ताज़ा अपडेट: सिवकासी के पास पटाखा फैक्ट्री में बड़ा विस्फोट
देश के पटाखा उद्योग की धड़कन माने जाने वाले सिवकासी के पास चिन्नाकामनपट्टी में शनिवार को एक फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 8 लोगों की मौत हुई है। पांच लोग घायल हैं, जिनमें चार की हालत नाज़ुक बताई गई है। सभी घायलों को वीरुद्धुनगर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिले के पुलिस अधीक्षक कनन ने बताया कि घटना के तुरंत बाद बचाव दल मौके पर पहुंचा और इलाके को सील कर दिया गया।
विस्फोट रोज़मर्रा के कामकाज के दौरान हुआ। तेज धमाके से आसपास के क्षेत्रों में दहशत फैल गई और लोग घरों से बाहर निकल आए। दमकल और बचाव टीमें सिवकासी और आस-पास के स्टेशनों से मौके पर पहुंचीं। रसायनों की मौजूदगी के कारण आग पर काबू पाना चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन टीमों ने लपटों को सीमित किया और शेड्स में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए तलाशी अभियान चलाया।
पुलिस ने मामला दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है। फॉरेंसिक टीम के नमूनों की जांच का इंतजार है। शुरुआती आशंका है कि अस्थिर रसायनों के गलत हैंडलिंग या सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी से चिंगारी भड़की होगी, लेकिन अंतिम कारण रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा। अधिकारियों ने फैक्ट्री के संचालन और लाइसेंस दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं।
यह सिवकासी धमाका कोई अलग-थलग घटना नहीं है। पिछले साल इसी इलाके में हुए एक बड़े हादसे में 10 लोगों की जान गई थी। उसके बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की टीमों ने कई इकाइयों की जांच की थी और गंभीर खामियां पकड़ी थीं। फिर भी, हादसों की यह श्रृंखला थम नहीं रही।
सुरक्षा की पुरानी बीमारियाँ और क्या बदलना होगा
सिवकासी भारत के लगभग 90% पटाखों का उत्पादन करता है। यहां करीब 8,000 इकाइयां काम करती हैं और लगभग 8 लाख लोगों को रोज़गार मिलता है। उद्योग का सालाना आकार अनुमानित तौर पर 3,000 करोड़ रुपये के आसपास है। त्योहारी सीजन के करीब आते ही उत्पादन का दबाव बढ़ता है, और यहीं पर ढीलापन अक्सर जानलेवा साबित होता है।
CPCB की पिछली जांचों और जिला प्रशासन की रिपोर्ट्स में जो पैटर्न सामने आया, वह चिंता बढ़ाने वाला है।
- कई इकाइयां लाइसेंस से अधिक मात्रा में उत्पादन करती पाई गईं।
- कुछ यूनिट्स को केवल ध्वनि-उत्पादक पटाखों की अनुमति थी, फिर भी वे रंगीन और फैंसी पटाखे बना रही थीं।
- कच्चे माल का स्टोरेज सीमित जगह के कारण शेड्स के बीच खुले में किया जा रहा था, जो नियमों के खिलाफ है।
- कलर पैलेट्स जैसे संवेदनशील मैटेरियल को छांव की जगह सीधी धूप में सुखाया जा रहा था, जिससे स्वतः दहन का खतरा बढ़ गया।
कानूनी ढांचा मौजूद है—पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइज़ेशन (PESO) के लाइसेंस, एक्सप्लोसिव्स रूल्स 2008, और स्थानीय सुरक्षा मानक—लेकिन अमल कमजोर पड़ जाता है। नियम साफ कहते हैं कि शेड्स के बीच न्यूनतम दूरी, एंटी-स्टैटिक उपाय, अर्थिंग, स्पार्क-फ्री फर्श, सीमित जनशक्ति, बैच-वार उत्पादन और साफ-सुथरा रिकॉर्ड अनिवार्य हैं। छोटे और बिखरे हुए यूनिट्स में निगरानी मुश्किल होती है, और यही गैप हादसों की वजह बनता है।
तकनीकी जोखिम भी कम नहीं हैं। पाउडर मिलाने से लेकर रोलिंग, ड्राइंग और पैकिंग तक हर स्टेज पर घर्षण, नमी, तापमान और स्थैतिक बिजली का खतरा बना रहता है। रंगीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले रसायन अगर गलत अनुपात में मिलें, दूषित हों या अत्यधिक गर्मी-सूरज के संपर्क में आएं तो वे खुद-ब-खुद विघटित होकर आग पकड़ सकते हैं। इसलिए कंट्रोल्ड-ड्राइंग, तापमान-नमी की मॉनिटरिंग और क्वालिटी-चेक बेहद जरूरी हैं।
मानव संसाधन पक्ष पर भी कमियां दिखती हैं। अस्थायी और दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या ज्यादा है। तेज़ी में प्रशिक्षण, सेफ्टी ड्रिल और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (दस्ताने, मास्क, गॉगल्स, एंटी-स्टैटिक एप्रन) अक्सर नजरअंदाज़ हो जाते हैं। कई शेड्स में ब्लास्ट-वॉल्स, स्पष्ट एग्जिट रूट्स और फायर-एक्सटिंग्विशर का रखरखाव सही नहीं पाया गया। दुर्घटना के वक्त सबसे बड़ा फर्क शुरुआत के 10 मिनट बनाते हैं—फर्स्ट-रिस्पॉन्स और इवैक्यूएशन की प्रैक्टिस यहां गेम-चेंजर हो सकती है।
नीति और प्रवर्तन स्तर पर क्या किया जा सकता है? सुरक्षा विशेषज्ञ कुछ त्वरित उपाय सुझाते हैं:
- लाइसेंस क्षमता से ऊपर उत्पादन पर सख्ती, बैच-ट्रेसिंग और डिजिटल लॉगबुक अनिवार्य हों।
- कच्चे माल का खुले में स्टोरेज बंद हो; शेडेड, वेंटिलेटेड और सेपरेटेड स्टोर्स ही मान्य हों।
- कलर कंपोजिशन के लिए कंट्रोल्ड-ड्राइंग ज़ोन और तापमान-नमी सेंसर लगाए जाएं।
- हर यूनिट में मासिक सेफ्टी ड्रिल, थर्ड-पार्टी ऑडिट और बार-बार उल्लंघन पर ब्लैकलिस्टिंग।
- वर्कर इंश्योरेंस, मेडिकल टाई-अप और ऑन-साइट फर्स्ट-एड/फायर टीम अनिवार्य की जाए।
- जिले की संयुक्त टीम (प्रशासन, PESO, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस) द्वारा बिना सूचना निरीक्षण।
ऊपर से, सर्वोच्च न्यायालय ने ‘ग्रीन क्रैकर्स’ और खतरनाक रसायनों पर कड़े मानक तय किए हैं। अनुपालन मजबूत होगा तो जोखिम घटेगा—पर इसके लिए उद्योग और प्रशासन, दोनों की साझा जवाबदेही चाहिए। त्योहारी सीजन से पहले व्यापक सेफ्टी ऑडिट, और मानक पूरे न करने वाली इकाइयों का अस्थायी बंद होना, हादसों की श्रृंखला को तोड़ सकता है।
फिलहाल, चिन्नाकामनपट्टी के हादसे की जांच जारी है। पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद जिम्मेदारी तय होगी। मालिकाना जिम्मेदारी, सुपरवाइजर की भूमिका और शिफ्ट-लेवल की निगरानी पर पुलिस की नजर है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अफवाहें न फैलाने और आधिकारिक अपडेट का इंतजार करने की अपील की है। मृतकों की पहचान और परिवारों को सूचित करने की प्रक्रिया चल रही है। मुआवज़े पर फैसला राज्य सरकार के स्तर पर होने की उम्मीद है।
साफ संदेश यही है—उत्पादन बढ़े या मौसम बदले, सुरक्षा मानक गैर-समझौता योग्य हैं। सिवकासी जैसे बड़े क्लस्टर में नियमों का कड़ा पालन ही जानें बचा सकता है और उद्योग को स्थायी रूप से चलाए रख सकता है।