कोलकाता के 'बिग थ्री' ने मिलकर की इंसाफ की मांग, दरांड कप के मैदान में वापसी की अपील

Ranjit Sapre अगस्त 21, 2024 खेल 9 टिप्पणि
कोलकाता के 'बिग थ्री' ने मिलकर की इंसाफ की मांग, दरांड कप के मैदान में वापसी की अपील

कोलकाता के तीन प्रमुख फुटबॉल क्लब एकजुट

कोलकाता के प्रतिष्ठित फुटबॉल क्लब—मोहन बागान, ईस्ट बंगाल और मोहम्मेडन स्पोर्टिंग—ने पहली बार एकजुट होकर एक महत्वपूर्ण मामला उठाया है। यह घटना आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में हुई कथित बलात्कार और हत्या की घटना के बाद उत्पन्न हुई है। इन क्लबों के सचिवों—मोहन बागान के देबाशीष दत्ता, ईस्ट बंगाल के रूपक साहा और मोहम्मेडन स्पोर्टिंग के इस्तिआक अहमद—ने संयुक्त मीडिया कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।

संयुक्त आग्रह और मांग

इन प्रसिद्ध क्लबों के अधिकारी इस घटना पर गहरा दुख और गुस्सा जाहिर करते हुए न्याय की मांग की है। इनका कहना है कि घटना के दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इस्तिआक अहमद ने विशेष रूप से अपराधी के लिए फांसी की सजा की मांग की है। उन्होंने जांच एजेंसियों, विशेष रूप से सीबीआई से भी अनुरोध किया है कि वे इस मामले की गहनता से जांच करें।

फैसला और अपील

इन क्लबों के नेताओं ने फुटबॉल प्रेमियों से शांतिपूर्ण व्यव्हार की अपील की है और प्रशासन के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है। हालांकि, सुरक्षा चिंताओं के कारण रविवार को होने वाले दरांड कप का डर्बी मैच, जो साल्ट लेक स्टेडियम में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच होने वाला था, रद्द कर दिया गया।

प्रदर्शन और उथल-पुथल

मैच के रद्द होने के बावजूद, इन तीनों क्लबों के हजारों प्रशंसक स्टेडियम के बाहर जमा हो गए, जिससे हिंसक प्रदर्शन हुए और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। इस घटना ने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया।

भविष्य की योजनाएं

क्लबों ने उम्मीद जताई है कि दरांड कप के सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले कोलकाता में ही आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने खेल मंत्री अरुप बिश्वास और दरांड कप की आयोजन समिति को इस सम्बंध में अपनी इच्छाएं प्रकट की हैं। मोहन बागान के कप्तान सुबासिश बोस और एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए।

फैसले का असर

ईस्ट बंगाल के अधिकारी देबब्रत 'नितु' सरकार ने लाठीचार्ज की निंदा की और क्लबों के खिलाफ किसी भी राजनीतिक प्रभाव को स्पष्ट रूप से नामंजूर कर दिया। मोहन बागान और ईस्ट बंगाल को एक-एक अंक दिया गया है और उनके नॉकआउट मैचों को जमशेदपुर और शिलॉन्ग में पुनर्निर्धारित किया गया है।

उम्मीद की किरण

क्लबों को अभी भी उम्मीद है कि मैच कोलकाता में लौटेंगे और इस प्रतिष्ठित शहर में खेल का लौटना सभी के लिए सुखद अनुभव साबित होगा।

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    कोलकाता के तीन प्रमुख फुटबॉल क्लब—मोहन बागान, ईस्ट बंगाल, और मोहम्मेडन स्पोर्टिंग—ने पहली बार मिलकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में हुई कथित बलात्कार और हत्या की घटना के पीड़ित को इंसाफ दिलाने और दरांड कप को शहर में वापस लाने की मांग की। ये तीनों क्लबों के सचिवों ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अपनी मांगें व्यक्त कीं।

9 टिप्पणि

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    Alefiya Wadiwala

    अगस्त 21, 2024 AT 22:20

    कोलकाता के फुटबॉल जगत के प्रतिष्ठित त्रिमूर्ति-मोहन बागान, ईस्ट बंगाल और मोहम्मेडन स्पोर्टिंग-के संयुक्त प्रकटिकरण को मैं एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में देखता हूँ, जो केवल स्थानीय नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर न्यायिक मानकों की पुनः परिभाषा का अवसर प्रदान करता है।
    पहले तो यह स्पष्ट है कि इस तरह के सामाजिक दुराचार के सामने केवल क्रीड़ा संस्थानों का एकजुट होना पर्याप्त नहीं है; बल्कि यह राज्य की बुनियादी संरचना में गहरी झाँकी प्रदान करता है।
    दोषियों के लिए फांसी की मांग केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि यह ऐसी प्रणाली को दर्शाती है जहाँ विधिक प्रक्रिया को केवल पुनरावृत्ति के रूप में नहीं, बल्कि निवारक शक्ति के रूप में देखा जाता है।
    सीबीआई जैसी एजेंसियों का साहसी हस्तक्षेप इस बात का संकेत है कि इस मामले में केवल स्थानीय स्तर की पुलिस जांच पर्याप्त नहीं होगी; यह एक व्यापक, पारदर्शी और संपूर्ण जांच चाहिए।
    कार्रवाई की दक्षता को बढ़ाने हेतु, जनहित को ध्यान में रखते हुए, एक स्वतंत्र जांच बोर्ड की स्थापना अनिवार्य है, जिसका सदस्य चयन भी शुद्ध आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए।
    रड्रन कप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट को रद्द करने का निर्णय, यद्यपि सुरक्षा कारणों से उठाया गया, परंतु यह दर्शाता है कि सामाजिक अशांति का सीधा प्रभाव खेल के मूल्यों पर भी पड़ता है।
    जैकटर्स की लोकप्रियता को देखते हुए, प्रदर्शनों के दौरान हुए उग्रता को सीमित करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया, यह कदम अनिवार्य रूप से आवेगपूर्ण था और यह क्रीड़ा के शांतिपूर्ण अंतर्संबंध को नकारता है।
    ऐसे में, प्रशंसकों के लिए यह समझना आवश्यक है कि फुटबॉल केवल खेल नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, न्याय और समानता के लिए एक मंच है।
    यह आवश्यक है कि सभी हितधारक-एथलीट, प्रशंसक, क्लब अधिकारी, और सरकार-एक सम्मिलित ढांचे में काम करें, जिससे समानुपातिक निर्णय लिए जा सकें।
    अधिकांश मीडिया संस्थानों की इस मुद्दे पर रूढ़िवादी रिपोर्टिंग को दूर करना चाहिए और एक सूचनात्मक, वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
    न्याय की मांग केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि पुनर्स्थापना एवं पुनरुद्धार के स्वरूप में होनी चाहिए, जिससे पीड़ित के परिवार को मानसिक शांति मिल सके।
    इसी कारण से, अभियोजन प्रक्रिया में पीड़ित तथा उनके परिजन की सुनवाई को प्राथमिकता देना आवश्यक है, जिससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता बनी रहे।
    फुटबॉल क्लबों की इस समय पर सामूहिक आवाज़ ने यह सिद्ध किया कि खेल सामाजिक चेतना को जागरूक कर सकता है, बशर्ते कि वह सामाजिक मुद्दों को हल्के में न ले।
    इसी प्रकार, यदि रड्रन कप के सेमीफाइनल और फाइनल को कोलकाता में ही आयोजित किया जाता है, तो यह न केवल खेल प्रेमियों की मांग को पूरा करेगा, बल्कि समाज में न्याय की भावना को भी मजबूती प्रदान करेगा।
    आखिरकार, इस पूरी प्रक्रिया में सबसे बड़ी सीख यह है कि कोई भी सामाजिक बुराई केवल एक संस्थान या व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है, जिसे तभी साकार किया जा सकता है जब सभी मिलकर सहयोगी भावना अपनाएँ।

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    Paurush Singh

    अगस्त 21, 2024 AT 23:26

    यहाँ तक कि जब फुटबॉल के मैदान पर भी सामाजिक दुष्परिणाम उभरते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि नैतिक प्रतिबद्धता भी है। दया और दंड के बीच संतुलन स्थापित करना ही सच्ची न्याय की राह है, न कि केवल कठोर उपायों से। अतः, सभी पक्षों को मिलकर एक अनुभवी मध्यस्थ को नियुक्त करना चाहिए, जो इस जटिल स्थिति का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से निकाल सके।

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    Sandeep Sharma

    अगस्त 22, 2024 AT 00:33

    बहुत बढ़िया! 🙌⚽️

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    Mita Thrash

    अगस्त 22, 2024 AT 01:40

    समाज में खेल का स्थान केवल प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं होना चाहिए; यह एक उपकरण होना चाहिए जो समन्वय, सहिष्णुता और संवाद को बढ़ावा दे। अब जब उल्लिखित क्लबों ने सशक्त आवाज़ उठाई है, तो हमें जुड़ी‑जुड़ी फ्रेमवर्क को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे घटनाक्रम दोबारा न दोहराए जाएँ।
    उदाहरण के तौर पर, एक स्वतंत्र एथलेटिक एथिक्स बोर्ड का गठन किया जा सकता है, जो नैतिक दुविधाओं को विश्लेषित कर, संगठनों को सलाह दे। यह बोर्ड न केवल नियमों की निगरानी करेगा, बल्कि शिक्षा एवं जागरूकता कार्यक्रमों का भी संचालन करेगा।
    इस प्रकार, हम न केवल एक बारिक न्याय प्रणाली स्थापित करेंगे, बल्कि क्रीड़ा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक स्थायी कदम बढ़ाएंगे।

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    shiv prakash rai

    अगस्त 22, 2024 AT 02:46

    अरे वाह, अब फुटबॉल भी कोर्टरूम में बदल गया, मज़ा आ गया।

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    Subhendu Mondal

    अगस्त 22, 2024 AT 03:53

    yeh to bilkul galat hai, koi bhi aisa karne dega to sab khudgarz ho jayega.

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    Ajay K S

    अगस्त 22, 2024 AT 05:00

    जैसे ही स्टेडियम में फँसा, जैसे ही 🙄

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    Saurabh Singh

    अगस्त 22, 2024 AT 06:06

    आँखें खोलो, ये सब बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है, सिर्फ एक नाटक नहीं।

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    Jatin Sharma

    अगस्त 22, 2024 AT 07:13

    अगर क्लब और पुलिस मिलकर एक स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाते हैं, तो भविष्य में ऐसे मुद्दे कम होंगे।

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