आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव 2024: हिंसा और झड़पों से भरा चुनावी माहौल

आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव 2024: हिंसा और झड़पों से भरा चुनावी माहौल
Tarun Pareek
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आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव 2024: हिंसा और झड़पों से भरा चुनावी माहौल

आंध्र प्रदेश में 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान व्यापक हिंसा और झड़पों की घटनाएं सामने आई हैं। राज्य की 25 लोकसभा सीटों और 175 विधानसभा सीटों पर मतदान तनावपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था बनाए रखने के प्रयास के बावजूद, सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) और विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के समर्थकों के बीच कई स्थानों पर झड़पें हुईं।

नेल्लोर, कड़पा, अनंतपुरम और प्रकाशम सहित कई जिलों में हिंसा और उपद्रव की घटनाएं सामने आईं। नेल्लोर में वाईएसआरसीपी और टीडीपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईं, जबकि कड़पा में पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। अनंतपुरम में विधायक केथिरेड्डी पेद्दारेड्डी के वाहन सहित कई वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया और उच्च तनाव देखा गया।

प्रकाशम जिले में भी झड़पें हुईं, जहां कुछ समय के लिए मतदान बाधित हुआ। इसके अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में भी हिंसा और तनाव की खबरें आईं। कुल मिलाकर, चुनाव के दिन राज्य के कई हिस्सों में हिंसा और तनाव का माहौल रहा।

चुनाव आयोग ने की कड़ी निंदा

इस हिंसा के मद्देनजर चुनाव आयोग ने कड़ी निंदा व्यक्त की है। आयोग ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही आगामी चुनावी प्रक्रिया के दौरान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।

आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान हुई हिंसा लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को हिंसा का सहारा लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सभी पक्षों को संयम बरतने और मतदाताओं को बिना किसी डर या प्रलोभन के अपने मताधिकार का प्रयोग करने देने की अपील की गई है।

राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप

हिंसा को लेकर राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिए हैं। सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने विपक्षी टीडीपी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि टीडीपी नेता चुनाव में हार के डर से इस तरह की हरकतों पर उतारू हैं।

वहीं, टीडीपी ने भी वाईएसआरसीपी पर चुनाव में धांधली और बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सत्ताधारी दल मतदाताओं को डराने और प्रभावित करने के लिए हिंसा का सहारा ले रहा है। राज्य में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने में सरकार की विफलता पर भी सवाल उठाए गए हैं।

जनता में भी आक्रोश

चुनाव के दौरान हुई हिंसा से आम जनता में भी आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि राजनीतिक दलों को अपनी जीत के लिए ऐसी घटिया हरकतों पर उतरना शोभा नहीं देता। चुनाव आयोग और प्रशासन को इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।

मतदाताओं का मानना है कि उन्हें बिना किसी भय या दबाव के अपने मताधिकार का प्रयोग करने का पूरा अधिकार है। राजनीतिक दलों को हिंसा के बजाय मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहिए और जनता के विकास और कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए इस तरह की करतूतों से लोकतंत्र कमजोर होता है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

हिंसा की घटनाओं के बाद राज्य में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। चुनाव आयोग ने भी राज्य में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी है। पुलिस और सुरक्षाबलों को हिंसा पर सख्ती से नियंत्रण पाने के निर्देश दिए गए हैं।

साथ ही, आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए क्वीक रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है। सुरक्षाबलों को शांति बनाए रखने और मतदान केंद्रों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। स्थानीय प्रशासन भी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।

मतगणना पर असर के आसार

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव के दौरान हुई हिंसा का असर मतगणना पर भी पड़ सकता है। कई मतदान केंद्रों पर हिंसा और उपद्रव के कारण मतदान प्रभावित हुआ है। साथ ही, कई जगहों पर ईवीएम में गड़बड़ी और धांधली के भी आरोप लगे हैं।

ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा मतगणना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। अगर मतगणना में विसंगतियां सामने आती हैं तो नतीजों को लेकर विवाद हो सकता है। चुनाव आयोग ने मतगणना की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन विपक्ष को संतुष्ट करना आसान नहीं होगा।

हालांकि, सत्ताधारी दल का कहना है कि हिंसा और अनियमितताओं के आरोप निराधार हैं। उनका मानना है कि विपक्ष जनता के जनादेश को स्वीकार करने से बच रहा है। सरकार ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए सभी प्रयास किए हैं।

आगे की राह

आंध्र प्रदेश में इस बार के चुनाव हिंसा और विवादों के साये में संपन्न हुए हैं। हालांकि, लोकतंत्र की जीत के लिए यह जरूरी है कि सभी पक्ष मतदाताओं के फैसले का सम्मान करें। चुनाव नतीजों के बाद सभी दलों को मिलकर काम करना होगा और राज्य के विकास पर ध्यान देना होगा।

साथ ही, भविष्य में इस तरह की हिंसक घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। चुनाव आयोग और सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक सतर्क रहना होगा। राजनीतिक दलों को भी जिम्मेदार व्यवहार दिखाते हुए हिंसा का सहारा लेने से परहेज करना चाहिए।

जनता और मीडिया को भी इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभानी होगी। हिंसा और धांधली के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। सिर्फ तभी लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत हो सकती है और आंध्र प्रदेश का चहुंमुखी विकास संभव हो सकता है। चुनावी हिंसा पर अंकुश लगाना वक्त की जरूरत है।

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