आजम खान के परिवार को 'एनेमी प्रॉपर्टी' मामले में मिली बेल, आरोपी अब्दुल्ला आजम जेल से बाहर

Ranjit Sapre अप्रैल 21, 2025 राजनीति 19 टिप्पणि
आजम खान के परिवार को 'एनेमी प्रॉपर्टी' मामले में मिली बेल, आरोपी अब्दुल्ला आजम जेल से बाहर

एनेमी प्रॉपर्टी केस में आजम खान के परिवार को मिली राहत

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के परिवार के लिए बड़ी खबर आई है। पत्नी डॉ. तजीम फातिमा, बेटे अब्दुल्ला आजम और अदीब आजम को एनेमी प्रॉपर्टी विवाद में अदालत से बेल मिल गई है। पिछले साल अक्टूबर से जेल में बंद अब्दुल्ला आजम को आखिरकार करीब 17 महीने बाद कोर्ट से राहत मिली। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रामपुर की MP/MLA कोर्ट ने 18 फरवरी 2025 को अब्दुल्ला को आखिरी मामलों में भी बेल दी। इस केस के बाद अब्दुल्ला आजम पर कोई और पेंडिंग मामला नहीं बचा।

अब्दुल्ला आजम की बेल का रास्ता उस वक्त साफ हुआ जब पुलिस की ओर से लगे नए चार्ज को अदालत ने खारिज कर दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को ही उन्हें बेल देते हुए बीते दो साल से चले आ रहे लंबे संघर्ष और कानूनी जटिलताओं पर विराम लगाया था। बेल मिलते ही समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई।

क्या है 'एनेमी प्रॉपर्टी' विवाद और कैसे फंसा परिवार?

क्या है 'एनेमी प्रॉपर्टी' विवाद और कैसे फंसा परिवार?

साल 2020 में रामपुर के रिकॉर्ड रूम में एनेमी प्रॉपर्टी के दस्तावेजों से छेड़छाड़ और उनके रिकॉर्ड नष्ट करने का आरोप लगा था। शिकायतकर्ता थे सैयद अफाक अहमद, जिन्होंने आरोप लगाया कि आजम खान समेत उनका परिवार और कुछ अन्य लोगों ने रिकॉर्ड रूम की फाइलें नष्ट कीं। पुलिस ने जब पहले जांच की तो परिवार को क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन बाद में केस में ट्विस्ट आया जब दोबारा जांच बैठी और चार्जशीट सीधे आजम खान के परिवार पर चली गई।

कहानी में एक और मोड़ तब आया जब डॉ. तजीम फातिमा और अदीब आजम ने कोर्ट में सरेंडर किया और उन्हें भी अंतरिम बेल मिल गई। अभियोजन पक्ष ने परिवार पर नए-नए आरोपों की भरमार लगा दी थी, लेकिन कोर्ट ने पुलिस की अतिरिक्त धाराएं जोड़ने की मांग को खारिज कर दिया। इससे अब्दुल्ला की रिहाई के रास्ते खुल गए।

अब्दुल्ला आजम इससे पहले 2008 की एक घटना में दोषी साबित हो चुके हैं जिसमें मारपीट और रास्ता रोकने की शिकायत थी। उन्हें 2023 में इसके लिए सजा सुनाई गई थी। इन सबके बीच आजम खान अब भी सीतापुर जेल में बंद हैं क्योंकि उनके ऊपर दर्जनों केस लंबित हैं और हर मामले में अलग-अलग स्तर पर सुनवाई चल रही हैं।

  • 2020 में रिकॉर्ड रूम से दस्तावेज नष्ट करने के केस से शुरू हुआ विवाद
  • पहली जांच में मिली थी राहत, दूसरी जांच में मिल गए नए चार्ज
  • सुप्रीम कोर्ट और MP/MLA कोर्ट में चली बेल प्रक्रिया
  • डॉ. तजीम फातिमा और अदीब को भी सरेंडर के बाद अंतरिम बेल
  • आजम खान के जेल से बाहर आने की राह अब भी लंबी

रमपुर और यूपी की राजनीति में आजम खान परिवार के खिलाफ चल रहे केसों को लेकर चर्चा जोरों पर है। बेल मिलने के बाद भी जमीन पर सियासी तापमान कम नहीं है।

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19 टिप्पणि

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    Mita Thrash

    अप्रैल 21, 2025 AT 13:57

    आज़म खान के परिवार को आखिरकार थोड़ा आराम मिला है, यह न्याय प्रणाली की एक सकारात्मक झलक है।
    परिवार की स्थिति को देखते हुए, यह बेल सिर्फ एक कानूनी कदम नहीं बल्कि सामाजिक राहत भी है।
    समाज में कई लोग इस फैसले को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का प्रमाण मान रहे हैं।
    आगे भी ऐसी ही पारदर्शिता और निष्पक्षता देखनी चाहिए, ताकि जनता का भरोसा बना रहे।
    भविष्य में इसी तरह के मामलों में तेज़ी से निर्णय लेना आवश्यक है।

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    shiv prakash rai

    अप्रैल 22, 2025 AT 03:50

    ऐसे "बेल" के जादू का इंतज़ार कब तक रहेगा, मज़ाक ही है।

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    Subhendu Mondal

    अप्रैल 22, 2025 AT 17:43

    सच में ये केस सर्कस है, कोई समझ नहीं आता।

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    Ajay K S

    अप्रैल 23, 2025 AT 07:37

    इतनी जटिल कानूनी कलाकारी को समझने के लिये उच्च बौद्धिक स्तर चाहिए :)

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    Saurabh Singh

    अप्रैल 23, 2025 AT 21:30

    क्या यह सिर्फ राजनीतिक साजिश नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था का हिस्सा है?

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    Jatin Sharma

    अप्रैल 24, 2025 AT 11:23

    Agar aap case ki timeline dekhenge to pata chalega ki kai baar process mein khamiyan thi.

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    M Arora

    अप्रैल 25, 2025 AT 01:17

    Kanoon aur rajniti ka milan aam janta ko aksar andha kar deta hai.

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    Varad Shelke

    अप्रैल 25, 2025 AT 15:10

    एनेमी प्रॉपर्टी केस में पॉलिसी जाल फंस गय है।

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    Rahul Patil

    अप्रैल 26, 2025 AT 05:03

    बॉक्स की दशा में, इस केस की रंगीन कहानी ने सबको हिला दिया।

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    Ganesh Satish

    अप्रैल 26, 2025 AT 18:57

    क्या!!?!?! ये तो पूरी तरह से नाटकीय मोड़ है!!!

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    Midhun Mohan

    अप्रैल 27, 2025 AT 08:50

    समाज के लिए जरूरी है कि ऐसे केसों में पारदर्शिता बनी रहे!!!

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    Archana Thakur

    अप्रैल 27, 2025 AT 22:43

    देश की राजनीति में ऐसे केसों से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में नहीं पड़नी चाहिए।

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    Ketkee Goswami

    अप्रैल 28, 2025 AT 12:37

    आशा है कि अब परिवार को स्थायी शांति मिलेगी, सबका साथ!

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    Shraddha Yaduka

    अप्रैल 29, 2025 AT 02:30

    धीरज रखें, समय के साथ सब साफ हो जाएगा।

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    gulshan nishad

    अप्रैल 29, 2025 AT 16:23

    यह मामला बिल्कुल नौकरशाही की पत्थर‑छाप है।

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    Ayush Sinha

    अप्रैल 30, 2025 AT 06:17

    बिल्कुल नहीं, इससे न्याय की पहुँच नहीं बढ़ेगी।

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    Saravanan S

    अप्रैल 30, 2025 AT 20:10

    समर्थन हमेशा रहेगा, न्याय के लिए संघर्ष जारी है!!!

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    Alefiya Wadiwala

    मई 1, 2025 AT 10:03

    एनेमी प्रॉपर्टी के मामले में हाल के विकास को केवल एक सतही राहत के रूप में नहीं देखना चाहिए; यह एक गहरी कानूनी जटिलता का प्रतिबिंब है।
    पहले तो यह स्पष्ट था कि फ़ाइलों की छेड़छाड़ की आरोपों ने इस केस को एक राजनीतिक दांव में बदल दिया।
    दूसरे चरण में, कई बार जांचें दोबारा खोली गईं, जिससे अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल उठे।
    वहां से, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं सिर्फ एक प्रक्रिया थी, बल्कि एक नीति‑परिवर्तन संकेत भी था।
    निर्णय के बाद, कई समर्थकों ने यह माना कि यह न्याय प्रणाली की लचीलापन दर्शाता है।
    परंतु, इस राहत के पीछे कई छिपी हुई असमानताएँ हैं, जो आम जनता को अक्सर नहीं दिखतीं।
    उदाहरण के लिए, अभियोजन पक्ष द्वारा लगातार नए‑नए आरोप लादना एक रणनीति लगती है।
    वहीं, रक्षा पक्ष ने कई मौकों पर स्वास्थ्य‑संबंधी कारणों का हवाला देते हुए समय बढ़ाया।
    ऐसे परिस्थितियों में, अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता का अभाव स्पष्ट रूप से दिखता है।
    यहां तक कि मीडिया ने भी इस केस को अक्सर sensationalize किया, जिससे वास्तविक तथ्य धुंधले हो गए।
    वास्तविक न्याय तभी संभव है जब सभी पक्षों को समान अवसर प्रदान किया जाए।
    अंततः, अब्दुल्ला आज़म को मिली बेल एक अस्थायी समाधान है, लेकिन यह दीर्घकालिक न्याय का अंत नहीं होना चाहिए।
    समाज को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार के मामलों में अधिक सावधानी बरती जाए।
    कानून के दायरों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है, जिससे दुरुपयोग की संभावना घटे।
    आखिरकार, न्याय केवल फैसला नहीं, बल्कि प्रक्रिया की भी गवाही देता है।
    इसलिए, सभी हितधारकों को मिलकर इस केस के बाद के चरणों को गंभीरता से देखना चाहिए।

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    Paurush Singh

    मई 1, 2025 AT 23:57

    आपकी तुच्छ व्यंग्यात्मक टिप्पणी केवल नीरसता को दर्शाती है।

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