आंशिक सौर ग्रहण: कब, क्यों और सुरक्षित देखने का तरीका

अगर आपको आसमान में अजीब से छाया लगती दिखे और सूरज पूरा नहीं दिखे तो आप शायद आंशिक सौर ग्रहण देख रहे हैं। यह घटना रोज़ नहीं होती, इसलिए जब भी होती है लोग इसे मिस नहीं करना चाहते। लेकिन सुरक्षा को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है, इसलिए इस गाइड में हम समझेंगे कि आंशिक सौर ग्रहण क्या है, अगली बार कब आएगा और इसे बिना आँखों को नुकसान पहुँचाए कैसे देखें।

आंशिक सौर ग्रहण क्या है?

आंशिक सौर ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूरज के सामने थोड़ा सा भाग ढँक लेता है। पूरा सूरज नहीं छुपता, इसलिए आप थोड़ा अंधेरा और थोड़ी रोशनी में बदलाव देखेंगे। चंद्रमा की पथ और सूरज के बीच का कोण तय करता है कि कितनी प्रतिशत सूर्य छुपेगा। अगर छाया 10 % से 90 % तक हो तो इसे आंशिक कहा जाता है। यह प्राकृतिक शो अक्सर दो‑तीन दिन पहले और बाद में ठीक देखी जा सकती है, लेकिन केवल एक जगह से ही पूरी छाया स्पष्ट दिखती है।

आंशिक ग्रहण के दौरान सूरज का तेज़ प्रकाश अभी भी बहुत तेज़ रहता है, इसलिए बिना उचित फिल्टर के सीधे देखना आँखों को नुकसान पहुँचा सकता है। कई लोग सोचते हैं कि चश्मा या सूर्य के सामान्य शीशी से देखना ठीक है, लेकिन ऐसा नहीं है। हम आगे बताएँगे कि कौन‑से साधन सबसे सुरक्षित हैं और कैसे तैयार रहें।

सुरक्षित देखने के सरल उपाय

सबसे भरोसेमंद तरीका है विशेष सोलर व्यूइंग ग्लासेज़ (Eclipse Glasses) का उपयोग करना। ये ग्लासेज़ केवल सूर्य की त्यागी हुई रोशनी को ही पास होने देते हैं, बाकी तेज़ किरणें ब्लॉक हो जाती हैं। खरीदते समय ISO 12312‑2 प्रमाणित उत्पाद देखें, क्योंकि नकली ग्लासेज़ आँखों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

अगर आपके पास ग्लासेज़ नहीं है, तो आप कार्बन फाइबर फिल्टर, एलीवेटेड पॉलराइज़र या सोलर प्रोजेक्टर बना सकते हैं। एक आसान तरीका है पिनहोल कैमरा बनाना: एक कागज़ की शीट पर छोटा छेद बनाएं और उस पर सूरज की छाया प्रोजेक्ट करें। इससे आप सीधे आँखों से नहीं देखेंगे और फिर भी ग्रहण का आकार देख पाएंगे।

एक और विकल्प है टिंटेड सौर फिल्टर वाले बाइनोक्युलर्स या टेलिस्कोप। इन्हें हमेशा साफ़ रखें और कभी भी बिना फिल्टर के लेंस की ओर न देखें। अगर आप कैमरा या मोबाइल से फोटो लेना चाहते हैं, तो लेंस पर उसी सोलर फिल्टर को लगाएँ, नहीं तो सेंसर भी ख़राब हो सकता है।

ध्यान रखें कि ग्रहण के सबसे भयानक क्षण—जिसे “मेक्सिमा” कहते हैं—में सूर्य का सबसे बड़ा भाग छुपता है, लेकिन फिर भी पूरी तरह अँधा नहीं होता। इस समय भी सुरक्षा का नियम नहीं बदलता। पूरे ग्रहण के दौरान, हर 5‑10 मिनट में एक बार अपनी देखी हुई चीज़ को जाँचें कि फिल्टर ठीक है या नहीं।

अब बात करते हैं अगली आने वाली आंशिक सौर ग्रहण की। 2025 में भारत में प्रमुख आंशिक ग्रहण 12 अक्टूबर को होगा, जिसके दौरान लगभग 40 % सूर्य छुपेगा। उत्तर भारत के कई हिस्सों में सुबह देर से सूरज की रोशनी में हल्की छाया दिखेगी। अगर आप दिल्ली, जयपुर या लखनऊ में हैं तो 10 मिनट तक खुले आकाश में देखेंगे तो इस बदलाव को महसूस कर सकते हैं। स्थानीय समाचार चैनल अक्सर समय‑सारिणी और देखे जाने वाले क्षेत्र की जानकारी देते हैं, इसलिए अपडेट रहना फायदेमंद है।

ग्रहण देखते समय परिवार के साथ बाहर बैठना, बच्चों को सुरक्षा नियम समझाना और फोटोग्राफी के टिप्स साझा करना एक मज़ेदार अनुभव बनाता है। याद रखें, छोटा‑छोटा कदम—जैसे सही ग्लासेज़ खरीदना और सौर फिल्टर लगाना—आपकी आँखों को बचा सकते हैं और इस खूबसूरत ब्रह्मांडीय इवेंट का पूरा आनंद दे सकते हैं।

अगर आप पहली बार देख रहे हैं, तो इस अवसर को सोशल मीडिया पर शेयर करने से पहले जरूर जाँचें कि आपके पास सही सुरक्षा उपाय हैं। प्रकृति ने हमें इतना अनोखा शो दिया है, तो चलिए इसे सुरक्षित और समझदारी से देखते हैं।

सौर ग्रहण 2025: 21 सितंबर को भारत में क्यों नहीं दिखेगा? 5 महत्वपूर्ण तथ्य
Ranjit Sapre

सौर ग्रहण 2025: 21 सितंबर को भारत में क्यों नहीं दिखेगा? 5 महत्वपूर्ण तथ्य

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सौर ग्रहण 2025: 21 सितंबर को भारत में क्यों नहीं दिखेगा? 5 महत्वपूर्ण तथ्य

21 सितंबर 2025 को होने वाला आंशिक सौर ग्रहण 4 घंटे से अधिक चलेगा, लेकिन भारत में यह रात के समय होने के कारण दिखेगा नहीं। विश्व के कई हिस्सों में 85% तक छाया पड़ेगी, जबकि न्यूज़ीलैंड और अंटार्कटिका पर अधिकतम अँधेरा देखेंगे। आँखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मे आवश्यक हैं, साधारण धूप के चश्मे काम नहीं आएँगे। भारत और अन्य देख न‑सकने वाले क्षेत्रों के लिए ऑनलाइन लाइवस्ट्रीम एक विकल्प बन गया है। यह वर्ष का अंतिम सौर ग्रहण है, जो शरद विषुव के एक दिन पहले आएगा।

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