Zoho के श्रीधर वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स के स्थायी कर्मचारियों के छंटनी पर उठाए सवाल

Ranjit Sapre नवंबर 9, 2024 व्यापार 17 टिप्पणि
Zoho के श्रीधर वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स के स्थायी कर्मचारियों के छंटनी पर उठाए सवाल

छंटनी के फैसले पर श्रीधर वेम्बु का प्रहार

भारत के प्रमुख सॉफ्टवेयर उद्यमी श्रीधर वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स की हालिया छंटनी की योजना पर सख्त आलोचना की है। श्रीधर का कहना है कि जब किसी कंपनी के पास पहले से ही 1 बिलियन डॉलर का भंडार है और 400 मिलियन डॉलर का बायबेक घोषणा हो चुका है, तो ऐसे में कर्मचारियों की नौकरी से हटाना केवल धनोपार्जन के लिए गलत मानसिकता को दर्शाता है। वेम्बु ने इस विषय पर अपने विचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए कहा कि बड़े वित्तीय संसाधनों के बावजूद भी फ्रेशवर्क्स जैसी कंपनी ने 13% कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया, जिससे लगभग 660 कर्मचारियों की आजीविका पर असर पड़ा।

वेतन कटौती या निवेश?

वेम्बु का मानना है कि यह फैसले शेयरधारकों के हित के लिए लिए जा रहे हैं, न कि कंपनी के कर्मचारियों की भलाई के लिए। उन्होंने सवाल किया कि अगर एक कंपनी इतनी वित्तीय रूप से सशक्त है तो उसे अपने कर्मियों पर निवेश करना चाहिए, न कि उनके खिलाफ कदम उठाना चाहिए। वेम्बु का यह भी कहना है कि ऐसे कदम लॉयल्टी में कमी लाएंगे और शेष कर्मचारियों के मनोबल को गिराएंगे।

Nvidia और AMD की मॉडल कंपनियाँ

वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स की नीति की तुलना Nvidia और AMD जैसी कंपनियों से की, जिनका मानना है इनके अधिकारी अपने इंजीनियर्स को महत्त्व देते हैं और दीर्घकालिक टैलेंट रिटेंशन को प्रोत्साहित करते हैं। वेम्बु ने बताया कि इन कंपनियों के CEOs ताइवान से आते हैं और nation-first पर ध्यान देते हैं, जो ताइवान की सफलता के मूल में है जैसे TSMC को बनाना।

अमेरिकी कॉर्पोरेट संस्कृति पर सवाल

वेम्बु ने ना सिर्फ फ्रेशवर्क्स बल्कि अमेरिकी कॉर्पोरेट संस्कृति पर भी सवाल खड़ा किया। उनका कहना है कि वर्तमान में अमेरिकी कंपनियां अल्पकालिक लाभ को प्राथमिकता देती हैं और विफलता के समय बैलआउट पर निर्भर होती हैं। वेम्बु ने सिलिकॉन वैली बैंक के पतन का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे बैंकों के लिए यह एक अलार्म है लेकिन ऑन्त्रपनर्स ने इसे ताली बजाकर सराहा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कंपनियां वास्तविक पूंजीवाद का अनुसरण करें और अपने कर्मचारियों का ध्यान रखें।

संस्थापक गिरीश माथ्रुबूथम का बयान

फ्रेशवर्क्स के CEO डेनिस वुडसाइड द्वारा किए गए इस छंटनी का निर्णय कंपनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने और क्लिस्टता को कम करने के प्रयास के रूप में लिया गया था। फ्रेशवर्क्स के पास 5,000 से अधिक कर्मचारी हैं और उन्होंने 2024 से कई चरणों में छंटनी की योजनाएं लागू की हैं। यह ध्यान देने वाली बात है कि फ्रेशवर्क्स के संस्थापक गिरीश माथ्रुबूथम ने अपनी कंपनी शुरू करने से पहले Zoho में काम किया था और इन दो कंपनियों के बीच 2020 से एक कानूनी विवाद चल रहा है।

कॉर्पोरेट जिम्मेदारी का समय

श्रीधर वेम्बु ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कंपनियों को अपने सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति यानी कर्मचारियों का प्राथमिकता देना चाहिए। किसी एक व्यक्ति या समूह के लिए मुनाफा करना ही एकमात्र उद्देश्य नहीं होना चाहिए, विशेषकर जब यह निर्णय किसी दूसरे के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हों। वर्तमान समय कंपनियों के लिए यह सोचने का समय है कि उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं और वे अपनी कार्यनीतियों में कैसे सुधार ला सकते हैं।

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    Zoho के श्रीधर वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स के स्थायी कर्मचारियों के छंटनी पर उठाए सवाल

    Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बु ने Freshworks के हालिया छंटनी कदम की तीखी आलोचना की है। वेम्बु का कहना है कि इतने बड़े वित्तीय संसाधनों के बावजूद कर्मचारियों की छंटनी सिर्फ शेयरधारकों के मुनाफे के लिए करना अनुचित है। इसके साथ ही वेम्बु ने अमेरिकी कॉर्पोरेट संस्कृति की भी कड़ी आलोचना की, पूछते हुए कि क्या कंपनियाँ छोटे लाभ के लिए दीर्घकालिक नैतिकता को अनदेखा कर रही हैं।

17 टिप्पणि

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    M Arora

    नवंबर 9, 2024 AT 23:48

    भाईयो, कंपनियों को जब इतनी गहरी जेबें हों तो कर्मचारियों को फेंकने की सोच कैसे आ सकती है? यही सोच हमारी असली नैतिकता को परीक्षा में डाल देती है। आर्थिक ताकत नहीं, इंसानियत को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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    Varad Shelke

    नवंबर 11, 2024 AT 03:35

    देखो यार, ये फ्रेशवर्क्स सही मायने में आज़ादी की लड़ाई नहीं लड़ रहे, बल्कि पीछे के ग्रुप ने गुप्त समझौते कर लिए हैं। बायबेक के पैसे बस हाई‑टेक एलिटों को फंडिंग करने के लिए हैं, आम लोग बस जाल में फँसते हैं।

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    Rahul Patil

    नवंबर 12, 2024 AT 07:21

    सच में दिल दुःखता है जब किसी को रोज़गार की नींव से हटा दिया जाता है। कंपनियों को अपने कर्मियों को केवल अधिशेष नहीं, बल्कि विकास का साथ देना चाहिए। यह केवल आर्थिक मुद्दा नहीं, सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

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    Ganesh Satish

    नवंबर 13, 2024 AT 11:08

    क्या बात है!!! ये छंटनी का निर्णय तो एकदम नाटकीय है!!!
    कर्मचारियों की ज़िंदगियों को जैसे जुए के दांव पर रखा गया हो!!!

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    Midhun Mohan

    नवंबर 14, 2024 AT 14:55

    भाय, हम सबको मिलकर इस पीड़ित टीम को समर्थन देना चाहिए। अगर हम एक-दूसरे को उठाएंगे तो यह अंधेरा काटेगा!
    साथ ही, कंपनी को भी सोच‑समझ कर निर्णय लेना चाहिए!!!

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    Archana Thakur

    नवंबर 15, 2024 AT 18:41

    ये सारे विदेशी कहानियाँ और कन्फ़िड़ेंशियल प्लॉट्स बस बोरिंग बात हैं। असली बात तो यह है कि हमारे भारतीय कंपनियों को अपना टैलेंट फंड में निवेश करना चाहिए, ना कि बाहरी बँडवागों को फॉलो करना।

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    Ketkee Goswami

    नवंबर 16, 2024 AT 22:28

    चिंता मत करो, हमें अपने भारतीय प्रोडक्ट्स पर भरोसा रखना चाहिए! हम साथ मिलकर इस कठिनाई को भी पार करेंगे, और नवाचार की राह पर आगे बढ़ेंगे।

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    Shraddha Yaduka

    नवंबर 18, 2024 AT 02:15

    चलो हम सब इस मुद्दे पर खुली चर्चा करें और एक साथ समाधान निकालें। टीम वर्क और सकारात्मक ऊर्जा से यही चुनौतियों को हल किया जा सकता है।

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    gulshan nishad

    नवंबर 19, 2024 AT 06:01

    फ्रेशवर्क्स को अपना दायित्व समझना चाहिए।

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    Ayush Sinha

    नवंबर 20, 2024 AT 09:48

    भाई, कभी‑कभी कंपनी को स्ट्रैटेजिक रिडक्शन ही करना पड़ता है, वरना सतत विकास संभव नहीं।

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    Saravanan S

    नवंबर 21, 2024 AT 13:35

    हम सबको यह याद रखना चाहिए कि कठिन समय में ही रचनात्मक विचार उभरते हैं। एक-दूसरे को समर्थन देना ही सबसे बड़ा समाधान है।

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    Alefiya Wadiwala

    नवंबर 22, 2024 AT 17:21

    आज के आर्थिक परिदृश्य में बड़े निवेश वाले स्टार्टअप्स को अपने कर्मचारियों को प्राथमिकता देना अनिवार्य हो गया है। पहली बात तो यह है कि भरोसे की नींव मजबूत होनी चाहिए, तभी कंपनी की स्थिरता बनी रहती है। दूसरा, जब कोई कंपनी एक बिलियन डॉलर की संचित राशि रखती है, तो उसका दायित्व सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में उभरता है। इसके अलावा, कर्मचारियों को निकलते देखना कंपनी के ब्रांड इमेज को भी नुकसान पहुंचाता है। तीसरे, दीर्घकालिक रणनीति बनाते समय मानव संसाधन को अनदेखा नहीं किया जा सकता। चौथे, निवेशकों को भी यह समझना चाहिए कि मानव पूंजी सबसे मूल्यवान है। पाँचवे, यदि हम देखेंगे तो कई सफल कंपनियों ने हमेशा अपने इंजीनियर्स को महत्व दिया है। छठे, निरंतर विकास के लिए टैलेंट रिटेंशन जरूरी है। सातवें, कर्मचारियों की खुशी सीधे उत्पाद की क्वालिटी से जुड़ी होती है। आठवें, कंपनी को वित्तीय लाभ के साथ साथ सामाजिक लाभ को भी संतुलित करना चाहिए। नौवें, छंटनी से बचने के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में सुधार आवश्यक है। दसवें, कंपनियों को फंड रेजिंग के साथ साथ स्टाफ प्लानिंग भी करनी चाहिए। ग्यारहवें, यह आवश्यक है कि बोर्ड और सीईओ के बीच स्पष्ट संवाद हो। बारहवें, कंपनी का मिशन और विज़न कर्मचारियों को प्रेरित करना चाहिए। तेरहवें, अब समय आ गया है कि हम एक नई नीति अपनाएं जो मानव केंद्रित हो।

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    Paurush Singh

    नवंबर 23, 2024 AT 21:08

    बहस का मुद्दा साफ़ है: यदि आप बॉर्डरलाइन पर चल रहे हैं तो कर्मचारियों को हटाकर नहीं, बल्कि नई रणनीति बनाकर आगे बढ़ें। यह केवल शब्द नहीं, बल्कि व्यावहारिक कदम है।

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    Sandeep Sharma

    नवंबर 25, 2024 AT 00:55

    मैं मानता हूँ कि कंपनी को अपने टैलेंट को रखकर ही ग्रोथ करनी चाहिए 😊🚀

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    Mita Thrash

    नवंबर 26, 2024 AT 04:41

    हमें इस चर्चा में सभी दृष्टिकोणों को समझना चाहिए और एक संतुलित समाधान निकालना चाहिए, जिससे दोनों पक्षों को लाभ हो।

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    shiv prakash rai

    नवंबर 27, 2024 AT 08:28

    अरे यार, लगता है कुछ कंपनियों को अपना फोकस सिर्फ शेयरप्राइस बढ़ाने में ही है, असली इंसानियत तो कहीं भूल गए।

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    Subhendu Mondal

    नवंबर 28, 2024 AT 12:15

    छंटनी का असर सिर्फ आँकड़े नहीं, असली जिंदगी है।

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