छंटनी के फैसले पर श्रीधर वेम्बु का प्रहार
भारत के प्रमुख सॉफ्टवेयर उद्यमी श्रीधर वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स की हालिया छंटनी की योजना पर सख्त आलोचना की है। श्रीधर का कहना है कि जब किसी कंपनी के पास पहले से ही 1 बिलियन डॉलर का भंडार है और 400 मिलियन डॉलर का बायबेक घोषणा हो चुका है, तो ऐसे में कर्मचारियों की नौकरी से हटाना केवल धनोपार्जन के लिए गलत मानसिकता को दर्शाता है। वेम्बु ने इस विषय पर अपने विचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए कहा कि बड़े वित्तीय संसाधनों के बावजूद भी फ्रेशवर्क्स जैसी कंपनी ने 13% कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया, जिससे लगभग 660 कर्मचारियों की आजीविका पर असर पड़ा।
वेतन कटौती या निवेश?
वेम्बु का मानना है कि यह फैसले शेयरधारकों के हित के लिए लिए जा रहे हैं, न कि कंपनी के कर्मचारियों की भलाई के लिए। उन्होंने सवाल किया कि अगर एक कंपनी इतनी वित्तीय रूप से सशक्त है तो उसे अपने कर्मियों पर निवेश करना चाहिए, न कि उनके खिलाफ कदम उठाना चाहिए। वेम्बु का यह भी कहना है कि ऐसे कदम लॉयल्टी में कमी लाएंगे और शेष कर्मचारियों के मनोबल को गिराएंगे।
Nvidia और AMD की मॉडल कंपनियाँ
वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स की नीति की तुलना Nvidia और AMD जैसी कंपनियों से की, जिनका मानना है इनके अधिकारी अपने इंजीनियर्स को महत्त्व देते हैं और दीर्घकालिक टैलेंट रिटेंशन को प्रोत्साहित करते हैं। वेम्बु ने बताया कि इन कंपनियों के CEOs ताइवान से आते हैं और nation-first पर ध्यान देते हैं, जो ताइवान की सफलता के मूल में है जैसे TSMC को बनाना।
अमेरिकी कॉर्पोरेट संस्कृति पर सवाल
वेम्बु ने ना सिर्फ फ्रेशवर्क्स बल्कि अमेरिकी कॉर्पोरेट संस्कृति पर भी सवाल खड़ा किया। उनका कहना है कि वर्तमान में अमेरिकी कंपनियां अल्पकालिक लाभ को प्राथमिकता देती हैं और विफलता के समय बैलआउट पर निर्भर होती हैं। वेम्बु ने सिलिकॉन वैली बैंक के पतन का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे बैंकों के लिए यह एक अलार्म है लेकिन ऑन्त्रपनर्स ने इसे ताली बजाकर सराहा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कंपनियां वास्तविक पूंजीवाद का अनुसरण करें और अपने कर्मचारियों का ध्यान रखें।
संस्थापक गिरीश माथ्रुबूथम का बयान
फ्रेशवर्क्स के CEO डेनिस वुडसाइड द्वारा किए गए इस छंटनी का निर्णय कंपनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने और क्लिस्टता को कम करने के प्रयास के रूप में लिया गया था। फ्रेशवर्क्स के पास 5,000 से अधिक कर्मचारी हैं और उन्होंने 2024 से कई चरणों में छंटनी की योजनाएं लागू की हैं। यह ध्यान देने वाली बात है कि फ्रेशवर्क्स के संस्थापक गिरीश माथ्रुबूथम ने अपनी कंपनी शुरू करने से पहले Zoho में काम किया था और इन दो कंपनियों के बीच 2020 से एक कानूनी विवाद चल रहा है।
कॉर्पोरेट जिम्मेदारी का समय
श्रीधर वेम्बु ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कंपनियों को अपने सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति यानी कर्मचारियों का प्राथमिकता देना चाहिए। किसी एक व्यक्ति या समूह के लिए मुनाफा करना ही एकमात्र उद्देश्य नहीं होना चाहिए, विशेषकर जब यह निर्णय किसी दूसरे के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हों। वर्तमान समय कंपनियों के लिए यह सोचने का समय है कि उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं और वे अपनी कार्यनीतियों में कैसे सुधार ला सकते हैं।