Quant म्यूचुअल फंड पर फ्रंट-रनिंग के आरोप, SEBI की जांच में सहयोग
Quant म्यूचुअल फंड, जो वर्तमान में फ्रंट-रनिंग के आरोपों का सामना कर रहा है, ने अपनी प्रतिक्रिया में बताया कि वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ पूर्ण सहयोग कर रहा है। इन आरोपों के बीच, SEBI ने मुंबई और हैदराबाद में फंड के कार्यालयों पर तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। इन कारर्वाइयों में, SEBI ने फंड के डीलरों और अन्य संबंधित व्यक्तियों से भी पूछताछ की है। इस कथित मामले में लगभग ₹20 करोड़ का लाभार्जन हुआ है।
फ्रंट-रनिंग एक अवैध प्रथा है जिसमें फंड प्रबंधक, डीलर या ब्रोकर बड़ी ट्रेडों के पहले ऑर्डर प्लेस कर अपने लाभ के लिए आगामी दामों में होने वाले उतार-चढ़ाव का लाभ उठाते हैं। इस प्रकार की गतिविधियों के आरोप Quant म्यूचुअल फंड पर लगाए गए हैं, जो की SEBI के नियामकों के अनुसार गंभीर प्रक्रिया है।
फंड का बयान
फंड के मालिक संदीप टंडन ने एक बयान में कहा है कि Quant म्यूचुअल फंड नियामक मानकों का पालन करता है और पारदर्शिता पर अत्यधिक जोर देता है। फंड आश्वस्त करता है कि वह SEBI के साथ सभी आवश्यक जानकारियों के आदान-प्रदान और सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। फंड की प्राथमिकता अपने निवेशकों के विश्वास को बनाए रखना और उनके लिए उत्तम जोखिम-समायोजित लाभ देना है।
फंड के अनुसार, वह SEBI के सभी प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है और नियामक जांच में पूरी तरह से सहयोग कर रहा है। फंड ने कहा कि उसकी सभी गतिविधियां और निवेश प्रक्रियाएँ पूर्ण पारदर्शिता और नियामक मानकों के अनुरूप हैं।
Quant म्यूचुअल फंड के पास वर्तमान में ₹90,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति प्रबंधन में है, और वह निवेशकों को उच्च गुणवत्ता वाले सेवा और लाभ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। फंड ने निवेशकों के हितों का संरक्षण करने और उच्च जोखिम-समायोजित लाभ सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
SEBI की अधियानांत प्रक्रिया
SEBI की नियामक कार्रवाई का उद्देश्य फ्रंट-रनिंग जैसे महत्वपूर्ण नियम उल्लंघनों को रोकना और वित्तीय बाजारों की अखंडता को बनाए रखना है। SEBI के पास यह अधिकार है कि वह संभावित नियम उल्लंघन की जांच करे और उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए।
SEBI की यह जांच इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निवेशकों के विश्वास और वित्तीय बाजार की पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सहायक है। SEBI के अनुसार, फ्रंट-रनिंग जैसी अवैध प्रथाओं को रोकना एक प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि निवेशकों के हित सुरक्षित रह सकें।
निवेशकों की प्रतिक्रिया
इस मामले में निवेशकों की प्रतिक्रिया मिश्रित है। कुछ निवेशकों को उम्मीद है कि SEBI की जांच के बाद सही स्थिति सामने आएगी और दोषियों को सजा मिलेगी। वहीं, कुछ निवेशक Quant म्यूचुअल फंड की पारदर्शिता और नियामक मानकों के पालन को देखते हुए फंड पर भरोसा बनाए रख रहे हैं।
आने वाले समय में, SEBI की जांच के परिणाम और इसके बाद की कार्रवाइयों को देखकर ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। निवेशकों का विश्वास और फंड का प्रदर्शन इस मामले का मुख्य केंद्र बना रहेगा।
अंततः, Quant म्यूचुअल फंड ने अपने निवेशकों को आश्वस्त किया है कि वह SEBI के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखेगा। फंड का उद्देश्य निवेशकों के लिए उत्तम लाभ प्रदान करना और उनके विश्वास को बनाए रखना है।
gulshan nishad
जून 24, 2024 AT 20:26Quant का फ्रंट‑रनिंग मामला तो घिनौना झूठा नाटक है, सबको धोखा देना।
Ayush Sinha
जून 24, 2024 AT 21:50SEBI के साथ सहयोग की बात तो आसानी से सुनाई देती है, पर असली सवाल ये है कि यह फंड कब तक अपने नुकसान का भार खरीदेगा।
Saravanan S
जून 24, 2024 AT 23:13सभी निवेशकों को याद रखना चाहिए, चाहे बाजार कितना भी अस्थिर हो, धैर्य रखना ज़रूरी है, साथ ही फंड की पारदर्शिता को देखना भी महत्वपूर्ण है, इसलिए SEBI की जांच को सकारात्मक रूप से देखना चाहिए, और फंड की टीम को सहयोग देना चाहिए, यह एक मौका है सुधार का।
Alefiya Wadiwala
जून 25, 2024 AT 00:36Quant म्यूचुअल फंड के खिलाफ लगाए गए फ्रंट‑रनिंग के आरोप भारतीय वित्तीय बाजार की नियामक निगरानी की गहराई को उजागर करते हैं। इस प्रकार के गंभीर उल्लंघन केवल छोटे निवेशकों को ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रणाली की विश्वसनीयता को धूमिल कर देते हैं। SEBI का त्वरित हस्तक्षेप इस बात का प्रमाण है कि नियामक संस्थाएँ अपने अधिकारों का प्रयोग करने में हिचकिचा नहीं रही हैं। फंड प्रबंधन की ओर से यह दावा कि वे पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं, केवल एक रिटर्ज़न पॉलिसी के रूप में देखी जानी चाहिए। यदि वास्तव में पारदर्शिता का तत्त्व उनका मार्गदर्शन करता है, तो उन्हें सभी ट्रेडिंग डेटा को सार्वजनिक करना चाहिए, न कि केवल चयनात्मक जानकारी देना। ऐसी स्थितियों में, संरक्षक इकाइयों को अपने निवेशकों को स्पष्ट और सटीक आँकड़े प्रस्तुत करने का नैतिक दायित्व है। वर्तमान में, लगभग ₹20 करोड़ का लाभार्जन बताने वाले आंकड़े को संदर्भित करना अनिवार्य हो जाता है। इन अंकों को केवल गुप्त रखना और फिर भी भरोसा माँगना, एक गंभीर विरोधाभास है। विदेशी निवेशकों का ध्यान भी ऐसी घटनाओं पर जा रहा है, जो भारत के बाजार का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन प्रभावित करेगा। साथ ही, बाजार में भरोसे की कमी से कई संभावित निवेशकों की दूरस्थता भी बढ़ेगी। इसलिए, फंड को चाहिए कि वह न केवल SEBI के साथ सहयोग दे, बल्कि स्वयं भी अपना आंतरिक ऑडिट प्रक्रिया को सार्वजनिक कर दिखाए। ऐसे कदम से निवेशकों को यह विश्वास होगा कि फंड अपनी गलतियों को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि फंड अपने निवेशकों के विश्वास को बनाए रखना चाहता है, तो उसे सभी लेन‑देनों की विस्तृत रिपोर्टें उपलब्ध करानी चाहिए। नहीं तो यह केवल एक सतही संभाषण रहेगा, जिसके पीछे गहरी अनैतिकता छिपी हो सकती है। बाजार की अखंडता का पक्षी तभी उड़ेगा जब सभी खेल अपनाने वाले नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे। अंत में, यह स्पष्ट है कि SEBI की जांच केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक आवश्यक कदम है।
Paurush Singh
जून 25, 2024 AT 02:00हिंसा नहीं, सत्य की लड़ाई में केवल ज्ञान की तलवार चलानी चाहिए; यदि फंड अपने कर्मों का इमानदारी से परीक्षण नहीं करता, तो वह अपने ही पतन को लिख रहा है। इस प्रकार की अंधी भरोसा एक मिथक है जिसे वास्तविकता के आँधियों से ध्वस्त किया जाना चाहिए।