सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, वायदा और विकल्प कर में बढ़ोतरी का असर

सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, वायदा और विकल्प कर में बढ़ोतरी का असर
Tarun Pareek
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सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, वायदा और विकल्प कर में बढ़ोतरी का असर

शेय बाजार में हलचल

भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को बड़ा उठापटक देखने को मिला जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) कर में वृद्धि की घोषणा की। इस घोषणा के बाद, प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी ने पहले 73.3 अंक बढ़कर 24,582.55 का स्तर छुआ था, परंतु बाद में 435.05 अंकों की गिरावट के साथ 24,074.20 पर आ गया। वहीं, बीएसई सेंसेक्स ने शुरुआती कारोबारी घंटों में 264.33 अंक की वृद्धि दर्ज करके 80,766.41 का स्तर छुआ, हालांकि, आखिर में इसमें भी गिरावट आई।

वित्त मंत्री द्वारा की गई इस घोषणा का सीधा असर बाजार की गतिविधियों पर पड़ा। कर वृद्धि के कारण, कई प्रमुख कंपनियों के शेयर मूल्य में गिरावट आई। खासतौर से, लार्सन एंड टूब्रो, बजाज फाइनेंस, पावर ग्रिड, रिलायंस इंडस्ट्रीज, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, और बजाज फिनसर्व जैसे दिग्गज शेयरों में उल्लेखनीय कमी देखी गई। हालांकि, टाइटन, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर और अदानी पोर्ट्स जैसे कुछ कंपनियों के शेयरों में वृद्धि भी देखी गई।

एफ एंड ओ कर में वृद्धि का समीक्षा

वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) कर में वृद्धि की घोषणा ने बाजार में धक्का मारा है। 7वें केंद्रीय बजट के दौरान, वित्त मंत्री ने इस कर में 0.02% और 0.1% की वृद्धि की घोषणा की थी। इसका मकसद छोटे निवेशकों पर बोझ कम करना था, लेकिन इसका असर व्यापक रूप से महसूस किया गया। इस वृद्धि के बाद, कई विश्लेषकों ने अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन किया है और यह मानते हैं कि इसका प्रभाव लंबी अवधि में भी देखने को मिल सकता है।

विदेशी औद्योगिक निवेशक (एफआईआई) ने भी इस दिन के दौरान 3,444.06 करोड़ रुपये के एक्विटी की खरीदारी की थी, जिससे कुछ समय के लिए बाजार में स्थिरता आई। परंतु, इस कर वृद्धि ने अव्यवस्था उत्पन्न की, जिससे एफ एंड ओ के व्यापार में भारी गिरावट आई।

वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य

इस समय, वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी बाजारों में सकारात्मकता देखी गई, जबकि एशियाई बाजार मिश्रित रहे। ब्रेंट कच्चे तेल की कीमते 1.12% बढ़कर 82.40 डॉलर प्रति बैरल हो गई। इस वृद्धिमान स्थिति में सुरक्षित निवेश को प्राथमिकता दी गई और निवेशक सुरक्षित स्थानों में निवेश करने लगे।

बजट में सरकार ने पूंजीगत लाभ की छूट सीमा को भी बढ़ाकर प्रति वर्ष 1.25 लाख रुपये कर दिया। खासतौर से मध्य और उच्च मध्य वर्ग को ध्यान में रखते हुए यह घोषणा की गई थी। इस नए बदलाव से घर खरीदारों और छोटे निवेशकों को राहत मिलने की संभावना है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

वित्त मंत्री द्वारा लाए गए इन परिवर्तनों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर लंबी अवधि तक देखने को मिल सकता है। खासतौर से, वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) कर में वृद्धि का प्रभाव निवेशकों के विश्वास को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि निवेशकों को अब अधिक सावधानी से निवेश करना होगा और अपने निवेश के तरीकों में बदलाव लाना होगा।

निवेशकों के लिए सलाह

निवेशकों के लिए यह समय संतुलित निवेश करने का है। विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को अब अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए और केवल उन क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए जहां उन्हें भविष्य में अधिक स्थिरता की उम्मीद हो। साथ ही, लंबी अवधि के निवेश के बारे में भी सोचने की आवश्यकता है, क्योंकि अल्पकालिक बाजार की गतिविधियों के कारण जोखिम बढ़ सकता है।

अंततः, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार की इन नीतियों का बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। निवेशकों को सावधान रहना होगा और अपने निवेश के निर्णयों को सोच-समझकर करना होगा।

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