सीबीआई ने 34,000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में DHFL के धीरज वाधवान को गिरफ्तार किया

Ranjit Sapre मई 16, 2024 अपराध 15 टिप्पणि
सीबीआई ने 34,000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में DHFL के धीरज वाधवान को गिरफ्तार किया

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सोमवार रात मुंबई से डिवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के पूर्व निदेशक धीरज वाधवान को 34,000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया। वाधवान को दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

यह घटनाक्रम वाधवान को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा चिकित्सा आधार पर दी गई सुरक्षा अवधि समाप्त होने के बाद सामने आया है। CBI ने पहले जुलाई 2022 में वाधवान और उनके भाई कपिल वाधवान को गिरफ्तार किया था, लेकिन दिसंबर 2022 में उन्हें वैधानिक जमानत दे दी गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक बाद के फैसले में जमानत आदेश को रद्द कर दिया।

एजेंसी ने आरोप लगाया है कि वाधवान भाइयों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया, विश्वास को तोड़ा और 17 सदस्यीय ऋणदाता समूह को धोखा देने के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया। इस समूह में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया भी शामिल है, जिसने 2010 से 2018 के बीच DHFL को 42,871 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा प्रदान की थी।

CBI के आरोप

CBI के आरोप-पत्र में कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं, फंड डायवर्जन और वाधवान भाइयों के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करके संपत्ति बनाने के लिए पुस्तकों की जालसाजी का आरोप लगाया गया है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत और KPMG द्वारा एक विशेष समीक्षा ऑडिट के बाद जांच शुरू हुई, जिसमें DHFL प्रमोटरों से जुड़े संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों को फंड के डायवर्जन का खुलासा हुआ।

न्यायिक हिरासत में तीन आरोपी

वाधवान बंधु और अजय नवानदार सहित तीन आरोपी वर्तमान में इस मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। CBI द्वारा यह कार्रवाई उसी मामले में की गई है जिसमें अब तक 13 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

DHFL के खिलाफ जांच

CBI ने DHFL और इससे जुड़ी अन्य संस्थाओं के परिसरों पर पिछले साल जून में छापेमारी की थी। उसके बाद जुलाई में वाधवान बंधुओं समेत कुछ अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। DHFL पर आरोप है कि उसने अपनी सहायक कंपनियों और अन्य फर्जी कंपनियों को लोन देकर करोड़ों रुपये का फंड डायवर्ट किया।

DHFL द्वारा कथित रूप से की गई धोखाधड़ी प्रथम दृष्टया लगभग 34,615 करोड़ रुपये की प्रतीत होती है। DHFL, जो एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है, पर आरोप है कि उसने अपने प्रमोटरों या अन्य कंपनियों को धोखाधड़ी से लोन दिया और फिर इन लोन को बैड लोन बताकर अकाउंट बुक्स में दर्ज किया।

DHFL पर RBI की कार्रवाई

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नवंबर 2019 में DHFL का बोर्ड भंग कर दिया था और इसके प्रशासक के रूप में एक पूर्व बैंकर को नियुक्त किया था। RBI ने DHFL का प्रशासन अपने हाथ में लेने का फैसला किया था क्योंकि कंपनी कर्ज के बोझ तले दबी हुई थी।

उसके बाद से कंपनी के खिलाफ कई जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं। ED और CBI दोनों ही DHFL और उसके प्रमोटरों पर शिकंजा कस रही हैं। इस मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं क्योंकि जांच अभी जारी है।

DHFL के पूर्व प्रमोटर्स कपिल और धीरज वाधवान पर कई गंभीर आरोप हैं और उन्हें पहले भी ED द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। DHFL के खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं जिन पर अलग-अलग एजेंसियां जांच कर रही हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।

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15 टिप्पणि

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    Dharmendra Pal

    मई 16, 2024 AT 00:34

    सीबीआई ने धीरज वाधवान को गिरफ्तार किया यह 34,000 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़ा मामला है वह अब न्यायिक हिरासत में हैं इस मामले में कई वित्तीय अनियमितताओं का संकेत मिला

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    Balaji Venkatraman

    मई 16, 2024 AT 11:41

    ऐसे धनी लोगों द्वारा जनता का धन लूटना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता हमें सख्त सजा चाहिए

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    Tushar Kumbhare

    मई 16, 2024 AT 22:47

    वाह भाई साहब क्या बात है 🚀 धीरज वाधवान को पकड़ ले गया CBI 🔥 अब बैंकों को भी देखना पड़ेगा कि कौन धांधली कर रहा है 😉

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    Arvind Singh

    मई 17, 2024 AT 09:54

    हेटरेटेड एलीट फिर से पकड़े गए हैरानी की बात नहीं है कि उन्होंने फिनांस वाली चीज़ों को कैसे गड़बड़ किया था 🤦‍♂️ वहीं की बात है कि इस बार बहुत देर नहीं होगी

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    Vidyut Bhasin

    मई 17, 2024 AT 21:01

    इंटरनेट पर हर कोई कहता है “अभी तो और भी बड़े केस हैं” पर असली सवाल यही है कि क्यों ऐसे बड़े लोग हमेशा कानूनी धुंध में रहकर ही चलाते हैं 🙄

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    nihal bagwan

    मई 18, 2024 AT 08:07

    देश के आर्थिक हितों को बर्बाद करने वाले ऐसे लोगों को तुरंत कड़ी कार्रवाई के तहत तुरन्त क़ैद किया जाना चाहिए और उन्हें जवाबदेह बनाना चाहिए

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    Arjun Sharma

    मई 18, 2024 AT 19:14

    भाई लोग ये DHFL case में कई compliance lapses दिखे थे audit trails में mismatch और fund diversion भी clear है, इसको जल्दी resolve करो var

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    Sanjit Mondal

    मई 19, 2024 AT 06:21

    सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहिए कि सिस्टम में जो भी गैप्स हैं उन्हें ठीक किया जाए ताकि भविष्य में दोबारा ऐसी घटनाएँ न हों 😊

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    Ajit Navraj Hans

    मई 19, 2024 AT 17:27

    धीरज वाधवान के गिरफ़्तारी से पता चलता है कि फॉरेन एसेट लिंक्स और लोन स्ट्रीब्स कैसे काम करते हैं CBI ने चमक दिखा दी

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    arjun jowo

    मई 20, 2024 AT 04:34

    चलो इस केस से सीखते हैं कि वित्तीय इंटेग्रिटी कितनी ज़रूरी है हमें जागरूक रहना चाहिए और ऐसे बडफौलो को रोकना चाहिए

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    Rajan Jayswal

    मई 20, 2024 AT 15:41

    ऐसे केस लोगों को सतर्क करते हैं।

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    Simi Joseph

    मई 21, 2024 AT 02:47

    ठीक है अब और भी कई हाई‑प्रोफ़ाइल लोग मिलने वाले हैं लेकिन वाकई में इंस्पेक्शन की कमी है

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    Vaneesha Krishnan

    मई 21, 2024 AT 13:54

    यह समाचार सुन कर बहुत दुख हुआ 😔 पर साथ ही यह भी जरूरी है कि हम सार्वजनिक निधियों की सुरक्षा के लिए सख्त निगरानी रखें 💪

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    Satya Pal

    मई 22, 2024 AT 01:01

    सच बताऊँ तो इस तरह के बड़े स्कैमर को पकड़ना बहुत जरूरी है वरना सिस्टम ही करप्ट हो जायेगा

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    Partho Roy

    मई 22, 2024 AT 12:07

    DHFL केस ने फिर से यह साबित किया कि वित्तीय प्रणाली में कहीं न कहीं गंभीर छेद मौजूद हैं
    जब बड़े प्रॉमोटर्स अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके सार्वजनिक निधियों को निजी लाभ के लिए मोड़ते हैं तो वह सिर्फ एक व्यक्तिगत अपराध नहीं बल्कि सामाजिक विश्वास का उल्टाफेरी है
    इसी कारण CBI जैसी एजेंसियों को बेझिझक कार्रवाई करनी चाहिए और पूरी पारदर्शिता के साथ प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए
    परंतु अक्सर हमें यह भी दिखता है कि जांच में लैबोरेटरी की तरह ठोस साक्ष्य जुटाने में देरी होती है
    जिन्हें एक बार फरार कर दिया जाता है वे फिर से जालसाजी करने की कोशिश में पीछे नहीं हटते
    इसे रोकने के लिए हमारे बैंकिंग रेग्युलेटर को अधिक कठोर मानक लागू करने चाहिए
    साथ ही वित्तीय संस्थानों को अपनी आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को सुदृढ़ करना चाहिए
    जब तक यह प्रयत्न नहीं किया जाता तब तक ऐसी ही घटनाएँ दोहराई जा सकती हैं
    अंत में यह समझना महत्वपूर्ण है कि न्यायपालिका की भूमिका भी निर्णायक होती है
    जमानत प्रक्रिया में हुई ढिलाई ने कई बार आरोपियों को समय दे दिया है
    इसलिए सुप्रीम कोर्ट को भी समय-समय पर उपाय करने चाहिए
    वहीं, मीडिया को sensationalism से बचते हुए तथ्यात्मक रिपोर्टिंग करनी चाहिए
    सार्वजनिक को भी इस मामले से सीख लेनी चाहिए कि वित्तीय ज्ञान कितना आवश्यक है
    बहुत कम लोग समझ पाते हैं कि ऐसे मामलों में बड़े आर्थिक नुकसान का कैसे अनुमान लगाना है
    अंत में, हम सबको मिलकर इस प्रकार के आर्थिक धोखाधड़ी के खिलाफ सतर्क रहना चाहिए और सिस्टम को सुधारने में सहयोग देना चाहिए

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