रिहाई की विस्तृत प्रक्रिया
सीतापुर जिला जेल के मुख्य द्वार से अज़ाम खान ने काली कमरबंद वाली बाही के साथ सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर बाहर कदम रखा। जब तक वह साइड गेट से गाड़ी में बैठे, तब तक अदालत से पास किए गए 72 केसों के रिहाई आदेशों का अंतिम सत्यापन चल रहा था। इन मामलों में से 19 में एमपी-एमएलए सत्र कोर्ट ने पहले ही बेल जारी कर दी थी, पर बाकी दस्तावेज़ी प्रक्रिया में देरी के कारण रिहाई में कुछ समय लगा।
रिलीज़ के समय जेल के बाहर भारी सुरक्षा व्यवस्था देखी गई। कई पैनिक कवच वाली गाड़ियां, एआरजी, तथा पुलिस के विभाग विशेष रूप से तेज़ गश्त पर थे। स्थानीय मीडिया के पत्रकारों ने मुलाक़ात करने की कोशिश की, पर नेता ने बिना कोई टिप्पणी दिए गाड़ी में सवार होकर सीधे अपने शहर रैंपुर की ओर रवाना हो गए।
रिहाई के समय सुबह से ही अज़ाम खान के बड़े बेटे अदीब और कई सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ता जेल के पास इकट्ठा थे। अदीब के साथ उनका दूसरा बेटा अब्दुल्ला भी मौजूद था, जो लगातार अपने पिता की सुरक्षा का प्रबंध कर रहा था। इस भीड़ में समाजवादी पार्टी के कई प्रमुख चेहरे भी दिखे, जैसे राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक अनुप गुप्ता, मोरादाबाद के एमपी रूची वीरा, और जिला अध्यक्ष चंद्रपती यादव।

राजनीतिक असर और भविष्य की संभावनाएँ
अज़ाम खान की रिहाई का टाइमिंग पार्टी के लिए बहुत संवेदनशील माना जा रहा है। यूपी की राजनीति में उनकी आवाज़ अभी भी बड़ी प्रभावी है, खासकर रैंपुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम बेकल के बाद भी उन्हें दोबारा जेल में डालना पड़ा था, लेकिन इस बार सभी केसों के रिहाई आदेशों की पूर्ति के बाद उनका बाहर आना एक माइलस्टोन माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के कई कारगर सदस्यों ने कहा है कि अज़ाम खान की उपस्थिति से पार्टी को इस चुनावी मौसम में रणनीतिक लाभ मिलेगा। उनका अनुभव, गठबंधन की कला और चुनावी ताकत अब फिर से पार्टी के मंच पर आने की संभावना को दर्शाती हैं। इसके अलावा, कई छोटे नेता भी इस रिहाई को प्रदेश में पार्टी के पुनरुद्धार का संकेत मान रहे हैं।
भविष्य में अज़ाम खान के संभावित कदमों पर विभिन्न विश्लेषकों ने कई परिदृश्य पेश किए हैं। पहला परिदृश्य यह है कि वे अपने पारिवारिक आधार को और सुदृढ़ करेंगे और रैंपुर में नई पुनरोद्धार रणनीति चलाएंगे। दूसरा परिदृश्य यह है कि वे पार्टी के भीतर मौजूदा शक्ति संतुलन को चुनौती देंगे, जिससे भीतर ही भीतर नई गठबंधन की संभावनाएं बन सकती हैं।
जेल में बिताए 23 महीनों के दौरान उन्होंने कई सामाजिक कार्य और पार्टी के कार्यक्रमों को दूरस्थ रूप से नियंत्रित किया था, और अब वह अपने समर्थकों के साथ मिलकर नई संभावनाओं की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह देखना बाकी है कि यह रिहाई पार्टी के भीतर और बाहरी प्रतिद्वंद्वियों के साथ कैसे खेल बदलेगी।