जब धीरेंद्र कुमार, CEO Value Research ने 18 अक्टूबर 2025 को सोनामूल्य के अभूतपूर्व आँकड़े बताए, तो निवेशकों की धड़कनों में तेज़ी आ गई। इस दिन चेन्नई में 10 ग्राम 24‑कैरेट सोना ₹1,33,090 पर, मुंबई में ₹1,32,770 और नई दिल्ली में ₹1,32,920 पर ट्रेड किया गया। यह कीमतें भारतीय बाजार में िएक मनोवैज्ञानिक सीमा, ₹1.3 लाख, को पहली बार पार कर गईं।
इतिहास और पिछले आंकड़े
साल‑दर‑साल (YTD) सोने की कीमतों में 66 % की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई, जबकि विश्व स्तर पर 58 % बढ़त रही। 29 अक्टूबर 2024 को 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग ₹78,840 थी; अब यह स्तर 63 % ऊपर है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 16 अक्टूबर 2025 को एक औंस सोना $4,227 तक पहुंच गया, जो अक्टूबर के शुरुआती $4,000 को मात्र 36 दिन में पार कर गया। पहले ऐसी तेज़ी तीन वर्ष से अधिक समय में नहीं देखी गई थी।
कीमतों के प्रमुख कारण
कई कारक इस रैली को ईंधन दे रहे हैं:
- केंद्रीय बैंकों की भारी खरीद – चीन, भारत और टर्की जैसे देशों के केंद्रीय बैंकों ने सुरक्षा कारणों से सोने की बुनियादी खरीददारी तेज़ी से बढ़ा दी है। धीरेंद्र कुमार ने कहा, “सेंटरल बैंकों का इस दौर में सोने को अधिकतम सुरक्षित संपत्ति मानना आश्चर्यजनक नहीं।”
- अमेरिकी फेड के दर‑कट की आशाएं और डॉलर का निरंतर कमजोर होना, जिससे निवेशकों का रुझान बॉण्ड से सोने की ओर मुड़ता है।
- अमेरिकी सरकारी शट‑डाउन, जो ‘डिबैसमेंट ट्रेड’ को जन्म देता है – निवेशक ऋण एवं मुद्रा के बजाय सोने में सुरक्षा देखते हैं।
- धनतेरस‑दीवाली की मौसमी माँग – त्योहारों के सीजन में सोने और चांदी की खरीददारी में इजाफा, विशेषकर हल्के‑जवाहरात और छोटे सिक्कों की मांग।
बाजार के प्रमुख आवाज़ें
साद रहीम, मुख्य अर्थशास्त्री Trafigura Group ने ब्लूमबार्ग और मनीकंट्रोल को बताया कि "भौतिक सोने की खरीददारी पहाड़ी पर है, और जब केंद्रीय बैंक बड़े पैमाने पर खरीदते हैं, तो कीमतें और भी ऊपर जा सकती हैं।"
कविता चाको, लेखिका World Gold Council ने कहा, "सितंबर में सोने के ETF में रिकॉर्ड इनफ़्लो देखे गए, और आयात भी अगस्त में 152.5 मीट्रिक टन के 10‑महीने के शिखर पर पहुँचा।"
वेंटुरा सिक्योरिटीज़ ने 17 अक्टूबर को नौ लगातार साप्ताहिक लाभ दर्ज किए, और बताया कि "मैक macro‑economic और भू‑राजनीतिक पंखों के मिश्रण ने इस बुल रन को समर्थन दिया है।"
तकनीकी विश्लेषण एवं सपोर्ट‑रेज़िस्टेंस स्तर
व्यापारी वर्तमान में ₹1,30,000‑₹1,35,000 के रेज़िस्टेंस के बीच डायलॉग देख रहे हैं, जबकि ₹1,21,000 का सपोर्ट स्तर प्रमुख माना जा रहा है। यदि कीमतें इस रेंज को चीर लेती हैं, तो अगले लक्ष्य ₹1,38,000‑₹1,42,000 हो सकते हैं; उल्टा, अगर ₹1,21,000 के नीचे गिरावट होगी तो बाजार में हल्की‑फुल्की कीमतों की निराशा देखी जा सकती है।
भविष्य की संभावनाएँ और आगामी जोखिम
धनतेरस‑दीवाली के बाद बाजार दो दिशा में विभाजित हो सकता है। एक तरफ, यदि फेड अंततः दर‑कट की घोषणा करता है, तो डॉलर और बॉण्ड की कीमतें घटेंगी, जिससे सोने की कीमतें आगे बढ़ सकती हैं। दूसरी ओर, अगर अमेरिकी वित्तीय समीकरण में स्थिरता आती है, या वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई सोने की आपूर्ति बढ़ती है, तो कीमतों में एक री-कॉरेक्शन देखी जा सकती है।
धीरेंद्र कुमार ने सावधानी की ओर इशारा किया: "सोना पोर्टफ़ोलियो का 5‑10 % हिस्सा होना चाहिए, क्योंकि यह आय नहीं देता, परन्तु अनिश्चितता के समय में जोखिम कम करता है।"
मुख्य तथ्यों का सारांश
- सोने की कीमत 10 ग्राम 24‑कैरेट में ₹1,33,090 (चेन्नई), ₹1,32,770 (मुंबई), ₹1,32,920 (नई दिल्ली) – 18 अक्टूबर 2025.
- वर्ष‑दर‑साल वृद्धि: भारत में 66 %, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 58 %.
- अंतरराष्ट्रीय सोना $4,227/औंस पर, 16 अक्टूबर 2025 को शिखर पर.
- केंद्रीय बैंकों की खरीद, अमेरिकी शट‑डाउन, और धनतेरस‑दीवाली की मौसमी माँग प्रमुख कारक.
- रेज़िस्टेंस: ₹1,30,000‑₹1,35,000; सपोर्ट: ₹1,21,000.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
धनतेरस के दौरान सोने की कीमतें क्यों बढ़ती हैं?
धनतेरस भारतीयों की परम्परागत सोने‑खरीदारी का प्रमुख अवसर है। लोग आम तौर पर हल्के ज्वैलरी, सोने के सिक्के और छोटी‑छोटी बँड बनवाते हैं। इस मौसमी मांग के साथ, जब केंद्रीय बैंकों की बड़ी खरीददारी और वैश्विक बाजार की स्थितियाँ अनुकूल हों, तो कीमतें तीव्रता से ऊपर जाती हैं।
क्या कीमतों में गिरावट की संभावना है?
संभावना हमेशा रहती है। अगर अमेरिकी फेड अंततः दर‑कट नहीं करता, या डॉलर में मजबूती आती है, तो निवेशक सोने से दूर हो सकते हैं। इसी तरह, यदि चीन या भारत जैसे बड़े खरीदार अपनी खरीददारी घटा देते हैं, तो सपोर्ट स्तर ₹1,21,000 से नीचे गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
सोनामेँ निवेश करने के लिए किस प्रतिशत हिस्सेदारी की सलाह दी जाती है?
धीरेंद्र कुमार के अनुसार, पोर्टफ़ोलियो में सोने का वज़न 5‑10 % तक सीमित रखना चाहिए। यह सीमा जोखिम कम करती है, क्योंकि सोना आय नहीं देता परन्तु आर्थिक अनिश्चितता के समय में सुरक्षा कवच बनता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें भारतीय बाजार को कैसे प्रभावित करती हैं?
अंतरराष्ट्रीय कीमतों में परिवर्तन सीधे भारतीय एक्सचेंजों पर असर डालते हैं क्योंकि सोना आयातित माल है। जब वैश्विक स्तर पर कीमत $4,000/औंस से ऊपर जाती है, तो भारतीय बाजार में भी समान दर से मूल्य वृद्धि होती है, जैसा कि इस वर्ष अक्टूबर में देखा गया।
भविष्य में सोने की कीमतों पर कौन-सी नीतियाँ असर डाल सकती हैं?
यदि भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकरों के लिए बैंकों की जमा दरें घटाता है या सरकारी ऋण में वृद्धि करता है, तो निवेशक सुरक्षित संपत्ति की तलाश में सोने की ओर झुकेगा। इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टैक्स नीतियों में बदलाव या मौद्रिक नीति के बदलाव भी कीमतों को दिशा दे सकते हैं।
Ayush Sinha
अक्तूबर 19, 2025 AT 00:07सोने की कीमतें इस हद तक कूद रही हैं, पर मुझे लगता है यह सिर्फ एक अस्थायी उत्साह है। केंद्रीय बैंकों की खरीद से अस्थायी बुल मार्केट बन रहा है, और इस पर भरोसा करना जोखिम भरा है। अगर डॉलर फिर से मजबूत हुआ तो सोना भारी गिरावट देख सकता है।
Saravanan S
अक्तूबर 28, 2025 AT 00:07बहुत बढ़िया लेख, वाकई! यह दिखाता है कि दीवाली के मौसम में निवेशकों की मनःस्थिति कैसे बदलती है, और साथ ही वैश्विक कारक भी भूमिका निभाते हैं, जैसे फेड की नीति, केंद्रीय बैंकों की खरीद, और डॉलर की गिरावट। इस सबको समझते हुए, पोर्टफ़ोलियो में सोने का हिस्सा संतुलित रखना चाहिए, ताकि जोखिम कम हो।
Alefiya Wadiwala
नवंबर 6, 2025 AT 00:07इस लेख में प्रस्तुत आँकड़े वास्तव में अद्भुत हैं और आर्थिक इतिहास में एक नया अध्याय खोलते प्रतीत होते हैं। सोने का ₹1.3 लाख पार करना केवल एक अंक नहीं, बल्कि निवेशकों की मनोसामाजिक स्थिति में गहरा परिवर्तन दर्शाता है। पहले जहाँ सोना केवल विरासत और शादियों का प्रतीक माना जाता था, अब यह आय सुरक्षा का साधन बन गया है। केंद्रीय बैंकों की विशाल मात्रा में खरीदारी का प्रभाव नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि यह बाजार में तरलता को सीधे प्रभावित करता है। इस संदर्भ में चीन, भारत और टर्की जैसे देश केवल सुरक्षा ही नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने के उद्देश्य से सोने को अपनाते हैं। फेड की दर कटौती की अपेक्षाएँ और डॉलर का निरन्तर गिरना दो प्रमुख कारक हैं, जो निवेशकों को बॉण्ड से सोने की ओर मोड़ते हैं। अमेरिकी शट‑डाउन के दौरान वित्तीय अस्थिरता ने सोने को एक भरोसेमंद एसेट के रूप में स्थापित किया, जिससे उसकी माँग में इजाफा हुआ। दीवाली के मौसम में पारिवारिक जमातें सोने की खरीदारी को प्राथमिकता देती हैं, जिससे मौसमी प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जाता है। तकनीकी रूप से, वर्तमान में ₹1,30,000‑₹1,35,000 के रेज़िस्टेंस स्तर पर बाजार संगतता परीक्षण कर रहा है, जो एक निर्णायक चरण है। यदि इस रेंज को भेद कर कीमतें ₹1,38,000‑₹1,42,000 तक पहुँचती हैं, तो यह एक नई बुलिश ट्रेंड की शुरुआत का संकेत देगा। दूसरी ओर, यदि समर्थन स्तर ₹1,21,000 को तोड़ जाता है, तो बाजार में गिरावट की संभावना बढ़ जाती है, और निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। भविष्य में फेड की नीति, वैश्विक आर्थिक स्थिरता और भौगोलिक तनावों का मिश्रण इस रैली को आगे बढ़ा सकता है या खत्म कर सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में, पोर्टफ़ोलियो में सोने का 5‑10 % हिस्सा वधुशन्य योग्य है, क्योंकि यह संपूर्ण जोखिम को कम करता है। हालांकि, सोना आय उत्पन्न नहीं करता, इसलिए इसे दीर्घकालिक सुरक्षा के साधन के रूप में देखना चाहिए, न कि लाभ की उम्मीद के साथ। संक्षेप में, वर्तमान बुल रन में धीरज और सूक्ष्म विश्लेषण आवश्यक है, ताकि निवेशक संभावित रिवर्सल से बच सकें।
Paurush Singh
नवंबर 15, 2025 AT 00:07वित्तीय बाजारों की इस धुंधली यात्रा में, सोना केवल एक धातु नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन चुका है; यह हमें हमारी आर्थिक असुरक्षा के बारे में गहरा आत्मनिरीक्षण करवाता है। जब भी हम इस प्रकार की तेज़ उछाल देखते हैं, तो हमें यह प्रश्न उठाना चाहिए कि क्या यह वास्तविक मूल्य की अभिव्यक्ति है या केवल बाजार की मनोवैज्ञानिक चाल है।
Sandeep Sharma
नवंबर 24, 2025 AT 00:07वाह भाई, कीमतें तो आकाश छू रही हैं 😲! दीवाली में सोने की खारीदारी तो बढ़ती ही है, और अब तो डिजिटल वर्ल्ड में भी लोग सोने के ETFs में जलते हैं 💸। लेकिन याद रखो, इतनी तेज़ी से बढ़ी कीमतें कभी-कभी गिर भी सकती हैं, तो सोच समझ कर निवेश करो 😉।
Mita Thrash
दिसंबर 3, 2025 AT 00:07वैश्विक मौद्रिक नीति के टैक्टिकल शिफ्ट और रेज़िलिएंट मैक्रोफाइनैंशियल फ़्रेमवर्क को देखते हुए, सोने की प्राइसिंग डाइनामिक्स में एक कॉम्प्लेक्स इंटरप्ले नजर आता है। कँटिंजेंट इकोनॉमिक सिग्नल्स, जैसे कि फेडरल रिज़र्व की इंटरेस्ट रेट पाथ और डॉलर इंडेक्स की वोलैटिलिटी, सीधे सोने के सपोर्ट‑रेज़िस्टेंस लेवल्स को रीशेप करती हैं। इस संदर्भ में, पोर्टफ़ोलियो में नॉन‑कॉरिलेटेड असेट क्लासेज़ के अलोकेशन को ऑप्टिमाइज़ करना इन्फ्लेशनरी प्रेशर को हेज करने के लिए अति आवश्यक है।