यमुना नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जो उत्तर भारत के कई राज्यों से होकर बहती है। अगर आप दिल्ली के आसपास रहते हैं या यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यमुना के किनारे की बातें आपके लिए काम की होंगी।
यमुना का स्रोत हिमालय के बोटियाखा क्षेत्र में है, फिर यह उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से गुजरती है। दिल्ली में इसका बहुत बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को पानी देता है। प्रमुख पुलों में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास वाला यमुना पुल और पुराना राजपथ पुल शामिल हैं।
बनामपुर, फरीदाबाद, और गाज़ियाबाद जैसे शहरों में यमुना किनारे पर कई बैंकों की रॉक बँड और मनोरंजन पार्क हैं। अगर आप शाम को टहलना चाहते हैं तो इन क्षेत्रों में सैर के लिए बेहतरीन जगहें मिलेंगी।
यमुना का धार्मिक महत्व बहुत पुराना है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसे पवित्र माना जाता है और कई मन्दिर इसके किनारे बसे हैं। गंगावती किला, राजघाट और कू वर्ल्ड सिटी के पास के आश्रम अक्सर तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।
किसानों के लिए यमुना का पानी खेती में उपयोगी होता है, परन्तु हाल के वर्षों में बाढ़ और प्रदूषण की समस्या भी बढ़ी है। इम्ड ने कई बार भारी बारिश के अलर्ट जारी किए हैं, इसलिए नदियों के किनारे यात्रा करते समय सावधानी बरतें।
पर्यटकों के लिए यमुना के किनारे कई आकर्षक कार्यक्रम आयोजित होते हैं – जैसे वार्षिक यमुना फेस्टिवल, जहाँ लोक संगीत और खाना‑पान का मज़ा मिलता है। यदि आप फोटोग्राफी में रुचि रखते हैं, तो सवेरियों के समय जल की प्रतिबिंबित रोशनी खास तस्वीरें बनाती है।
यमुना के बारे में नवीनतम खबरें भी इस टैग पेज पर मिलेंगी। चाहे वो बाढ़ की चेतावनी हो, या नई सड़कों की योजना, यहाँ आप सब अपडेट एक जगह देख सकते हैं। यह जानकारी आपके दैनिक जीवन या यात्रा की तैयारी में मददगार होगी।
संक्षेप में, यमुना नदी न सिर्फ भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और सामाजिक भूमिका भी बड़ी है। अगर आप दिल्ली‑नॉर्थ में रह रहे हैं या यहाँ आने की योजना बना रहे हैं, तो यमुना के किनारे की पूरी जानकारी आपके लिए उपयोगी रहेगी।
सितंबर 4, 2025
यमुना का जलस्तर 207.43 मीटर पर पहुंचा, 1963 के बाद तीसरा सबसे ऊंचा स्तर। 12,000 से ज्यादा लोगों को निचले इलाकों से निकाला गया, 38 राहत शिविर चालू। दिल्ली के कई हिस्सों में ट्रैफिक और नागरिक सेवाएं बाधित। भारी बारिश और हाथनिकुंड बैराज से बड़े डिस्चार्ज ने हालात बिगाड़े। उत्तर भारत में भीषण बाढ़ और भूस्खलन से कम-से-कम 90 मौतें।
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