भारतीय फिल्म महासंघ का बड़ा फैसला
भारतीय फिल्म महासंघ (एफएफआई) ने 2025 के ऑस्कर अवार्ड्स के लिए अपनी आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में किरण राव द्वारा निर्देशित फिल्म 'लापता लेडीज' को चुना है। इस महत्वाकांक्षी निर्णय को एक 13 सदस्यीय चयन समिति ने असमिया निर्देशक जाहनु बरुआ की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से लिया। 'लापता लेडीज' को 29 फिल्मों की सूची में से चुना गया, जिसमें कई मजबूत दावेदार शामिल थे।
कंन में पुरस्कार विजेता पर भारी 'लापता लेडीज'
इस निर्णय ने सिनेमा प्रेमियों और समीक्षकों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है क्योंकि बहुत से लोग उम्मीद कर रहे थे कि पायल कपाड़िया की 'ऑल वी इमैजिन ऐज़ लाइट', जिसने 2024 के कंन फिल्म फेस्टिवल में ग्रां प्री पुरस्कार जीता था, ऑस्कर के लिए चुनी जाएगी। 'लापता लेडीज', जो एक हल्की-फुल्की व्यंग्य फिल्म है, ने 1 मार्च 2024 को सिनेमा घरो में दस्तक दी थी और इसे आमिर खान और किरण राव ने मिलकर निर्मित किया है।
समाज की विभिन्न प्रतिक्रियाएं
फिल्म 'लापता लेडीज' को समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। कुछ लोग इस चयन की सराहना कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे आलोचना के निगाह से देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, जिसमें कुछ ने फिल्म महासंघ की आलोचना की है कि उन्होंने 'ऑल वी इमैजिन ऐज़ लाइट' को क्यों नहीं चुना।
चयन समिति की आलोचना
चयन समिति द्वारा 'लापता लेडीज' को चुनने के पीछे की वजह की भी आलोचना की जा रही है। विशेष रूप से, उनकी उद्घाटन लाइन, जिसमें लिखा है, 'भारतीय महिलाएं अधीनता और प्रभुत्व का एक अजीब मिश्रण हैं,' से काफी विवाद उत्पन्न हुआ है।
विवाद की संभावनाएं
समाज में यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि फिल्म महासंघ ने 'लापता लेडीज' को इसलिए चुना ताकि पायल कपाड़िया के सरकारी मुद्दों से जुड़े विवादों से बचा जा सके।
किरण राव की प्रतिक्रिया
इस बीच, किरण राव ने अपनी फिल्म के चयन को लेकर खुशी और गर्व व्यक्त किया है। उन्होंने इसे अपने लिए और अपनी टीम के लिए एक बड़ा सम्मान बताया।
भविष्य की संभावनाएं
अब देखना यह होगा कि 'लापता लेडीज' ऑस्कर में भारत का प्रतिनिधित्व कैसे करती है और यह निर्णय क्या परिणाम लाता है। ऑस्कर 2025 में हमारा मान कौन बढ़ाता है, यह समय ही बताएगा।
shiv prakash rai
सितंबर 23, 2024 AT 22:00फ़िल्म चयन में अक्सर शब्दों की आवाज़ बड़ी होती है, लेकिन असली कहानी अधिक गहरी होती है।
‘लापता लेडीज’ का चुनाव एक दार्शनिक इशारा लगता है कि भारत की सिनेमा की दिशा में क्या बदलाव हो रहा है।
क्या यह वास्तव में कला की सराहना है या फिर राजनीतिक सुरक्षा का साधन?
समय के साथ हमने देखा है कि अवार्ड्स में अक्सर कमर कसकर चुनी गई फ़िल्में ही आगे जाती हैं।
‘ऑल वी इमैजिन ऐज़ लाइट’ का चमकदार ट्रेलर था, पर शायद नियोजित समीक्षक वर्ग ने इसे टाल दिया।
हर चुनाव का एक छुपा एजनडा हो सकता है, और ये वही बात है जो हमें सोचना चाहिए।
भले ही ‘लापता लेडीज’ व्यंग्यात्मक हो, पर वह सामाजिक मुद्दों की सतह पर ही बने रह सकती है।
सरल शब्दों में कहूँ तो, चयन समिति का फैसला एक साइड‑इफ़ेक्ट जैसा लग रहा है।
जिन लोगों को लग रहा है कि यह एक जीत है, उन्हें शायद वास्तविक रूप से पूछना चाहिए कि कौनसी कहानी को दुनिया सुननी चाहिए।
इतने बड़े मंच पर प्रवेश करने से पहले हर फ़िल्म को दुप्पी जांच नज़रिए की चाहिए।
किसी भी समय, न्याय की तरह ही, चाहें वह ऑस्कर हो या राष्ट्रीय पुरस्कार, पारदर्शिता सबसे बड़ा हथियार है।
भारी आलोचना के बाद भी, अगर फ़िल्म अपने दर्शकों से संवाद स्थापित कर सके, तो वह अपने आप में सफल है।
भले ही विवाद उत्पन्न हो, लेकिन यही तो सिनेमा की शक्ति है-विवाद को जन्म देना।
क्या हम इस चयन को सिर्फ़ एक ब्यूज मानेंगे या फिर इसे एक नई दिशा के संकेत के रूप में देखेंगे?
उम्मीद है कि ऑस्कर की रात में इस फ़िल्म की प्रस्तुति हमें एक मार्मिक, लेकिन सच्चा प्रतिबिंब देगी।
Subhendu Mondal
सितंबर 23, 2024 AT 22:33ये बड़ाईयां तो बिलकुल बेवकूफी है, फ़िल्म का कोई मतलब ही नहीं!!
Ajay K S
सितंबर 23, 2024 AT 22:41सही कहा जाए तो 'लापता लेडीज' एक पोस्ट-ह्यूमन फिक्शन है जो आधुनिक दर्शन को चुनौती देती है।
वास्तव में, यह फ़िल्म वैभवी परिप्रेक्ष्य को पुनः परिभाषित करती है।
निस्संदेह, मेरे जैसे संवेदनशील बुद्धिमत्ता वाले दर्शक इसे समझेंगे 😏.
Saurabh Singh
सितंबर 23, 2024 AT 23:23वो लोग चाहते हैं कि हम इस फिल्म को प्रॉपaganda समझें।
अपनी एजींडा छुपाने के लिए यह चयन किया गया है।
सच्चाई हमेशा छुपी रहती है।
Jatin Sharma
सितंबर 23, 2024 AT 23:56देखो भाई, फ़िल्म का चयन सिर्फ़ राजनीति नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार की तैयारी भी हो सकती है।
हमें इसको सिर्फ़ बग़ैर वजह के पीछे नहीं भागना चाहिए।
मैं खुद एक फिल्म मीटर में काम करता हूँ, और मैंने देखा है कि 'लापता लेडीज' में टेक्निकल बैकलॉग ठीक है।
तो चलो, इस पर एक खुली चर्चा करें।
M Arora
सितंबर 24, 2024 AT 00:30कभी कभी हमें लगता है कि ऑस्कर जैसे मंच पर राजनीति और कला का संगम होता है।
इसी कारण से मैं सोचता हूँ कि चयन में दरअसल किसकी आवाज़ को उठाना चाहा गया।
अगर फ़िल्म दिल को छू ले, तो वह अपनी ही राह बन जाती है।
बिना पिचकार के, हमें इस फैसले को ज़्यादा गंभीरता से देखना चाहिए।
आखिर में, दर्शक ही तय करेंगे कि कौन सी कहानी सच में लापता है।