जब पहला महिला विश्व कप खिताब, महिला क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसने दुनिया भर के लाखों लड़कियों को खेल की दुनिया में अपनी जगह बनाने का साहस दिया भारत ने जीता, तो ये सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी — ये एक नए युग की शुरुआत थी। इस जीत के पीछे सिर्फ बल्लेबाजी या गेंदबाजी नहीं थी, बल्कि एक ऐसी भावना थी जो बोलती थी — हम भी इस खेल के बराबर हैं।
इस जीत में टज़मिन ब्रिट्स, दक्षिण अफ्रीका की खिलाड़ी जिन्होंने एक जश्न के जरिए दुनिया को सिखाया कि खेल और राजनीति अलग होते हैं जैसे नाम भी जुड़े, लेकिन भारत के लिए असली हीरो वो थीं जिन्होंने घर के बाहर अपना नाम बनाया। नश्रा संधु, पाकिस्तान की पहली महिला क्रिकेटर जिन्होंने विश्व कप में हिट-विकेट किया और एक नए रास्ते का निर्माण किया — उनका योगदान बस एक विकेट नहीं था, बल्कि एक संदेश था कि लड़कियाँ भी टॉप पर खड़ी हो सकती हैं।
ये जीत एक टीम की नहीं, एक देश की थी। जहाँ एक लड़की ने अपनी बाल्टी से गेंद फेंकी, तो दूसरी ने एक दर्जन लड़कियों को खेलने का नाम दिया। ये जीत दिल्ली के गलियों से लेकर बेंगलुरु के स्कूल तक पहुँची। इसके बाद कोई नहीं कह पाया कि महिला क्रिकेट बस एक बार का नाटक है।
इस खिताब के बाद से बच्चियों के घरों में बल्ला और गेंद की आवाज़ बढ़ गई। रेडियो, टीवी, और सोशल मीडिया पर उनकी बातें चलने लगीं। उनके नाम अब सिर्फ स्कूल के रिजल्ट पर नहीं, बल्कि न्यूज़ हेडलाइन्स पर भी दिखने लगे। ये जीत ने सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सोच बदल दी — कि लड़कियाँ भी जीत सकती हैं, और जीतने के बाद भी वो अपने आप को नहीं छुपातीं।
इस पेज पर आपको उनी खबरें मिलेंगी जो इस जीत के पीछे की असली कहानी बताती हैं — जहाँ एक जश्न का इशारा गलत नहीं समझा गया, जहाँ एक हिट-विकेट ने एक नए जनरेशन को प्रेरित किया, और जहाँ एक टीम ने साबित किया कि जब इच्छा हो, तो भारत की लड़कियाँ कुछ भी कर सकती हैं। ये सब आपके लिए एक अलग तरह की यात्रा है — जहाँ हर खबर एक कदम है, जो एक ऐतिहासिक जीत की ओर ले जाता है।
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच आईसीसी महिला विश्व कप फाइनल 2025 में भारत को दो विकेट से इतिहास रचने का मौका मिला है। हरमनप्रीत कौर और लौरा वोल्वार्ड्ट की टीमें नवी मुंबई में लड़ रही हैं।
और पढ़ें