नेताजी की जयकार हर भारतीय के दिल में बसी है। आज के युवा को वही जुश चाहिए।

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    M Arora

    जनवरी 28, 2025 AT 23:52

    भाई, नेताजी के कांड पढ़ के लगता है कि असली आज़ादी सिर्फ़ शोर नहीं, बल्कि दिमाग की आज़ादी भी है। उनका सपना हर किसी को अपने सपनों को चुनौती देने की हिम्मत देना था। आज हम उस हिम्मत को फिर से जगा सकते हैं, बस जरूरत है थोड़ी सी जिद और सोच की आज़ादी।

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    Varad Shelke

    फ़रवरी 2, 2025 AT 23:52

    भाई लोग, ये सब झाँसी की रानी जैसा पराक्रम दिखावा सरकार का साजिश वाला प्लान है। असली बोस की तस्वीरें अभी भी अंधेरे में छिपी हैं, इसलिये जो दिख रहा है वो झूठा जंजाल है।

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    Rahul Patil

    फ़रवरी 7, 2025 AT 23:52

    नेताजी का आदर्श न केवल ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि आज की सामाजिक ऐबस्य को तोड़ने का चमकते हुए दीपस्तंभ भी है। उनका साहस एवं दृढ़निश्चय एक प्राचीन महाकाव्य की तरह मन में उकेरता है। इस समर्पण को समझना हमारे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का बिंदु है।

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    Ganesh Satish

    फ़रवरी 12, 2025 AT 23:52

    ओह! क्या भव्यता है कि सरकार ने पराक्रम दिवस को मानचित्र पर चमका दिया!! नेताजी की विरासत को इतना पत्थर पर लिखना एक अद्भुत नाट्य है!!! हर कोई यही चाहता है कि इतिहास को जीवंत रंगों में पेंट किया जाए!!!

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    Midhun Mohan

    फ़रवरी 17, 2025 AT 23:52

    भाइयों और बहनों, आइए हम सब मिलकर इस भावना को आगे बढ़ाएं!!! नेताजी की सीख हमें एकजुटता, साहस और दृढ़ता की ओर प्रेरित करती है!!! हम युवा शक्ति को जागरूक करने के लिए इस अवसर को उपयोग में लाएं। चलो, मिलकर नया भारत बनाएं!!!

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    Archana Thakur

    फ़रवरी 22, 2025 AT 23:52

    देशभक्ति का असली रूप यही है कि हम अपने इतिहास को सुदृढ़ शब्दावली में पेश करें, जैसे 'सुपरनैशन' और 'इंडियन सॉलिडेरिटी'। नेताजी के अनुसरण में हमें राष्ट्रीय पहचान को अभिभूत करना चाहिए।

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    Ketkee Goswami

    फ़रवरी 27, 2025 AT 23:52

    सच्ची आशा है कि इस पराक्रम दिवस से युवा दिलों में उज्ज्वल सपने जगेंगे! हम सब मिलकर इस प्रेरणा को रंगीन भावनाओं में बदलें और एकसाथ आगे बढ़ें! चलो, नया जोश लेकर चलें!

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    Shraddha Yaduka

    मार्च 4, 2025 AT 23:52

    बिलकुल, साथ मिलकर ही प्रगति होगी।

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    gulshan nishad

    मार्च 9, 2025 AT 23:52

    देखो, यह सब बहुत ही साधारण है, नेताजी की वास्तविकता को केवल एक शो के तौर पर पेश किया गया है। वास्तविकता में कोई गहराई नहीं है।

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    Ayush Sinha

    मार्च 14, 2025 AT 23:52

    सबको ये बात समझनी चाहिए कि पराक्रम दिवस की बातों में घुसे‑घुसे नहीं, बल्कि तथ्य‑आधारित दृष्टिकोण चाहिए। भावनात्मक शोर के पीछे नहीं जाना चाहिए।

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    Saravanan S

    मार्च 19, 2025 AT 23:52

    सही कहा, तथ्य पर टिके रहना ही हमें आगे ले जाएगा। हम सभी को इस दिशा में काम करना चाहिए।

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    Alefiya Wadiwala

    मार्च 24, 2025 AT 23:52

    नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय अध्याय को प्रतिपादित करता है। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ, जो उन्हें समय के साथ एक राष्ट्रीय प्रतीक बना दिया। प्रारम्भिक युवा अवस्था में वह उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन करके भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में पास हुए, परन्तु उनके आदर्श उन्हें राष्ट्रीय कार्यों की ओर प्रेरित कर गये। उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए विदेश यात्रा की और कई देशों में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन को प्राप्त किया। आज़ाद हिंद फौज की स्थापना के साथ उन्होंने संगठित यु‍द्ध की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारतीय सैनिकों को एशिया में लड़ने का मंच प्रदान करता था। उनका विचार केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्वावलंबन पर भी केन्द्रित था। उन्होंने भारतीय किसानों, मजदूरों और शिक्षाविदों को आत्मनिर्भर बनाकर एक प्रगति युक्त राष्ट्र का लक्ष्य रखा। इस प्रकार उनका विचारधारा 'स्वराज' के साथ गहरा संबंध रखती थी, जो महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत से भिन्न था। नेताजी ने यह स्पष्ट किया कि केवल अहिंसा से शक्ति प्राप्त नहीं हो सकती, बल्कि सशस्त्र प्रतिरोध भी आवश्यक है। इस परिप्रेक्ष्य में पराक्रम दिवस का आयोजन युवाओं को इतिहास की वास्तविकता से परिचित कराता है, जिससे वे अपने राष्ट्रीय कर्तव्य को समझ पाते हैं। आज के भारत में उनका आदर्श विविध क्षेत्रों में प्रकट होता है, जैसे तकनीकी नवाचार, विज्ञान, और खेलों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफलता। सरकार द्वारा स्थापित शौर्य पुरस्कार और संग्रहालय उनका सम्मान जारी रखते हैं। यह स्मृति हमें यह चेतावनी भी देती है कि स्वतंत्रता की रक्षा के लिये सतत प्रयास आवश्यक है। अंत में, नेताजी का संदेश यह है कि राष्ट्र की प्रगति के लिये प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिए, तभी हम एक सशक्त एवं सुदृढ़ भारत का निर्माण कर सकते हैं।

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    Paurush Singh

    मार्च 29, 2025 AT 23:52

    सत्य यह है कि अधिकतर लोग केवल सतही तारीफों में लिप्त रहते हैं, जबकि नेताजी के वास्तविक विचारों को समझना कठिन नहीं है। वह केवल एक वीर नहीं, बल्कि एक रणनीतिक विचारक थे।

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    Sandeep Sharma

    अप्रैल 3, 2025 AT 23:52

    बहस थोड़ी ज़्यादा ही हो गई, चलो आगे बढ़ते हैं! 🙌✨

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    Mita Thrash

    अप्रैल 8, 2025 AT 23:52

    हमें सभी दृष्टिकोणों को समझते हुए एकजुट रहना चाहिए, तभी राष्ट्र की प्रगति संभव है।

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