दक्षिण अफ्रीका ने 221 रन बनाए, और अब भारत के पास सिर्फ दो विकेट बाकी हैं — ये नहीं सिर्फ एक फाइनल है, ये भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास का नया मोड़ है। आईसीसी महिला विश्व कप फाइनल 2025 रविवार, 2 नवंबर 2025 को डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी, नवी मुंबई में शुरू हुआ, जहां 55,000 लोगों की भीड़ ने इतिहास बनाने का इंतजार किया। भारत की कप्तान हरमनप्रीत कौर (36) ने अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचाया है, और अब वो बस दो विकेट से अपनी पहली महिला विश्व कप ट्रॉफी के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर, लौरा वोल्वार्ड्ट (25) ने दक्षिण अफ्रीका को पहली बार किसी भी 50-ओवर विश्व कप के फाइनल में पहुंचाया है — एक ऐसा उपलब्धि जिसके बारे में उन्होंने कहा, "इस ट्रॉफी का असर देश में लाखों लड़कियों के जीवन पर पड़ेगा।"
कैसे पहुंचीं ये टीमें फाइनल में?
भारत का रास्ता बेहद जबरदस्त रहा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अर्धफाइनल में जेमिमाह रोड्रिग्स ने 134 गेंदों में 127 रन बनाए — एक ऐसा पारी जिसे बीबीसी ने "विश्व कप के इतिहास की सबसे बड़ी चेज" कहा। वहीं, दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड के खिलाफ अपने अर्धफाइनल में वोल्वार्ड्ट ने 143 गेंदों में 169 रन बनाकर टीम को फाइनल में पहुंचाया। ये दोनों पारियां न सिर्फ रिकॉर्ड बना रही थीं, बल्कि दोनों टीमों के लिए एक नए युग की शुरुआत थीं।
भारत का नाम लिखा नहीं जा सकता, बिना हरमनप्रीत के
हरमनप्रीत कौर अब सिर्फ एक कप्तान नहीं — वो एक अहसास हैं। 2022 से टीम की नेतृत्व कर रही हैं, और इस टूर्नामेंट में उनकी अनुभवी बल्लेबाजी और शांत नेतृत्व टीम को एक इकाई में बांधे रखता है। उनके बाद स्मृति मंधाना और शफाली वर्मा की ओपनिंग जोड़ी ने ग्रुप स्टेज में भी बड़े-बड़े टारगेट बनाए। लेकिन फाइनल में जो चीज़ असली अंतर ला सकती है, वो है रेनुका ठाकुर की गेंदबाजी — जिन्होंने टूर्नामेंट में 17 विकेट लिए हैं।
दक्षिण अफ्रीका: एक नए युग का जन्म
ये फाइनल दक्षिण अफ्रीका के लिए सिर्फ एक मैच नहीं — ये एक नारे है। जब तक 2020 के बाद उनकी महिला टीम को कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिले, तब तक उनका खेल सिर्फ एक शौक था। अब, लौरा वोल्वार्ड्ट और उनकी टीम ने दुनिया को दिखा दिया कि जब निवेश होता है, तो नतीजे भी आते हैं। उनके लिए ये फाइनल एक नई पीढ़ी के लिए एक लाइटहाउस बन सकता है।
क्या भारत की जीत देश बदल देगी?
1983 का विश्व कप जब भारत ने जीता था, तो ये एक क्रिकेट ट्रॉफी नहीं, एक सामाजिक बदलाव था। 2011 का विजय ने खेल को बिजनेस बना दिया। अगर आज भारत महिला टीम जीत जाती है, तो ये एक ऐसा विस्फोट होगा जो स्कूलों, गांवों और घरों तक पहुंचेगा। 2017 के फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 9 रन से हार के बाद भी टीम को देश ने गले लगाया था। अब, जीतने पर तो ये एक नए नियम की शुरुआत होगी — जहां महिलाओं के लिए खेल एक नौकरी बन जाएगा, न कि एक शौक।
फाइनल के लिए टीम और ट्रॉफी का नक्शा
भारत की शुरुआती टीम: स्मृति मंधाना, शफाली वर्मा, जेमिमाह रोड्रिग्स, हरमनप्रीत कौर (कप्तान), डीप्ति शर्मा, रिचा घोष, अमनजोत कौर, राधा यादव, क्रांति गौड़, श्री चरणी, रेनुका ठाकुर।
दक्षिण अफ्रीका: लौरा वोल्वार्ड्ट (कप्तान), ताज़मिन ब्रिट्स, सूने लूस, एनरी डर्कसेन, एन्नीके बॉश, मैरिज़न कैप, सिनालो जाफ्ता, क्लोई ट्रायन, नैडिन डी क्लर्क, अयाबोंगा खाका, नोनकुलुलेको म्लाबा।
मैच की शुरुआत 6:23 बजे (UTC) हुई, और दोपहर के बाद जब धूप ढली, तो मैदान पर गेंद और भी ज्यादा चलने लगी। अभी तक भारत के लिए दो विकेट बाकी हैं — और ये दो विकेट दुनिया के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकते हैं।
कौन कर रहा है लाइव कवरेज?
भारत में मनीकंट्रोल और सीएनबीसी-टीवी18 ने लाइव स्ट्रीम शुरू कर दी है। मनीकंट्रोल, जो नेटवर्क18 का हिस्सा है, ने अपने यूट्यूब चैनल पर फ्री लाइव कवरेज दिया है — जिसे लाखों लोग देख रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लाइव ट्रैकिंग के दौरान चैट में "हरमनप्रीत, जीत ले!" के संदेश बरस रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत कभी महिला विश्व कप जीत चुका है?
नहीं, भारत अब तक कभी महिला विश्व कप नहीं जीत पाया है। 2017 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में 9 रन से हार के बाद टीम ने अपना दूसरा फाइनल जीतने का मौका पाया है। अगर आज जीत जाती है, तो ये देश का पहला महिला विश्व कप खिताब होगा।
दक्षिण अफ्रीका क्यों इतना खास है?
ये पहली बार है जब दक्षिण अफ्रीका की कोई भी महिला या पुरुष टीम किसी 50-ओवर विश्व कप के फाइनल में पहुंची है। उनके लिए ये एक नए युग की शुरुआत है — जिसमें अब उनकी महिला टीम को कॉन्ट्रैक्ट मिल रहे हैं, और खेल को संस्थागत समर्थन मिल रहा है।
जेमिमाह रोड्रिग्स का अर्धफाइनल पारी क्यों इतना बड़ा था?
ऑस्ट्रेलिया ने 300+ रन बनाए थे, और उनकी गेंदबाजी टीम तब तक अजेय मानी जाती थी। जेमिमाह ने 134 गेंदों में 127 रन बनाकर दुनिया को दिखाया कि भारत की बल्लेबाजी अब डर के बजाय आत्मविश्वास से खेल रही है। ये भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास का सबसे बड़ा चेज था।
हरमनप्रीत कौर की उम्र के बावजूद वो अभी भी टीम की धुरी क्यों हैं?
उनकी अनुभव, शांत नेतृत्व और अंतिम ओवरों में बल्लेबाजी की क्षमता टीम के लिए एक शांत बल है। 36 साल की उम्र में भी वो टीम के लिए बाहरी शक्ति नहीं, बल्कि आंतरिक धुरा हैं — जिसके बिना टीम का अंदाज़ बदल जाता।
ये फाइनल किस तरह भारत में महिला क्रिकेट को बदल सकता है?
अगर भारत जीतता है, तो ये एक बड़ा विस्फोट होगा। आईसीसी के अनुसार, भारत में महिला क्रिकेटर्स की संख्या 2017 के बाद 300% बढ़ी है। एक विश्व कप जीत से ये आंकड़े दोगुना हो सकते हैं — स्कूलों में खेल की शुरुआत, स्पॉन्सर्स का आना, और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार।
क्या ये फाइनल भारत के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के लिए रिवेंज है?
हां, बिल्कुल। ग्रुप स्टेज में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 8 विकेट से हराया था, लेकिन उस मैच में वोल्वार्ड्ट ने बहुत कम रन बनाए थे। अब वो अपनी पूरी ताकत लेकर आए हैं — और ये फाइनल उनके लिए एक रिवेंज मैच बन गया है।
Amar Khan
नवंबर 4, 2025 AT 00:46भाई ये मैच देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए थे भैया अब तक कभी नहीं रोया था क्रिकेट के लिए लेकिन आज हरमनप्रीत की ओर देखकर लगा जैसे मेरी मां ने मुझे जन्म दिया हो
Roopa Shankar
नवंबर 4, 2025 AT 10:43हरमनप्रीत की बात अब तक किसी ने नहीं कही थी ये टीम सिर्फ खेल नहीं बल्कि हर गांव की लड़की की आत्मविश्वास की जीत है अगर आज जीत गए तो कोई भी लड़की अब घर पर बैठकर बोलेगी नहीं कि मैं खेल सकती हूं
vikram singh
नवंबर 5, 2025 AT 14:28ये फाइनल सिर्फ एक मैच नहीं ये तो एक भारतीय नारे का अंतिम रूप है जब तक लड़कियां अपने घरों में बाल्कनी से बैठकर क्रिकेट देख रही थीं अब वो मैदान पर खड़ी हैं और दुनिया को बता रही हैं कि लड़कियों के लिए भी जीतने का हक है ये ट्रॉफी अब एक गोल्डन टेस्ट बन गई है जिसे दुनिया भर में देखा जाएगा
Vasudev Singh
नवंबर 7, 2025 AT 04:45देखो ये मैच बस रन और विकेट की बात नहीं है ये तो एक ऐसा रिवॉल्यूशन है जिसमें एक बच्ची जो अभी तक अपने घर में बाल्कनी पर बैठकर टीवी देख रही थी अब अपने स्कूल के मैदान पर बैट उठा रही है और उसकी मां भी अब उसके लिए रोटी नहीं बल्कि गेंद और बैट खरीद रही है जेमिमाह की पारी ने सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को नहीं धोखा दिया बल्कि एक पूरी पीढ़ी को उम्मीद दी और रेनुका की गेंदबाजी ने दिखाया कि भारतीय महिलाएं अब डर के बजाय आत्मविश्वास से खेल रही हैं और ये बदलाव एक टीम के अंदर से नहीं बल्कि हर घर से शुरू हुआ है जहां अब बेटी को खेलने की इजाजत दी जा रही है और इसी वजह से आज हम यहां हैं जहां 55,000 लोग खड़े हैं और एक लड़की के लिए चिल्ला रहे हैं ये ट्रॉफी अब सिर्फ चांदी और सोने की नहीं बल्कि लाखों लड़कियों के सपनों की है
Arpit Jain
नवंबर 7, 2025 AT 20:04ये सब बकवास है अभी तक कोई महिला विश्व कप नहीं जीत पाया तो अब ये इतिहास क्यों बन रहा है ये तो बस एक और मैच है जिसे बढ़ाकर बनाया जा रहा है
Akshay Srivastava
नवंबर 8, 2025 AT 14:15यदि भारत जीतता है, तो यह एक राष्ट्रीय अनुभव होगा, न कि केवल एक खेल की जीत। विश्व कप के इतिहास में, कभी भी एक टीम ने अपने देश की सामाजिक संरचना को इतनी गहराई से बदलने का संकल्प नहीं लिया। यहाँ एक बल्लेबाज की बात नहीं, बल्कि एक देश की आत्मा की बात है। जीतने के बाद, भारत की महिला क्रिकेट टीम को अब अधिकार मिलेंगे, न कि दया। और यही वास्तविक विजय है।
manisha karlupia
नवंबर 9, 2025 AT 16:39हरमनप्रीत ने जो किया है वो बस एक खिलाड़ी नहीं बल्कि एक दुनिया को बदल दिया है अगर आज जीत गए तो ये फाइनल एक नई शुरुआत होगी जहां लड़कियां अपने घरों में खेलने के लिए बोलेंगी न कि बैठकर देखेंगी
Hardik Shah
नवंबर 10, 2025 AT 11:59इतना धमाका क्यों? ये तो बस एक महिला क्रिकेट मैच है जिसे टीवी और सोशल मीडिया ने बढ़ा दिया है असली खेल तो पुरुषों का है
balamurugan kcetmca
नवंबर 11, 2025 AT 20:18देखो ये फाइनल बस एक मैच नहीं है ये तो एक बड़ा सामाजिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें एक गांव की लड़की जो अभी तक अपने घर में बैठकर टीवी देख रही थी अब अपने स्कूल के मैदान पर बैट उठा रही है और उसकी मां भी अब उसके लिए रोटी नहीं बल्कि गेंद और बैट खरीद रही है जेमिमाह की पारी ने सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को नहीं धोखा दिया बल्कि एक पूरी पीढ़ी को उम्मीद दी और रेनुका की गेंदबाजी ने दिखाया कि भारतीय महिलाएं अब डर के बजाय आत्मविश्वास से खेल रही हैं और ये बदलाव एक टीम के अंदर से नहीं बल्कि हर घर से शुरू हुआ है जहां अब बेटी को खेलने की इजाजत दी जा रही है और इसी वजह से आज हम यहां हैं जहां 55,000 लोग खड़े हैं और एक लड़की के लिए चिल्ला रहे हैं ये ट्रॉफी अब सिर्फ चांदी और सोने की नहीं बल्कि लाखों लड़कियों के सपनों की है
Karan Raval
नवंबर 12, 2025 AT 08:11हरमनप्रीत ने जो दिखाया वो कोई बल्लेबाजी नहीं बल्कि एक आत्मा का संगीत है जब तक लड़कियां अपने घरों में बैठकर टीवी देख रही थीं अब वो मैदान पर खड़ी हैं और दुनिया को बता रही हैं कि लड़कियों के लिए भी जीतने का हक है
avi Abutbul
नवंबर 14, 2025 AT 07:22ये टीम जीत गई तो देश बदल जाएगा बस इतना ही नहीं बल्कि हर घर में बेटी को अब खेलने की इजाजत मिलेगी
shivesh mankar
नवंबर 15, 2025 AT 15:18अगर भारत जीतता है तो ये फाइनल सिर्फ एक मैच नहीं बल्कि एक नई पीढ़ी की शुरुआत होगी जहां लड़कियां अपने सपने खेलने के लिए बोलेंगी न कि बैठकर देखेंगी
divya m.s
नवंबर 16, 2025 AT 03:53हरमनप्रीत ने जो किया वो बस एक खिलाड़ी नहीं बल्कि एक दुनिया को बदल दिया है अगर आज जीत गए तो ये फाइनल एक नई शुरुआत होगी जहां लड़कियां अपने घरों में खेलने के लिए बोलेंगी न कि बैठकर देखेंगी