केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सोमवार रात मुंबई से डिवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के पूर्व निदेशक धीरज वाधवान को 34,000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया। वाधवान को दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
यह घटनाक्रम वाधवान को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा चिकित्सा आधार पर दी गई सुरक्षा अवधि समाप्त होने के बाद सामने आया है। CBI ने पहले जुलाई 2022 में वाधवान और उनके भाई कपिल वाधवान को गिरफ्तार किया था, लेकिन दिसंबर 2022 में उन्हें वैधानिक जमानत दे दी गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक बाद के फैसले में जमानत आदेश को रद्द कर दिया।
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि वाधवान भाइयों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया, विश्वास को तोड़ा और 17 सदस्यीय ऋणदाता समूह को धोखा देने के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया। इस समूह में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया भी शामिल है, जिसने 2010 से 2018 के बीच DHFL को 42,871 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा प्रदान की थी।
CBI के आरोप
CBI के आरोप-पत्र में कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं, फंड डायवर्जन और वाधवान भाइयों के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करके संपत्ति बनाने के लिए पुस्तकों की जालसाजी का आरोप लगाया गया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत और KPMG द्वारा एक विशेष समीक्षा ऑडिट के बाद जांच शुरू हुई, जिसमें DHFL प्रमोटरों से जुड़े संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों को फंड के डायवर्जन का खुलासा हुआ।
न्यायिक हिरासत में तीन आरोपी
वाधवान बंधु और अजय नवानदार सहित तीन आरोपी वर्तमान में इस मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। CBI द्वारा यह कार्रवाई उसी मामले में की गई है जिसमें अब तक 13 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
DHFL के खिलाफ जांच
CBI ने DHFL और इससे जुड़ी अन्य संस्थाओं के परिसरों पर पिछले साल जून में छापेमारी की थी। उसके बाद जुलाई में वाधवान बंधुओं समेत कुछ अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। DHFL पर आरोप है कि उसने अपनी सहायक कंपनियों और अन्य फर्जी कंपनियों को लोन देकर करोड़ों रुपये का फंड डायवर्ट किया।
DHFL द्वारा कथित रूप से की गई धोखाधड़ी प्रथम दृष्टया लगभग 34,615 करोड़ रुपये की प्रतीत होती है। DHFL, जो एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है, पर आरोप है कि उसने अपने प्रमोटरों या अन्य कंपनियों को धोखाधड़ी से लोन दिया और फिर इन लोन को बैड लोन बताकर अकाउंट बुक्स में दर्ज किया।
DHFL पर RBI की कार्रवाई
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नवंबर 2019 में DHFL का बोर्ड भंग कर दिया था और इसके प्रशासक के रूप में एक पूर्व बैंकर को नियुक्त किया था। RBI ने DHFL का प्रशासन अपने हाथ में लेने का फैसला किया था क्योंकि कंपनी कर्ज के बोझ तले दबी हुई थी।
उसके बाद से कंपनी के खिलाफ कई जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं। ED और CBI दोनों ही DHFL और उसके प्रमोटरों पर शिकंजा कस रही हैं। इस मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं क्योंकि जांच अभी जारी है।
DHFL के पूर्व प्रमोटर्स कपिल और धीरज वाधवान पर कई गंभीर आरोप हैं और उन्हें पहले भी ED द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। DHFL के खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं जिन पर अलग-अलग एजेंसियां जांच कर रही हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।