UPSC तैयारी के तीन मुख्य स्तम्भ
जब Dr. Vikas Divyakirti कहते हैं कि UPSC की तैयारी को तीन खंभों पर जोड़ना चाहिए, तो उनका मतलब सिर्फ एक मोटा खाका नहीं, बल्कि एक ठोस कार्य‑योजना है। पहला खम्भा है जनरल स्टडीज और वैकल्पिक विषयों की गहरी समझ। उनका मानना है कि मुख्य परीक्षा में 1200 शब्दों के उत्तर लिखने की क्षमता होना ही परीक्षा पार करने की कुंजी है। इसलिए प्रतिदिन कम से कम दो‑तीन घंटे लेखन‑अभ्यास पर खर्च करना चाहिए – चाहे वह इतिहास, आर्थिक विकास या अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध हों।
दूसरा स्तम्भ कौशल विकास पर केंद्रित है। Divyakirti ने चार बुनियादी कौशलों को ‘सोच, पढ़ाई, लिखना और बोलना’ कहा है। सोच के लिए विभिन्न परिदृष्टियों का विश्लेषण, पढ़ाई में तेज़ी से मुख्य बिंदु निकालना, लिखते समय तर्कसंगत ढाँचा बनाना और मौखिक परीक्षण में स्पष्ट वाक्य संरचना – ये सब एक‑एक करके आत्मसात करना चाहिए।
तीसरा और आखिरी खम्भा है ‘रणनीतिक अध्ययन’। यहाँ उनका सला है कि किसी एक सफल टॉपर को अपना मार्गदर्शक चुनें और उसी के द्वारा सुझाए गये किताबें, नोट्स और वीडियो को ही फॉलो करें। YouTube, रेडियो और टेलीविजन पर चल रहे विश्वसनीय करंट अफेयर्स चैनल को रोज़ाना देखना या सुनना, संक्षिप्त नोट्स बनाना और उन्हें दोहराना, इससे जानकारी याद रखने की दर दोगुनी हो जाती है।

प्रिलिम्स का प्लान और निरंतरता की शक्ति
प्रिलिम्स की तैयारी में अक्सर छात्र लक्ष्य स्कोर और नेगेटिव मार्किंग को लेकर उलझ जाते हैं। Divyakirti का सुझाव है कि पहले तय कर लें कि पास होने के लिये न्यूनतम अंक क्या चाहिए और फिर एक सुरक्षित लक्ष्य रखें जो आत्मविश्वास बढ़ाए। GS और CSAT दोनों पेपर में उन टॉपिक‑सेगमेंट्स को पहचानें जहाँ आप अंक आसानी से जुटा सकें।
स्रोत चयन का मतलब नहीं कि सभी पुस्तकें पढ़ें; बल्कि ‘क्या नहीं पढ़ना है’ यह तय करना महत्वपूर्ण है। एक व्यापक सिलेबस में समय की कमी होती है, इसलिए NCERT के बेसिक बहीखाते, मुख्य स्रोत और नवीनतम मंथली क्यूज को प्राथमिकता दें।
डिव्यकिर्ती के अनुसार, प्रतिदिन का अध्ययन शेड्यूल बनाना और उसे महीनों तक लगातार चलाना ही असली सफलता देता है। छोटे‑छोटे लक्ष्य, जैसे रोज़ 2 घंटे लिखित अभ्यास, सप्ताह में एक मॉक टेस्ट, और महीने के अंत में संपूर्ण रिव्यू, इनसे पढ़ाई स्थायी बनती है।
प्रेरणा बनाए रखने के लिए बड़े लक्ष्य – जैसे IAS, IFS या IPS – को हमेशा सामने रखें। जब प्रेरणा कम पड़े, तो टॉपर्स की सफलता की कहानियां पढ़ें; यह याद दिलाती है कि सही योजना और दृढ़ता से हर कोई शीर्ष पर पहुँचा जा सकता है।
अंत में, डिव्यकिर्ती यह कहना चाहते हैं कि कोचिंग के बिना भी UPSC जीतना संभव है – बशर्ते आप उनके सुझाए गये चरण‑बद्ध तरीके को अपनाएँ, कौशलों को निखारें और निरंतर अध्ययन को अपनी जीवनशैली बनाएं।