ट्रंप के 50% टैरिफ से भारत-अमेरिका संबंधों को खतरा, मोदी ने रणनीतिक स्वायत्तता अपनाई

Ranjit Sapre नवंबर 23, 2025 अंतरराष्ट्रीय 0 टिप्पणि
ट्रंप के 50% टैरिफ से भारत-अमेरिका संबंधों को खतरा, मोदी ने रणनीतिक स्वायत्तता अपनाई

27 अगस्त, 2025 को डोनल्ड जे. ट्रंप की प्रशासन ने भारत से आयातित माल पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया — जो अमेरिका-भारत संबंधों के 25 साल के इतिहास में सबसे बड़ा व्यापारिक झटका है। यह शुल्क दो हिस्सों में बना था: 25 प्रतिशत का मूल शुल्क, जो 1 अगस्त को लगाया गया था, और एक अतिरिक्त 25 प्रतिशत का जुर्माना, जो भारत के रूसी तेल खरीदारी पर लगाया गया। इसके बाद मई से सितंबर 2025 के बीच भारत के अमेरिका को निर्यात में 37 प्रतिशत की गिरावट आई — जिसने ज्वेलरी, श्रीमुर्गा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों को झटका दिया।

मिशन 500 का विरोध: जब दो नेताओं की बातचीत बिखर गई

बस छह महीने पहले, 13 फरवरी, 2025 को नरेंद्र मोदी और डोनल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में मिले थे। उस बैठक में दोनों ने 'U.S.-India COMPACT' और 'मिशन 500' शुरू किया — एक ऐसी रणनीति जिसका लक्ष्य था कि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार $210 बिलियन से बढ़कर $500 बिलियन हो जाए। लेकिन ट्रंप ने उसी दिन एक अलग बयान दिया: "भारत दुनिया का सबसे अधिक टैरिफ वाला देश है"। यह बयान भारत के 2025 के बजट में लग्जरी कारों, हाई-एंड मोटरसाइकिल और इलेक्ट्रॉनिक्स पर अकेले शुल्क कम करने के प्रयासों को नजरअंदाज करता था।

यहाँ बात बस टैरिफ की नहीं थी। ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने से रोकने की धमकी दी — जो मोदी के 'मेक इन इंडिया' के सबसे बड़े स्तंभों में से एक था। उन्होंने कहा: "अगर तुम भारत में बनाओगे, तो अमेरिका में आपको जुर्माना लगेगा"। यह एक सीधा टकराव था — एक तरफ ट्रंप का "अमेरिका पहले", दूसरी तरफ मोदी का "भारत पहले"

रूसी तेल, पाकिस्तान और एक बयान जिसने बातचीत तोड़ दी

भारत के रूसी तेल खरीदारी को ट्रंप ने एक अपराध बना दिया। पीटर नवारो, ट्रंप के व्यापार सलाहकार, ने रूस-यूक्रेन युद्ध को "मोदी का युद्ध" कहा। एक तरफ अमेरिका और यूरोप रूस से तेल खरीदते रहे, दूसरी तरफ भारत को दोगुना शुल्क लगाया गया। भारत के विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया: "हम ऊर्जा के अस्थिर परिदृश्य में अपने हितों की रक्षा कर रहे हैं"

और फिर वह घटना — जिसने भारतीय विदेश नीति को अंतिम रूप दे दिया। ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया — उसके बाद ही जब पाकिस्तान से भारत पर आतंकी हमला हुआ था। उन्होंने पाकिस्तान के लिए केवल 19 प्रतिशत टैरिफ रखा, जबकि भारत के लिए 50 प्रतिशत। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच शांति समझौता किया है। मोदी ने इस दावे को बिल्कुल नकार दिया।

मोदी का जवाब: अमेरिका के बजाय यूरोप, चीन और रूस

मोदी ने डर के बजाय रणनीति बदली। उन्होंने अमेरिका के बजाय व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ गहरी बातचीत की। यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते तेजी से आगे बढ़े। जुलाई में, जब ट्रंप ने मोदी को वाशिंगटन में डिनर के लिए बुलाया, तो मोदी ने इंकार कर दिया — बस इतना कहा: "पहले से बंधी बाध्यताएं"। वह ओडिशा जा रहे थे — "महाप्रभु की भूमि"। उन्होंने ट्रंप को भारत में क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। ट्रंप ने स्वीकार कर लिया।

लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ट्रंप ने भारत के ब्रिक्स समूह (ब्राजील, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका) में शामिल होने के लिए अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी। मोदी ने इसका जवाब एक शांत निर्णय से दिया: न तो ब्रिक्स छोड़ा, न ही रूस के साथ संबंध तोड़े।

अमेरिकी ब्रांड्स के बहिष्कार की आवाज़

भारत में अमेरिकी ब्रांड्स के बहिष्कार की आवाज़ बढ़ रही है। मैक्डॉनल्ड्स, कोका-कोला, एमेज़ॉन और ऐपल के खिलाफ आम जनता की आवाज़ें तेज हो रही हैं। कुछ राजनीतिक दल इसे "राष्ट्रीय गौरव का प्रश्न" बना रहे हैं। लेकिन व्यापारिक विश्लेषकों का कहना है — यह भावनात्मक प्रतिक्रिया है, लेकिन व्यावहारिक नहीं। अमेरिकी ब्रांड्स भारत में लाखों लोगों को रोजगार देते हैं।

विशेषज्ञों का चेतावनी: संबंधों का आधार टूट सकता है

विशेषज्ञों का चेतावनी: संबंधों का आधार टूट सकता है

अपर्णा पांडे, हडसन संस्थान की विशेषज्ञ, कहती हैं: "ट्रंप की अमेरिका पहले नीति और मोदी की मेक इन इंडिया नीति एक दूसरे के विरोधी हैं"। लेकिन सबसे डरावना चेतावनी डैमियन मर्फी, सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, ने दिया: "यह तनाव भारत-अमेरिका संबंधों के दीर्घकालिक आधार को खतरे में डाल सकता है — और वह आधार शायद कभी मरम्मत नहीं हो पाएगा"

अगला कदम: क्या होगा 2026 में?

अगस्त 2025 के बाद, भारत के नए राजदूत सर्जियो गोर ने मोदी के साथ सितंबर में रक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी पर बातचीत की। लेकिन अमेरिकी प्रशासन का रुख बदलने का कोई संकेत नहीं है। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का अंत जनवरी 2029 तक है — और इस दौरान भारत को अपने व्यापार और रणनीतिक साझेदारी बदलने की जरूरत होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यह टैरिफ भारतीय उद्योगों को कैसे प्रभावित कर रहा है?

ज्वेलरी, श्रीमुर्गा और वस्त्र क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। मई से सितंबर 2025 के बीच इन क्षेत्रों के निर्यात में 37% की गिरावट आई। करीब 1.2 लाख भारतीय श्रमिक अपनी नौकरियों से खतरे में हैं। छोटे निर्यातकों के लिए यह बहुत बड़ा झटका है — क्योंकि उनके पास अमेरिका के बजाय बाजार ढूंढने का समय और संसाधन नहीं है।

क्या भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को रद्द कर दिया है?

नहीं, समझौता अभी भी लागू है, लेकिन इसकी गति रुक गई है। मिशन 500 के तहत नवंबर 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत की योजना थी, लेकिन अब यह अनिश्चित है। भारत ने अभी तक कोई आधिकारिक रद्दगी नहीं की, लेकिन बातचीत के लिए अमेरिका को कोई आमंत्रण भी नहीं भेजा गया है।

क्या भारत के लिए रूसी तेल खरीदना गलत है?

नहीं। भारत के लिए रूसी तेल एक आर्थिक आवश्यकता है — यह 40% से अधिक तेल आयात का हिस्सा है और अमेरिकी या यूरोपीय तेल से 30-40% सस्ता है। अमेरिका और यूरोप भी रूस से तेल खरीद रहे हैं — लेकिन भारत को अतिरिक्त शुल्क लगाया जा रहा है। यह द्विमानकता है।

क्या ट्रंप का भारत के साथ रिश्ता खराब होने का कारण चीन है?

हाँ, एक हिस्सा है। ट्रंप चीन को एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानते हैं और उन्हें टैरिफ में छूट दे रहे हैं। भारत को वे एक "दोस्त" मानते हैं — लेकिन जब भारत चीन के साथ ब्रिक्स में है, तो ट्रंप उसे भी दुश्मन समझने लगे। यह एक गलत गणित है: दोस्त बनने के बजाय, भारत को चीन के खिलाफ खड़ा होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

मोदी की रणनीति सफल होगी क्या?

हाँ, अगर भारत ने यूरोप, जापान, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार समझौते तेजी से बढ़ाए। पहले से ही यूरोपीय संघ के साथ व्यापार 18% बढ़ चुका है। भारत की रणनीति अमेरिका के एकल निर्भरता से बाहर निकलने पर आधारित है — और यह लंबे समय में सुदृढ़ होगी।

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