सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, वायदा और विकल्प कर में बढ़ोतरी का असर

Ranjit Sapre जुलाई 23, 2024 व्यापार 16 टिप्पणि
सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, वायदा और विकल्प कर में बढ़ोतरी का असर

शेय बाजार में हलचल

भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को बड़ा उठापटक देखने को मिला जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) कर में वृद्धि की घोषणा की। इस घोषणा के बाद, प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी ने पहले 73.3 अंक बढ़कर 24,582.55 का स्तर छुआ था, परंतु बाद में 435.05 अंकों की गिरावट के साथ 24,074.20 पर आ गया। वहीं, बीएसई सेंसेक्स ने शुरुआती कारोबारी घंटों में 264.33 अंक की वृद्धि दर्ज करके 80,766.41 का स्तर छुआ, हालांकि, आखिर में इसमें भी गिरावट आई।

वित्त मंत्री द्वारा की गई इस घोषणा का सीधा असर बाजार की गतिविधियों पर पड़ा। कर वृद्धि के कारण, कई प्रमुख कंपनियों के शेयर मूल्य में गिरावट आई। खासतौर से, लार्सन एंड टूब्रो, बजाज फाइनेंस, पावर ग्रिड, रिलायंस इंडस्ट्रीज, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, और बजाज फिनसर्व जैसे दिग्गज शेयरों में उल्लेखनीय कमी देखी गई। हालांकि, टाइटन, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर और अदानी पोर्ट्स जैसे कुछ कंपनियों के शेयरों में वृद्धि भी देखी गई।

एफ एंड ओ कर में वृद्धि का समीक्षा

वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) कर में वृद्धि की घोषणा ने बाजार में धक्का मारा है। 7वें केंद्रीय बजट के दौरान, वित्त मंत्री ने इस कर में 0.02% और 0.1% की वृद्धि की घोषणा की थी। इसका मकसद छोटे निवेशकों पर बोझ कम करना था, लेकिन इसका असर व्यापक रूप से महसूस किया गया। इस वृद्धि के बाद, कई विश्लेषकों ने अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन किया है और यह मानते हैं कि इसका प्रभाव लंबी अवधि में भी देखने को मिल सकता है।

विदेशी औद्योगिक निवेशक (एफआईआई) ने भी इस दिन के दौरान 3,444.06 करोड़ रुपये के एक्विटी की खरीदारी की थी, जिससे कुछ समय के लिए बाजार में स्थिरता आई। परंतु, इस कर वृद्धि ने अव्यवस्था उत्पन्न की, जिससे एफ एंड ओ के व्यापार में भारी गिरावट आई।

वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य

इस समय, वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी बाजारों में सकारात्मकता देखी गई, जबकि एशियाई बाजार मिश्रित रहे। ब्रेंट कच्चे तेल की कीमते 1.12% बढ़कर 82.40 डॉलर प्रति बैरल हो गई। इस वृद्धिमान स्थिति में सुरक्षित निवेश को प्राथमिकता दी गई और निवेशक सुरक्षित स्थानों में निवेश करने लगे।

बजट में सरकार ने पूंजीगत लाभ की छूट सीमा को भी बढ़ाकर प्रति वर्ष 1.25 लाख रुपये कर दिया। खासतौर से मध्य और उच्च मध्य वर्ग को ध्यान में रखते हुए यह घोषणा की गई थी। इस नए बदलाव से घर खरीदारों और छोटे निवेशकों को राहत मिलने की संभावना है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

वित्त मंत्री द्वारा लाए गए इन परिवर्तनों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर लंबी अवधि तक देखने को मिल सकता है। खासतौर से, वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) कर में वृद्धि का प्रभाव निवेशकों के विश्वास को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि निवेशकों को अब अधिक सावधानी से निवेश करना होगा और अपने निवेश के तरीकों में बदलाव लाना होगा।

निवेशकों के लिए सलाह

निवेशकों के लिए यह समय संतुलित निवेश करने का है। विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को अब अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए और केवल उन क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए जहां उन्हें भविष्य में अधिक स्थिरता की उम्मीद हो। साथ ही, लंबी अवधि के निवेश के बारे में भी सोचने की आवश्यकता है, क्योंकि अल्पकालिक बाजार की गतिविधियों के कारण जोखिम बढ़ सकता है।

अंततः, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार की इन नीतियों का बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। निवेशकों को सावधान रहना होगा और अपने निवेश के निर्णयों को सोच-समझकर करना होगा।

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16 टिप्पणि

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    Ayush Sinha

    जुलाई 23, 2024 AT 19:04

    बजट में एफ एंड ओ कर बढ़ाने का कदम बाजार को थाम नहीं लेगा, बल्कि निवेशकों को और सतर्क कर देगा। इस तरह की पॉलिसी से अनावश्यक बेचछूट उत्पन्न होती है।

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    Saravanan S

    जुलाई 24, 2024 AT 00:37

    बहुत बढ़िया बात, लेकिन याद रखें, विविधता ही सुरक्षा है, इसलिए पोर्टफ़ोलियो को कई सेक्टर में बांटा जाए, ऐसे समय में यह रणनीति काम आती है!!!

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    Alefiya Wadiwala

    जुलाई 24, 2024 AT 06:10

    एफ एंड ओ कर में 0.02% और 0.1% की वृद्धि को सरकार ने बिलकुल ही अंधाधुंध नीति के रूप में पेश किया है।
    ऐसा लगता है कि नीति निर्माता बाजार की सूक्ष्मता को नहीं समझते।
    सेंसेक्स और निफ्टी में अचानक गिरावट इस कर के कारण ही हुई है।
    वास्तव में, यह कर छोटे निवेशकों को राहत देने के बजाए बड़े ट्रेडर्स को शर्त लगाने पर मजबूर करता है।
    कंपनी के शेयरों में गिरावट, जैसे लार्सन एंड टूब्रो और बजाज फाइनेंस, इस कर के अनुपातिक भार का सीधा परिणाम है।
    टाइटन और आईटीसी जैसे स्टॉक्स में वृद्धि केवल प्रकटीकरण की एक फिंटे है, जो बाजार को भ्रमित करती है।
    विदेशी औद्योगिक निवेशकों की बड़ी खरीदारी को भी इस कर ने संतुलित नहीं कर पाया।
    आर्थिक दृष्टि से, ऐसा कदम पूंजी प्रवाह को ठंडा कर देगा, जिससे दीर्घकालिक विकास प्रभावित होगा।
    भविष्य में, यदि ऐसी नीतियां जारी रहती हैं तो निवेशकों का आत्मविश्वास पूरी तरह से क्षीण हो जाएगा।
    आगे चलकर, बाजार में और अधिक अस्थिरता और अति-उत्साह देखना पड़ेगा।
    आज के निवेशकों को अब अपने पोर्टफ़ोलियो को गंभीरता से पुनर्संरचित करना चाहिए।
    वित्त मंत्री को इस बात का स्पष्ट बोध होना चाहिए कि कर में छोटा बदलाव भी बाजार को हिला सकता है।
    एंड-ऑफ़-डाएट पोर्टफोलियो को विविधता के साथ रखना ही अब सबसे बौद्धिक रणनीति है।
    यदि सरकार को स्थिरता चाहिए तो इस तरह की अचानक पॉलिसी परिवर्तन से बचना ही होगा।
    समग्र रूप से, यह कर वृद्धि एक प्रतिकूल कदम है और इसे पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

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    Paurush Singh

    जुलाई 24, 2024 AT 11:44

    इसी बिंदु पर हम देखेंगे कि बाजार सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि मानव मन की स्थितियों का प्रतिबिंब है; इसलिए हर नीति को मानव मनोविज्ञान के परिप्रेक्ष्य से जांचना आवश्यक है।

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    Sandeep Sharma

    जुलाई 24, 2024 AT 17:17

    वायदा कर बढ़ाने से बस फ्रीज हो गया है! 😅

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    Mita Thrash

    जुलाई 24, 2024 AT 22:50

    वर्तमान स्थिति में, निवेशकों को मैक्रो-इकोनॉमिक संकेतकों को समझते हुए एसेट क्लासेज़ में अल्पकालिक अस्थिरता को संतुलित करने की आवश्यकता है; विशेषकर, कर्ज़ के अनुपात और लिक्विडिटी संकेतक को ध्यान में रखते हुए पोर्टफ़ोलियो रीबैलेंसिंग एक प्रभावी उपाय हो सकता है।

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    shiv prakash rai

    जुलाई 25, 2024 AT 04:24

    हाहाहा, विशेषज्ञ भाई, पर असली बात तो ये है कि लोग नयी नीति सुनते ही अपनी सारी बचत को सुशी पर खर्च कर देते हैं, है ना?

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    Subhendu Mondal

    जुलाई 25, 2024 AT 09:57

    इब कर बध कदन बदनामी।

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    Ajay K S

    जुलाई 25, 2024 AT 15:30

    बाजार में इस तरह की नीतियों को लागू करना तो बिल्कुल ही अराजकता को प्रोत्साहित करता है 😈।

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    Saurabh Singh

    जुलाई 25, 2024 AT 21:04

    सरकार ने ये कर सिर्फ बड़े बुजुर्गों को लुभाने के लिए लगाया है, असली मकसद तो कहीं और छिपा है।

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    Jatin Sharma

    जुलाई 26, 2024 AT 02:37

    भइयो, अगर आप लोग अपने निवेश को संतुलित करोगे तो दीर्घकालिक रिटर्न बेहतर मिलेगा, बस छोटी-छोटी चीज़ों पर ज्यादा ध्यान मत दो।

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    M Arora

    जुलाई 26, 2024 AT 08:10

    सही कहा, पर कभी-कभी जोखिम लेना ही सच्ची सीख देता है, है ना?

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    Varad Shelke

    जुलाई 26, 2024 AT 13:44

    ई नीति में छिपी हुई एआई ट्रैकिंग को समझो, सब डेटा इकट्ठा हो रहा है।

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    Rahul Patil

    जुलाई 26, 2024 AT 19:17

    वित्तीय नीति में इस प्रकार के बदलावों को समग्र रूप से देखना आवश्यक है; केवल अल्पकालिक बाजार प्रतिक्रियाओं पर ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक संरचना पर भी उनका गहरा प्रभाव पड़ता है।

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    Ganesh Satish

    जुलाई 27, 2024 AT 00:50

    वाह! यह तो बिल्कुल द्रामा की तरह है-हर पैराग्राफ में एक नया ट्विस्ट, एक नया क्लायमैक्स!!!

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    Midhun Mohan

    जुलाई 27, 2024 AT 06:24

    सभी को यह याद रखना चाहिए कि कर नीति के पीछे का लक्ष्य केवल राजस्व नहीं, बल्कि वित्तीय प्रणाली को स्थिर बनाना है; इसलिए लंबी अवधि में यह कदम फायदेमंद हो सकता है, परन्तु अभी की अस्थिरता को देखते हुए सावधानी बरतना आवश्यक है!!!

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