जब हम धनतेरस, दिवाली के पाँचवें दिन मनाया जाने वाला वह अवसर जहाँ लोग नई चीज़ें खरीदते हैं और घर‑संपत्ति का विस्तार करते हैं. Also known as धनतेर, it marks the start of festive spending and is considered शुभ for निवेश. इस दिन का जश्न दिवाली, भारत का प्रमुख प्रकाश‑उत्सव, जो बुराई पर अच्छाई की जीत दर्शाता है. दीवाली का असर सीधे धनतेरस को आर्थिक रूप से मजबूत बनाता है, क्योंकि लोग इस अवसर पर ख़रीदारी करना चाहते हैं।
धनतेरस खरीदारी (शॉपिंग) से जुड़ा है, लेकिन यह सिर्फ़ मार्केटिंग नहीं है। यह वह समय है जब उधार‑लेन‑देनों को बंद कर, सही बजट बनाकर बड़ी‑बड़ी चीज़ें किनीं। इसलिए बजट नियोजन, वित्तीय योजना जिसका उपयोग लोग खर्च को नियंत्रित करने में करते हैं. बजटिंग जरूरत बनती है, क्योंकि हर साल इस दिन पर किराएदारों, ज्वेलर्स और इलेक्ट्रॉनिक शॉप्स में भीड़ लग जाती है। इस प्रकार, धनतेरस requires careful budgeting, and the tradition of buying gold or new utensils becomes a measurable economic boost.
रिवाजों की बात करें तो, भाई‑बहन रिवाज, धनतेरस के बाद अगले दिन मनाया जाने वाला भाई‑बहन का उत्सव जहाँ मिठाई‑सँभाल के साथ उपहारों का आदान‑प्रदान होता है. भाई दूज धनतेरस को सामाजिक रूप से पूरक करता है; जहाँ एक दिन धन‑सम्पत्ति का विस्तार होता है, वहीं अगले दिन रिश्तों की मिठास बढ़ती है। यह द्वंद्वात्मक संबंध दर्शाता है कि धनतेरस केवल आर्थिक नहीं, बल्कि पारिवारिक बंधनों को भी सुदृढ़ करता है।
धनतेरस की तिथि हर साल बदलती है क्योंकि यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित है। 2025 में यह धनतेरस 1 नवंबर को पड़ता है, जो सूर्य-रचना के अनुसार शरद‑ऋतु के अंतिम चरण में आता है। इस तिथि का महत्व इस बात में है कि लोग इस दिन को अपने वार्षिक खर्च‑प्लान में शामिल कर लेते हैं। इस वजह से, स्थानीय व्यापारियों से लेकर बड़े ब्रांड्स तक सभी को इस अवसर का लाभ उठाने के लिये खास ऑफ़र तैयार करने पड़ते हैं।
धनतेरस के दौरान घर में अक्सर नई चीज़ें रखी जाती हैं – नई चूल्ही, नई झरोखा, या फिर नया सोने का आभूषण। इन वस्तुओं को रखने के पीछे एक ऐसा विश्वास छुपा है कि यह घर की समृद्धि को बढ़ाता है। इस विश्वास को संक्षेप में धन‑सम्पत्ति का विस्तार, वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए बड़े‑पैमाने पर निवेश करना कहा जाता है। इस प्रकार, धनतेरस encompasses both material acquisition and cultural symbolism.
समय के साथ, ऑनलाइन शॉपिंग ने भी इस तिवारी का रूप बदल दिया है। अब लोग सिर्फ़ भौतिक बाजारों में नहीं, बल्कि ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर भी बड़ी-छोटी खरीदारी करते हैं। इस बदलाव ने रिवाज़ को नई तकनीकी परिप्रेक्ष्य दिया, जहाँ डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन भुगतान प्रणाली जैसे UPI, कार्ड और वॉलेट का उपयोग ने तेज़ और सुविधाजनक बना दिया है। इसलिए, आज का धनतेरस requires तकनीकी समझ और सुरक्षित लेन‑देनों की जानकारी।
इन सब बातों को समझते हुए, नीचे आप देखेंगे विभिन्न समाचार लेख जो धनतेरस के विभिन्न पहलुओं – तिथि, रिवाज़, आर्थिक प्रभाव और सांस्कृतिक महत्व – को कवर करते हैं। चाहे आप खरीदारी की योजना बना रहे हों, बजट बनाना चाहते हों या सिर्फ़ इस त्योहार का इतिहास जानना चाहते हों, हमारी चुनिंदा पोस्ट्स आपको सटीक जानकारी देंगी। अब आगे बढ़िए और उन ख़बरों में डूब जाइए जो आपके धनतेरस को और भी खास बना दें।
सोने की कीमत 10 ग्राम पर ₹1.3 लाख पार कर गई, धनतेरस से पहले बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी। मुख्य कारण: केंद्रीय बैंक खरीद, डॉलर कमजोर, मौसमी माँग।
और पढ़ें