मिथुन मानहास बने BCCI के नए अध्यक्ष, राजीव शुक्ला बने उपाध्यक्ष

Ranjit Sapre सितंबर 29, 2025 खेल 5 टिप्पणि
मिथुन मानहास बने BCCI के नए अध्यक्ष, राजीव शुक्ला बने उपाध्यक्ष

जब मिथुन मानहास, 44‑वर्षीय पूर्व दिल्ली कप्तान, को BCCI के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया, तो भारत के क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में उत्साह की लहर दौड़ गई। यह निर्णय मुंबई में 28 सितंबर 2025 को हुए 94वें वार्षिक सर्वसाधारण सभा (AGM) में बिन प्रतिस्पर्धा के मतदान के बाद लिया गया। उसी सभा में राजीव शुक्ला को उप‑अध्यक्ष के पद पर पुष्ट किया गया, जबकि देवजित सैकिया को सचिव के रूप में पुनः चुना गया।

पृष्ठभूमि और अनुक्रमिक बदलाव

मानहास का चयन अचानक नहीं हुआ; 2025 अगस्त में रॉजर बिनी के पदत्याग के बाद राजीव शुक्ला अंतरिम अध्यक्ष बने थे। बिनी के बाद सौरव गांगुले और अब मानहास, भारत के क्रिकेट इतिहास में लगातार तीन पूर्व क्रिकेटरों को शीर्ष पद पर देखकर प्रशंसकों को भरोसा मिला कि खेल‑प्रबंधन में अनुभव का महत्व बढ़ रहा है।

हिन्दुस्तानी क्रिकेट के शहरी केंद्रों से दूर, भदेरवा (पुरानी डोडा जिले) से उभरा यह खिलाड़ी 157 प्रथम‑श्रेणी मैचों में 9,700 से अधिक रन बनाए, साथ ही आईपीएल और जम्मू‑कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में कई प्रबंधकीय एवं कोचिंग भूमिकाएँ निभाई। इस स्थानीय‑राष्ट्रीय यात्रा ने उसे इस पद के लिये एक अनोखा दृष्टिकोण दिया है।

नई अध्यक्ष की वेतन संरचना

आधुनिक बोर्‍डरूम अत्यधिक पारदर्शी हो रहा है, और BCCI का यह नया मानक भी इसका प्रमाण है। मानहास को कोई स्थायी वेतन नहीं, बल्कि दैनिक भत्ता दिया जाएगा: घरेलू बैठकों के लिये ₹40,000 और विदेशी बैठकों के लिये USD 1,000 (लगभग ₹89,000)। इस तरह वेतन नहीं, बल्कि खर्च‑परोपकार की नीति अपनाई गई है, जो पिछले सचिव और कोषाध्यक्ष को भी मिलती‑जुलती है।

संघ राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इस बात पर “ऐतिहासिक अवसर” कहा, और कहा कि यह नियुक्ति डोडा के लिये गौरव और जम्मू‑कश्मीर के लिये नई आशा लेकर आएगी। उन्होंने ट्विटर (अब X) पर पोस्ट किया: "मिथुन मानहास को नया BCCI अध्यक्ष घोषित किया गया #BCCI"।

बोर्ड का एशिया कप 2025 से बंधन

परिचित खबरें अक्सर बड़ी घटनाओं से जुड़ी होती हैं। मानहास की घोषणा ठीक उसी दिन हुई, जब दुबई में इंडिया‑पाकिस्तान एशिया कप 2025 फाइनलदुबई खेला जा रहा था। आश्चर्य यह था कि BCCI के कोई भी अधिकारी, मानहास सहित, इस ऐतिहासिक मैच में उपस्थित नहीं हुए। स्रोतों के अनुसार, बोर्ड के सदस्य पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के मुख्य, मोह्सिन नाकवी (जो एशियन क्रिकेट काउंसिल के भी प्रमुख हैं) से संपर्क करने से बचते रहे।

फाइनल के टिकेट पूरी तरह से बिक चुके थे, पर BCCI के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति ने कुछ सवाल खड़े कर दिए—क्या यह राजनयिक जटिलता है या सिर्फ समय‑सारिणी का मुद्दा? अभी तक कोई औपचारिक स्पष्टीकरण नहीं मिला।

विशेषज्ञों की राय और भविष्य की योजना

विशेषज्ञों की राय और भविष्य की योजना

क्रिकेट विश्लेषक अमित कुमार का मानना है कि मानहास की स्थानीय‑जागरूकता, विशेषकर जम्मू‑कश्मीर में, युवा प्रतिभा के विकास में मददगार होगी। वह यह भी जोड़ते हैं कि "बोर्ड को अब केवल दांव‑पेंच नहीं, बल्कि खेल‑संरचना और बुनियादी सुविधाओं पर अधिक फोकस करना चाहिए"।

आगामी महीनों में मानहास ने कई प्राथमिकताओं की रूप‑रेखा प्रस्तुत की: घरेलू लेग‑ऑफ़ को सुदृढ़ करना, महिला क्रिकेट को वाणिज्यिक‑सामर्थ्य देना, और अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर में भारत की आवाज़ को सशक्त बनाना। यदि ये लक्ष्य सफल होते हैं, तो BCCI की प्रतिष्ठा नयी ऊँचाइयों तक पहुँच सकती है।

मुख्य बिंदु

  • मिथुन मानहास को 28 सितंबर 2025 को बिन प्रतिस्पर्धा के BCCI अध्यक्ष चुना गया।
  • राजीव शुक्ला अब उप‑अध्यक्ष; देवजित सैकिया दोबारा सचिव बने।
  • मानहास को ₹40,000 (घरेलू) और USD 1,000 (विदेशी) दैनिक भत्ता मिलेगा।
  • घोषणा के दिन दुबई में भारत‑पाकिस्तान एशिया कप 2025 फाइनल हुआ, पर BCCI प्रतिनिधियों ने इसे स्किप किया।
  • जितेंद्र सिंह ने इस नियुक्ति को जम्मू‑कश्मीर के लिये "क्रांति" कहा।

Frequently Asked Questions

मिथुन मानहास के राष्ट्रपति बनते ही BCCI की नीति में क्या बदलाव आएंगे?

मानहास ने कहा है कि वह ग्रामीण क्षेत्र के युवा क्रिकेटरों पर अधिक ध्यान देंगे, विशेषकर जम्मू‑कश्मीर और पहाड़ी राज्यों में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करेंगे। साथ ही महिला क्रिकेट के लिए नई लीग और अधिक वित्तीय समर्थन की योजना है।

राजीव शुक्ला के उप‑अध्यक्ष बनने से बोर्ड में क्या नया ऊर्जा आएगी?

शुक्ला ने अपने पूर्व अनुभव को देखते हुए कहा है कि वह टोकन‑बेंडिंग और टेक्नोलॉजी‑ड्रिवेन निर्णयों को तेज़ करेंगे, जिससे मैच‑शेड्यूलिंग और अधिकारिक प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी होंगी।

BCCI के अधिकारियों ने एशिया कप फाइनल में भाग क्यों नहीं लिया?

आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया, लेकिन कई विश्‍लेषकों का अनुमान है कि भारत‑पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव और PCB के चेयरमैन मोह्सिन नाकवी के साथ अंतर‑संगठनात्मक मतभेद ऐसे निर्णय के पीछे रहे हो सकते हैं।

नए दैनिक भत्ते का BCCI के वित्तीय बजट पर क्या असर पड़ेगा?

भत्ते की व्यवस्था पहले से ही सचिव और ख़जानेदारी में लागू है, इसलिए कुल खर्च में मामूली वृद्धि होगी। विस्तृत बजट में यह भी देखा गया है कि आय के हिस्से को घरेलू टूर और महिला लीग में पुनः निवेश किया जाएगा।

जितेंद्र सिंह की इस नियुक्ति पर प्रतिक्रिया क्या रही?

जितेंद्र सिंह ने इसे "डोडा के लिये गर्व" कहा और सोशल मीडिया पर मानहास को बधाई दी। कई स्थानीय नेताओं ने भी इस बदलाव को प्रदेश की पहचान को राष्ट्रीय मंच पर लाने की दिशा में सराहा।

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5 टिप्पणि

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    Archana Thakur

    सितंबर 29, 2025 AT 00:26

    भारत के क्रिकेट में नई ऊर्जा की जरूरत है, और मिथुन मानहास जैसे दिग्गज तभी इसे दे सकते हैं।
    बोर्ड की नीति‑निर्धारण में वैरग़ी और अंतर्राष्ट्रीय मानकों का सम्मिलन अनिवार्य है।
    ख़ासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा सुदृढ़ करने की रणनीति को शीर्ष प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
    यह बदलाव राष्ट्रीय गौरव को और भी ऊँचा उठाएगा।

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    Ketkee Goswami

    अक्तूबर 8, 2025 AT 06:39

    वाह! नई अध्यक्ष ने जोवली नजरों के साथ भारत की क्रिकेट को नई दिशा दी है।
    युवा प्रतिभाओं को मौका मिलना चाहिए, ख़ासकर जम्मू‑कश्मीर जैसे क्षेत्रों में।
    महिला लीग को भी वित्तीय सशक्तिकरण मिलना चाहिए, तभी हम एकत्रित शक्ति बना पाएँगे।
    हम सबको मिलकर इस बदलाव को सरगम बनाना है, चलिए!

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    Shraddha Yaduka

    अक्तूबर 17, 2025 AT 12:52

    मिथुन साहब का अनुभव वास्तव में मूल्यवान है, उन्होंने कई युवा खिलाड़ियों को कोच किया है।
    उनका स्थानीय‑ग्रामीण जुड़ाव टीम की भावना को मजबूत करेगा।
    हमें बस उनका समर्थन करना है और योजनाओं को जमीन पर उतारना है।

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    gulshan nishad

    अक्तूबर 26, 2025 AT 19:06

    इन सीनियरों की अति‑आत्मविश्वास सिर्फ दिखावा है।

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    Ayush Sinha

    नवंबर 5, 2025 AT 01:19

    दैनिक भत्ते की व्यवस्था सुनने में तो किफायती लगती है, पर असली सवाल यह है कि क्या इससे वास्तविक विकास होगा?
    बोर्ड के अंदरूनी राजनैतिक साजिशें अक्सर सार्वजनिक आंकड़ों को छुपा देती हैं।
    इस पर खुली चर्चा की जानी चाहिए।

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